दिल्ली की गलियों में बयां एक समय की कसौटी पर खरी दास्तान. जैसे कोई बेघर प्रवासी हो, हर सामने आती घटना के साथ बदलती जगह और संरचना, सच और ख्वाब के बीच मौजूद रहती है.दिल्ली की गलियों में बयां एक समय की कसौटी पर खरी दास्तान. जैसे कोई बेघर प्रवासी हो, हर सामने आती घटना के साथ बदलती जगह और संरचना, सच और ख्वाब के बीच मौजूद रहती है.दिल्ली की गलियों में बयां एक समय की कसौटी पर खरी दास्तान. जैसे कोई बेघर प्रवासी हो, हर सामने आती घटना के साथ बदलती जगह और संरचना, सच और ख्वाब के बीच मौजूद रहती है.