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प्रकीर्ण आरेख

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प्रकीर्ण आरेख
गुणवता से सम्बन्धित ७ मूलभूत औजारों में से एक औजार
प्रथम प्रस्तावक John Herschel[1]
उद्देश्य दो संख्यात्मक चरों के बीच सम्बन्ध (यदि कोई है) की पहचान करना।

प्रकीर्ण आरेख (scatter plot या scatter graph या scatter chart या scattergram या scatter diagram) [2] वह आरेख है जो दो चरों के मानों को कार्तीय निर्देशांक प्रणाली में दर्शाता है। इनमें से एक चर, स्वतंत्र चर होता है जबकि दूसरा परतंत्र चर। स्वतंत्र चर को x-अक्ष पर तथा परतंत्र चर को y-अक्ष पर दर्शाया जाता है। इस प्रकार के आरेख में हमें बिन्दुओं का एक समुच्चय प्राप्त होता है जो बताता है कि एक चर के बदलने पर दूसरे चर के मानों में किस प्रकार से परिवर्तन होता है।[3]


सन्दर्भ

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  1. Friendly, Michael; Denis, Dan (2005). "The early origins and development of the scatterplot". Journal of the History of the Behavioral Sciences. 41 (2): 103–130. PMID 15812820. डीओआइ:10.1002/jhbs.20078.
  2. Jarrell, Stephen B. (1994). Basic Statistics (Special pre-publication संस्करण). Dubuque, Iowa: Wm. C. Brown Pub. पृ॰ 492. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-697-21595-6. When we search for a relationship between two quantitative variables, a standard graph of the available data pairs (X,Y), called a scatter diagram, frequently helps...
  3. Utts, Jessica M. Seeing Through Statistics 3rd Edition, Thomson Brooks/Cole, 2005, pp 166-167. ISBN 0-534-39402-7