ARTICLE 12 Indian Constitution
ARTICLE 12 Indian Constitution
ARTICLE 12 Indian Constitution
(b) Authorities
According to Webster’s dictionary, 'authority'
means a person or body exercising power or
command. In the context of Art. 12, 'authority'
means the power to make laws, orders,
regulations, bye-laws, etc., which have the force
of law and power to enforce those laws. For
instance, the bye-laws made by a Municipal
Committee.
Hindi
अनु छे द 12 रा य क परभाषा
जसैा क हमने पहले सीखा, नागरक को दान कए गए
अधकांश मौलक अधकार का दावा रा य और उसके
उपकरण के खलाफ कया जाता है , न क नजी नकाय के
खलाफ। इस कार, अनु छे द 12 'रा य' श द को परभाषत
करता है । यह समझना बहुत मह वपणू है क रा य क
परभाषा के अतंगत कौन से नकाय आते ह ताक यह
नधारत कया जा सके क िज मेदार कस पर रखी जानी
है ।
भारत के संवधान के अनु छे द 12 म कहा गया है ,
"जब तक सदं भ से अ यथा अपे त न हो, रा य' श द म
न नलखत शामल ह -
सघं और रा य क कायकारणी और वधायका, भीतर के
सभी थानीय या अ य ाधकरण भारत का े या भारत
सरकार के नयं ण म।" इस कार रा य म न नलखत शामल
ह:
म। भारत क सरकार और ससंद यानी सघं क कायपालका
और वधायका
ii. येक रा य क सरकार और वधायका अथात भारत के
वभ न रा य क कायपालका और वधायका
iii. भारत के े के भीतर सभी थानीय या अ य ाधकरण
iv. सभी थानीय और अ य ाधकरण जो भारत
सरकार
के नयं ण म ह
परभाषा सपंणू नह ं है , लेकन समावेशी है िजसका अथ
है क उन अगं या नकाय के अलावा िज ह दसरू क
गणना क गई है , वे भी अभ यि त रा य वारा कवर कए जा
सकते ह। 'कला। 12, इस कार, एक या या मक लेख है ।
अभ यि त 'अ य ाधकरण' क या या अदालत वारा क गई
है , य क इसे संवधान या कसी क़ाननू म परभाषत नह ं
कया गया है । आम तौर पर, एक उदार या व तारत या या
यायालय वारा अपनाया गया है ।
यह यान दया जा सकता है क 'रा य' श द क यह
व तारत या या सीमत है
इसके आवेदन म के वल भाग III (मौलक अधकार) और
भाग IV (नदे शक)
स धांत) और इसका व तार संवधान के अ य ावधान
तक नह ं है । कला। 309-311 (भाग XIV) (सखदे वु
सहं का
मामला, नीचे)।
(ए) सघं और रा य के कायकार और वधानमडंल
इसम प ट प से शामल ह गे: सघं और रा य सरकार,
और, ससंद और
रा य वधानमडंल भारत के कायवाहक रा पत और रा य
के रा यपाल भाग लेते ह
कायपालका के श द 'सरकार' म सरकार का एक वभाग
शामल है या
कसी सरकार वभाग के नयं ण म कोई सं था उदा। आई ट
या आबकार वभाग; वन अनसधंु ान सं थान, दे हरादनू
; आद।
(बी) अधकारय
वेब टर ड शनर के अनसारु 'अधकार' का अथ है यायाम
करने वाला यि त या शर र शि त या आदे श। कला के
सदं भ म। 12, 'अधकार' का अथ
है बनाने क शि त
काननू , आदे श, वनयम, उप-नयम, आद, िजनके पास
काननू और शि त का बल है
उन काननू को लागू कर। उदाहरण के लए, नगरपालका
समत वारा बनाए गए उपनयम।
(सी) थानीय ाधकरण
सामा य खडं अधनयम क धारा 3 म परभाषत
अभ यि त अधकारय को सदं भत करती है
जसैे नगर पालकाओं, िजला बोड , पचंायत , आद।
(डी) अ य ाधकरण
कला म अ य अधकारय क अभ यि त। 12 का योग
कायपालका का उ लेख करने के बाद कया जाता है
और सघं और रा य क वधायका, और सभी थानीय
ाधकरण। इस कार, यह माना गया क
यह के वल एक समान कृत के अधकारय को इंगत कर
सकता है , अथात ejusdem जेनेरस। इसलए इसका अथ
के वल सरकार या सं भु काय का योग करने वाले
अधकारय से हो सकता है ।
रा य' (म ास व वव यालय बनाम शांता बाई एआईआर
1954 मडै। 67)। लेकन, बाद म यह था
यह माना गया क इस अभ यि त क या या करने म
ejusdem जेनेरस नयम का सहारा नह ं लया जा सकता
है , य क इन नामत नकाय (कला। 12 म) के मा यम से
कोई सामा य जीनस नह ं चल रहा है , न ह इन नकाय
को कसी भी तकसगंत आधार पर एक ह ेणी म रखा जा
सकता है ।
व यतु बोड, राज थान बनाम मोहन लाई (AIR 1967 SC
1857) और सखदे वु सहं बनाम भगतराम (AIR 1975
SC
1331) म, अदालत वारा द गई अभ यि त 'अ य
ाधकरण' क एक बहुत ह तबधंा मक या या संवधान या
क़ाननू वारा बनाए गए ाधकरण पर 'अ य ाधकरण' ह,
हालांक यह आव यक नह ं है क वधैानक
ाधकरण सरकार काय करने म लगे ह या
सं भु काय इस कार, राज थान व यतु बोड, तले और
ाकृतक गसै
आयोग (ओएनजीसी), जीवन बीमा नगम, औ योगक व
नगम आद को 'अ य ाधकरण' माना जाता है । इन
नकाय को उप-नयम बनाने क शि त है ,
अपने कमचारय क सेवाओं क शत को वनयमत करने
के लए वनयम, आद।
कमचार कला के सरं ण का दावा करने के हकदार ह। इन
नकाय के खलाफ 14 और 16. ओएनजीसी' क सरकार के
वाम व और बंधत एक वधैानक नकाय है । 'जीवन बीमा
नगम' क सरं चना इंगत करती है क नगम सरकार क एक
एजसी है जो जीवन बीमा का वशषे यवसाय करती है । येक
ावधान बना कसी अनि चतता के दखाता है
क आवाज क सरकार क है और हाथ भी क के ह
सरकार 'औ योगक व नगम' अधनयम के ावधान दशाते
हक
नगम भावी प से क सरकार वारा बंधत और
नयं त कया जाता है ।
व यतु आपतू अधनयम के तहत 'राज थान व यतु
बोड' को यापार या वाण य क कृत क कु छ गतवधय
को करने क आव यकता है , यह कोई सकंे त नह ं दे ता
है क
बोड को "रा य" श द के दायरे से बाहर रखा जाना चाहए।
बाद के फै सल म, सु ीम कोट ने एक यापक और
उदार
दया है
'अ य अधकारय ' क अभ यि त क या या
यायपालका वारा 'रा य' श द का व तार
अ णी मामला: सोम काश रे खी बनाम भारत सघं (AIR
1981 SC 212)
इस मामले म, याचकाकता (सोम काश) बमा शले ऑयल
टोरे ज लमटे ड म लक था और 1973 म पशन के लए
अहता ा त करने के बाद सेवानव ृ हुआ। बमा शले के उप
म को बमा शले (भारत म उप म का अध हण) के तहत
लया गया था। ), 1976 और भारत पे ोलयम
कॉप रे शन लमटे ड म नहत था, जो वधैानक बन गया
याचकाकता के नयो ता का उ राधकार । याचकाकता ने
कला के तहत एक याचका वारा चनौतीु द । ३२, उसक
पशन से कटौती, अवधै और अमानवीय के प म और
उसके सपं के अधकार के उ लघंन म, तब, कला म नहत
है । संवधान के १९(१)(एफ), हवाईअ डा ाधकरण के
मामले म नधारत पर ण को लागू करते हुए, सव च
यायालय ने माना क भारत पे ोलयम कॉप रे शन, हालांक
कं पनी अधनयम के तहत पजंीकृत एक सरकार कं पनी
है , १९७६ के वभ न ावधान के आधार पर अधनयम, एक
मजबतू वधैानक वाद के साथ क सरकार के एक साधन के
प म त द ल हो गया था और इसे कला म 'रा य' अभ यि त
के तहत आने वाले " ाधकरण" बनाने के लए शि त का प
ट सकंे त दया गया था। 12. अभ यि त 'अ य ाधकरण'
म अनु छे द 12 म न के वल एक वधैानक नकाय बि क
एक सरकार कं पनी जसैी गरै -सांवधक सं था भी शामल
होगी यद यह पाया जाता है क नकाय या ाधकरण
सरकार क
एक एजसी या साधन है ।
सव च यायालय ने 'अ य ाधकरण ' क अभ यि त क
यापक और उदार या या इस त य के म दे नजर द क एक
क याणकार रा य म, एक सरकार को कई गनाु काय करने
पड़ते ह िजसके लए उसे वभ न एजसय या उपकरण को
नयोिजत करना पड़ता है । इस कार, ऐसी
"एजसी या साधन हालांक नह ं"
क़ाननू वारा बनाया गया रा य के समानतबधं के
अधीन होना चाहए।" ''NS
रा य ”कला 12 म लोग के शै क और आथक हत को
बढ़ावा दे ने के उ दे य से बनाए गए नकाय को समझा
जाता है , आरडी शे ट बनाम भारतीय अतंरा य हवाई अ डा
ाधकरण (AIR 1979 SC 1628) म अदालत ने यह
नधारत करने के लए न नलखत पर ण कए क या कोई
नकाय है सरकार क एक एजसी या साधन:
(i) रा य के व ीय ससंाधन मु य व पोषण ोत ह
अथात यद नगम क सपंणू शयेर पजींू सरकार के पास
है ।
(ii) गहरे और यापक रा य नयं ण का अि त व (जसैे कसी
समाज के सद य क नयि तु और न कासन, समाज वारा
बनाए गए नयम के लए सरकार के पवू
अनमोदनु क आव यकता होती है )।
(iii) काया मक चर सार प म सरकार होना अथात यद
नगम के काय सावजनक मह व के ह।
(iv) यद सरकार का एक वभाग कसी नगम को
थानांतरत कर दया जाता है ।
(v) या नगम को एकाधकार का दजा ा त है जो रा य
वारा द है या रा य सरं त है ।
हालांक, अदालत ने कहा क ये पर ण नणायक नह ं
ह,
बि क के वल उदाहरण ह,
और सावधानी और सावधानी के साथ उपयोग करना होगा
और अब तक बढ़ाया नह ं जाना चाहए
येक वाय नकाय, िजसका सरकार के साथ कु छ सबंधं
है , को "अ य ाधकरण " क अभ यि त के दायरे म लाने के
लए। इस मामले म, अतंररा य हवाईअ डा ाधकरण को
'रा य' माना गया। क सरकार के पास बोड के अ य
और अ य सद य को नयु त करने क शि त थी, और के वल
सरकार वारा दान कए गए ाधकरण वारा आव यक
पजी।ंू वतमान मामले म, अदालत ने दे खा : अभ यि त
'अ य ाधकरण' के वल सांवधक नगम तक ह सीमत नह
ं है , बि क इसम एक सरकार कं पनी, एक पजंीकृत
सोसायट , या नकाय शामल हो सकते ह, िजनका
सरकार के साथ कु छ सबंधं है , यद नगम के काय
सावजनक मह व के ह और सरकार काय से नकटता से
सबंधं त ह, तो यह नगम को एक उपकरण के प म वग
कृत करने म ासंगक कारक होगा काननू म ' ाधकरण'
स ा के ांत से सबंधं त है : ाधकरण ( शासनक काननू
म) एक सावजनक कृत के कु छ मामल म अधकार े
वाला नकाय है ।
एक वाणि यक या अ य गतवध करने के लए गठत एक
नगम कई उ दे य के लए एक अलग यायक इकाई है जो रा
य के समु म नह ं डूबी है , हालांक, सार प म, इसका अि
त व एक ेपण हो सकता है
रा य। कु छ काननीू उ दे य के लए पहना जाने वाला एक
यायक घघटं ू सवंधाै नक काननू के योजन के लए इकाई
के वा तवक चर को मटा नह ं सकता है । सरकार के
साधन या एजसी के प म काय करने वाले नगम प ट प
से सवंधाै नक के े म समान सीमाओं के अधीन ह गे
और शासनक काननू सरकार के प म, हालांक काननू
क
नजर म, वे अलग ह गे एक वतं काननीू सं थाएं यद
सरकार अपने अधकारय के मा यम से काय कर रह है तो
कु छ सवंधाै नक और सावजनक के अधीन है
काननू क सीमाओं के लए, यह एक ढ़ता का पालन करना
चाहए क नगम के साधन या एजसी के मा यम से काय
करने वाल सरकार समान प से समान सीमाओं के अधीन
होनी चाहए।
इस मामले क जड़ यह है क सावजनक नगम एक नए
कार क सं था है जो सरकार के नए सामािजक-आथक
काय से उ प न हुई है और इसलए यह परानेु काननीू म
अ छ तरह से फट नह ं होती है ।
ेणयाँ।
नगम के वधैानक चर के बजाय काय मता और रा य नयं
ण पर जोर दया गया है । पर कृत आधार पर बह करण
करने का कोई कारण नह ं है जसैे क काननीू यि त को
वधैानक नगम होना चाहए, काननू बनाने क
शि त होनी चाहए, एक क़ाननू वारा बनाई जानी चाहए
और न क एक क़ाननू के तहत बनाई गई नगम बनाम
एक कं पनी या समाज वारा बनाई गई कं पनी क़ाननू के
तहत (उदाहरण के लए खा य नगम अधनयम, 1964
वारा बनाई गई एफसीआई; भारतीय कं पनी अधनयम के
तहत
पजंीकृत एक कं पनी)।)
अजय हसया बनाम खालद मजीबु (AIR 1981 SC 487)
म, यह माना गया क सोसायट पजंीकरण अधनयम,
1898 के तहत पजंीकृत एक सोसायट रा य क एक
एजसी या साधन है और इसलए कला के अथ के भीतर
एक 'रा य' है ।
12. समाज के कामकाज पर सरकार (रा य और क ) का
पराू नयं ण होता है । जांच इस बात क नह ं होनी चाहए
क यायक यि त कै से बनाया गया है , बि क इसे अि त व
म य लाया गया है । यह मह वह न है क नगम कसी क़ाननू
वारा या क़ाननू के तहत बनाया गया है
एस.एम. म इलयास बनाम आईसीएआर [1993 (1
एससीसी 182)] ने माना क भारतीय कृष अनसधंु ान
परषद एक 'रा य' है । टे कराज वासडंी बनाम भारत सघं
[1988 (1 एससीसी 236)] म, यह माना गया क 'सवंधाै
नक और ससंद य अ ययन सं थान' एक वैि छक सगंठन
है । समाज का उ दे य सरकार यवसाय से सबंधं त नह ं
है , और इसके कामकाज पर, सरकार का नयं ण गहरा
और यापक नह ं है , हालांक अनदानु दे ने के मामले म
सरकार क बात
होती है ।
इस नणय के बाद, चं मोहन ख ना बनाम एनसीईआरट /
एआईआर 2 एससी 76 ^ म यह आयोिजत कया गया था
क
एनसीईआरट एक रा य नह ं है ।
रा य शैक परषद का उ दे य
अनसधंु ान औरश ण, एक समाज, सरकार क
नीतय
के काया वयन म श ा मं ालय क सहायता और सलाह
दे ना है । ये गतवधयां परू तरह से सरकार काय से सबंधं त
नह ं ह। सरकार नयं ण के वल अनदानु के उचत उपयोग
तक ह सीमत है । यह एक वाय नकाय है । कला। 12 को
इतना बढ़ाया नह ं जाना चाहए क येक वाय नकाय को
'रा य' अभ यि त के दायरे म लाया जा
सके, िजसका सरकार के साथ कु छ सबंधं है ।
अशोक कु मार सहं बनाम बटको लमटे ड (AIR 1998
पटै
9) म, यह माना गया था क
बहार इंडि यल एंड टेि नकल कं स टसी ऑगनाइजेशन
लमटे ड (बटको) एक हो सकता है
"रा य"। BITCO के नगमन क व तएँु जसैा क इसके
ापन से कट होता है
और एसोसएशन ऑफ एसोसएशन रा य म औ योगक
वकास को बढ़ावा दे ना था, जो सरकार चतां का वषय था।
बटको का पराू ह सा वधैानक सगंठन के पास है जो सभी
रा य ह। आईडीबीआई, एक रा य', बी.ओ.डी. क सरं चना
और बधंन को नयं त करने सहत बटको के काय पर गहरा
और यापक नयं ण रखता है । बटको क । परणाम व प,
बटको को आईडीबीआई क सहायक कं पनी
और बदले म एक सरकार कं पनी के प म माना गया।
द प कु मार ब वास बनाम इंडयन इं ट यटू ऑफ केमकल
बायोलॉजी (2002) 5 एससीसी 1 म, सु ीम कोट ने 5:2
बहुमत से माना क सीएसआईआर (वै ानक और औ
योगक अनसधंु ान परषद) कला के अथ के भीतर रा य
का एक साधन है । 12. इसने सभाजीत तवार मामले
(1975) म नणय को खारज कर दया। बहुमत ने माना क
भले ह इसका गठन सोसायट पजंीकरण अधनयम,
1860 के तहत कया गया था, लेकन यह एक 'रा य' है य
क सरकार का सगंठन पर अधभावी नयं ण था।
सीएसआईआर के मेमोरडम ऑफ एसोसएशन म शामल
व तु प ट प से दशाती है क सीएसआईआर क थापना दे श
म नयोिजत वकास को बढ़ावा दे कर समाज के आथक क
याण को आगे बढ़ाने के लए रा य हत म क गई थी।
दे श। भारत सरकार क शासी नकाय म एक मखु भमू
का
है
सीएसआईआर।
अदालत ने कहा: "संवधान ने एक हद तक कला '12' म
'रा य' श द को परभाषत कया है , िजसम "भारत सरकार
के नयं ण म सरकार" शामल है । यह क एक "समावेशी"
परभाषा आम तौर पर सपंणू नह ं है , यह प ट का एक
बयान है और जहां तक अन ु छे द 12 का सबंधं है , सव च
यायालय वारा ऐसा माना गया है । कला म यु त श द "रा
य" और " ाधकरण"। इसलए 12 "संवधान क महान
सामा यताओं" के बीच िजसक साम ी समय-समय पर
अदालत वारा आपतू क गई है और जार है । कला के तहत
समानता क अवधारणा के यापक ि टकोण के साथ
तालमेल रखते हुए। 14 और 16, अदालत ने
स ा के यि तय के क के खलाफ स ा के मनमाने ढं ग से
योग को रोकने क मांग क , और तदनसारु कला म
"रा य" क यायक परभाषा म व तार कया गया। 12।"
क कु मार ीवा तव बनाम य.ू पी. रा य कमचार क याण
नगम (2005) सव च यायालय ने द प कु मार व वास
मामले म नधारत बहुमत और अ पसं यक राय क या या
क । यह दे खा गया: कई पर ण जो लागू कए जाने ह, कला
के भीतर आने वाले शर र के चर का पता लगाते ह। 12 या
बाहर जसैा क पवू त मामले म बहुमत के ि टकोण से
नधारत कया गया है , रा य के व ीय, काया मक और
शासनक नयं ण क कृत का पता लगाना है और या यह रा
य सरकार का भु व है और नयं ण इतना गहरा कहा जा
सकता है और यापक के प म अ पसं यक
ि टकोण म वणत है ताक नगम क गतवधय पर
"सरकार क उपि थत के बारे म" अदालत को सतंु ट कया
जा सके द प कु मार व वास म अ पसं यक ि टकोण म,
येक वशषे मामले म वभ न पर ण को लागू करने क
आव यकता होती है । दावा "रा य" क परभाषा म शामल
कसी नकाय के आधार पर, "अ य ाधकरण " क
अभ यि त म पड़ने वाला एक वधैानक नकाय होने के
कारण, अजय हसया मामले (1981) 1 म तपादत स धांत
के आधार पर एक नकाय के दावे से अलग माना जाना
चाहए। एससीसी 722, क यह रा य का एक "वा य यं या
एजसी" है । अ पसं यक क राय म, अजय हसया के मामले
म नधारत पर ण के वल यह नधारत करने के उ दे य से
ासंगक ह क या एक इकाई "रा य क एक
साधन / एजसी" है ।
वतमान मामले म नगम (य.ू पी. रा य कमचार क याण
नगम) कसी भी क़ाननू वारा नह ं बनाया गया है ; यह के
वल सोसायट पजंीकरण अधनयम के तहत पजंीकृत
एक सोसायट है । जांच इस नणय तक ह सीमत होगी क
या नगम रा य क "उपकरण या एजसी" है , नगम के
शासनक व ीय और काया मक नयं ण क एक व तत ृ पर
ा म इसम कोई सदं ेह नह ं है क यह एक "उपकरण या
एजसी" के अलावा और कु छ नह ं है । एजसी"
रा य और नयं ण के; रा य का न के वल "नयामक" है , बि
क यह "गहरा और यापक" इस अथ म है क यह सरकार
कमचारय क ज रत को पराू करने के उ दे य से बनाया
गया है जो क उनके वेतन और अ य भ के परकू के प म
है ।
अदालत ने यह भी कहा: भले ह कसी नकाय को रा य
माना जाता है , पीड़त यि त को द जाने वाल राहत येक
मामले म यायालय वारा सोसायट क सरं चना और उसक
व ीय मता के आधार पर नधारत क जाएगी। या
यायपालका 'रा य' श द म शामल है ?
संवधान का अनु छे द 12 वशषे प से ' यायपालका' को
परभाषत नह ं करता है । यह यायक अधकारय को नणय
लेने क शि त दे ता है जो कसी यि त के मौलक अधकार का
उ लघंन हो सकता है । यद इसे 'रा य' के मखु या के प म
लया गया था, तो लेख के अनसारु , यह दाय व होगा क
नागरक के मौलक अधकार का उ लघंन नह ं कया जाना
चाहए। तदनसारु , अदालत वारा सनाएु गए नणय को इस
आधार पर चनौतीु नह ं द
जा सकती है क वे कसी यि त के मौलक अधकार का उ
लघंन करते ह। दसरू ओर, यह दे खा गया है क अदालत
वारा अपनी शासनक मता (उ चतम यायालय सहत) म
पारत आदे श को मौलक अधकार का उ लघंन होने के प म
नयमत प से चनौतीु द गई है ।
इस न का उ र यायालय के यायक और गरै - यायक काय
के बीच अतंर म नहत है । जब अदालत अपने गरै - यायक
काय करती ह, तो वे 'रा य' क परभाषा के अतंगत आती
ह। जब अदालत अपने यायक काय करती
ह, तो वे 'रा य' के दायरे म नह ं आतीं।
इसलए, यह यान दया जा सकता है क कसी अदालत के
यायक नणय को मौलक अधकार के उ लघंन के प म
चनौतीु नह ं द जा सकती है । लेकन, यायपालका वारा
बनाए गए एक शासनक नणय या नयम को मौलक
अधकार का उ लघंन होने के प म चनौतीु द जा सकती है ,
यद वह त य वारा समथत हो। यह यायालय के यायक
और गरै - यायक काय के बीच अतंर के कारण है ।
नरे श ीधर मराजकर बनाम महारा रा य, एआईआर
1967 एससी 1 के मामले म, सव च यायालय क
9- यायाधीश क पीठ ने कहा क स म े ाधकार के एक
यायाधीश वारा या उसके सामने लाए गए मामले के सबंधं
म एक यायक नणय सनायाु गया। यायनणयन नागरक
के मौलक अधकार को भावत नह ं कर सकता य क
यायक नणय का ता पय यायालय के सम लाए गए प के
बीच ववाद का नणय करना है और इससे अधक कु छ नह
ं। इसलए, ऐसे यायक नणय को
अनु छे द 13 . के तहत चनौतीु नह ं द जा सकती है
पा अशोक हुरा बनाम अशोक हुरा (AIR 2002 SC 1771)
म, सव च यायालय
ने फर से पि टु क है और फै सला सनायाु है क कसी भी
यायक कायवाह को कसी का उ लघंन करने वाला नह ं
कहा जा सकता है
मौलक अधकार क । यह कहा जाता था क काननू क
ि थर ि थत है क े ठ
याय क अदालत .Art के तहत रा य या 'अ य ाधकरण '
के दायरे म नह ं आतीं। 12.
नकाय िज ह रा य माना जाता है और जो नह ं ह न
नलखत को रा य माना गया है :
1 े ीय इंजीनयरगं कॉलेज के तहत पजंीकृत एक
सोसायट वारा थापत
एक रा य अधनयम (अजय हसया बनाम खालद मजीबु
एआईआर 1981 एससी 487)।
2आईएसआई- भारतीय सांि यक सं थान (एस.एस. म
हास बनाम भारतीय सांि यक सं थानएआईआर 1984
एससी 363)।
3. आईसीएआर- भारतीय कृष अनसधंु ान परषद
[एस.एम. इलयास बनाम आईसीएआर (1993) 1
एससीसी 182]; आईवीआरआई - भारतीय पशु चक सा
अनसधंु ान सं थान, आईसीएआर से सबं ध (पीके
रामचं अ यर बनाम यओआईू एआईआर 1984 एससी
541)
4. सीएसआईआर - वै ानक और औ योगक अनसधंु
ान परषद [ द प कु मार व वास बनाम भारतीय
रासायनक
जीवव ान सं थान (2002) 5 एससीसी 1]
5. एफसीआई- भारतीय खा य नगम (पजंाब रा य
बनाम
राजा राम एआईआर 1981 एससी 1694)।
6. सेल- ट ल अथॉरट ऑफ इंडया लमटे ड ( ट ल अथॉरट
ऑफ इंडया लमटे ड बनाम ी अंबका म स
एआईआर 1998 एससी 418)।
7. रा यकृत बक [बक ऑफ इंडया बनाम ओ पी वणकार
(2003) 2 एससीसी 721]; े ीय ामीण बक (अ य ,
थम बक, मरादाबाद ु बनाम वजय कु मारएआईआर 1989
एससी 1977)।
8. राज थान व यतु बोड (व यतु बोड, राज थान
बनाम
मोहन लाल एआईआर 1967 एससी 1857)।
9. धामक बदं ोब ती बोड जसैे कोचीन दे वसोम बोड
(पी.बी.एम.नबंू पद बनाम सी.डी. बोड एआईआर 1956
एससी 19)।
10. ओएनजीसी- तले और ाकृतक गसै आयोग (सखदे वु
सहं बनाम भगतराम एमआर 1975 एससी 1331; के सी
जोशीव (70 / एआईआर 1985 एससी 1045), इंडयन
ऑयल कॉप रे शन (महाबीर ऑटो टोस बनाम इंडयन
ऑयल कॉप।
एआईआर 1990 एससी 1031)
11. है दराबाद टॉक ए सचज।
12. काउं सल फॉर इंडयन कू ल सटफके ट ए जामनेशन
13. एलआईसी- जीवन बीमा नगम (सखदे वु सहं बनाम
भगतराम एआईआर 1975 एससी 1331)।
14. यनाइटे डू इंडयन इं योरस कं पनी
15. औ योगक व नगम (सखदे वु सहं बनाम भगतराम
एआईआर 1975 एससी 1331); गजरातु रा य व ीय
नगम (गजरातु रा य व ीय नगम बनाम मेसस लोटस
होटल
एमआर 1983 एससी 848)।
16. उ. . रा य कमचार क याण नगम [वीर कु मार ीवा
तव बनाम यपीू रा य कमचार क याण नगम
(2005) ट एससीसी 149],
17. ए सपोट े डट गारं ट कॉरपोरे शन ऑफ इंडया
लमटे ड
18. अतंरा य हवाई अ डा ाधकरण (आरडी शे ट बनाम
भारतीय अतंरा य हवाई अ डा ाधकरण एमआर 1979
एससी 1628)।
19. भारतीय बक सघं।
20. बॉ बे पोट ट।
21. भारत पे ोलयम कॉप रे शन (सोम काश बनाम
यनू यन ऑफ इंडयो एआईआर 1981 एससी212)।
22. हदं ु तान ट ल वस कं शन लमटे ड (Hiv stan
Steel Works Construction) लमटे ड बनाम के रल रा
य एआईआर 1997 एससी ^.75)।
23. बटको- बहार औ योगक और तकनीक परामश
सगंठन लमटे ड (अशोक .)
कु मार सहं बनाम बटको लमटे ड (एआईआर 1998 पटै
9)। 24. IDE3I- भारतीय औ योगक और वकास बक।
25. च न एड सोसाइट , बॉ बे (शीला बरसे बनाम सचव,
च न एड सोसाइट एआईआर 1987 एससी 656)।
26. द ल परवहन नगम (डी.ट .सी. बनाम मजदरू कां ेस
एमआर 1991 एससी .)
१०१); मसैरू रा य सड़क परवहन नगम (मसैरू एस.आर.ट
.सी. बनाम दे वराज उस एआईआर १९७५ एससी
१३३१)
27. शहर और औ योगक वकास नगम, महारा [ टार एंटर
ाइजेज बनाम सट एंड इंडि यल दे व। काप रे शन,
महारा (1990) 3 एससीसी 280]।
28. नेफे ड - भारतीय रा य कृष सहकार सघं
(एएच.अहमद एंड कं पनी वी 1/0/एआईआर 1982 मडै
247)।
29. व वव यालय (यनू श चं बनाम वीएन सहं एआईआर
1968 पटै 3); नजी श ण सं थान (यद वे
अजय हसया मामले म नधारत पर ण को पराू करते ह)।
30. मसैरू पेपर म स लमटे ड [मसैरू पेपर म स लमटे ड
बनाम मसैरू पेपर म स]
ऑफसस एसोसएशन (2002) 2 एससीसी 167]
31. ीराम फू ड एंड फटलाइजस लमटे ड जसैी गरै -सरकार
कं पनी।
[एम.सी. मेहता बनाम भारत सघं (1987) 1एससीसी
395]
32. डीडीए- द ल वकास ाधकरण (डीडीए बनाम
सयंु त कारवाई समत, एसएफएस लै स एआईआर
2008 एससी
1343 का आबंटत)। न नलखत को 'रा य' नह ं माना
गया है :
1. सवंधाैनक और ससंद य अ ययन सं थान [टे कराज
वासडंी v
भारत सघं (1988) 1 एससीसी 236],
2 एनसीईआरट - रा य शै क अनसधंु ान और श ण
परषद (चं मोहन ख ना बनाम एनसीईआरट एआईआर
1992 एससी 76)।
3. बीसीसीआई- भारतीय के ट कं ोल बोड [ज़ी टे ल फ
स लमटे ड बनाम यओआईू (2005) 4 एससीसी
649],
4. ICRISAT- अतंरा य फसल अनसधंु ान सं थान
(जी. ब सी रे डी बनाम अतंरा य फसल अनसधंु ान सं
थान
AIR 2003 SC.1764)।
5. याय के सपीु रयर कोट [नरे श बनाम महारा रा य
एआईआर 1967 एससी 1: पा अशोक हुरा बनाम अशोक
हुरा
एआईआर 2002 एससी 1771],
6. रा य सहकार उपभो ता सघं (जे.एस. अमेजा बनाम रा
य सहकार ऑप कं यमरू फे डरे शन ऑफ इंडया लमटे ड
एआईआर
1995 डले 44)।
7. एक नजी मेडकल/इंजीनयरगं कॉलेज भले ह कसी व
वव यालय से मा यता ा त और सबं ध हो [उ नी
कृ णन बनाम टे ट ऑफ ए पी (1993) 1 एससीसी 645]।
8. इंडयन इं ट यटू ऑफ बकस (ल मण नाथ दास बनाम
उप सचव। (पर ा) इंडयन इं ट यटू ऑफ बकस एमआर
1995 ओर। 277)
9. एक सहकार समत [पारसी सहकार आवास समत
बनाम िजला रिज ार (2005) 5 एससीसी 632]। ऐसा
समाज और कु छ नह ं, बि क एक नकाय है िजसे के
ावधान के अनसारु बनाया और शासत कया जाता है
सहकार / ई सोसायट अधनयम।नि चत सं या म यि त कु
छ नि चत उ दे य और उ दे य के साथ एक
समाज का नमाण करते ह। यह कु छ नयम , वनयम आद
के अधीन होता है जसैे • अधनयम के ावधान वारा ह एक
समाज का नमाण नह ं कया जाता है , न ह रा य ऐसे
समाज पर कोई नयं ण रखता है । इसी कार, सहकार
बक उदा. पजंाब टे ट को-ऑपरे टव बक
एक 'रा य' नह ं है (सतीश कु मार बनाम पजंाब रा य
सहकार बक लमटे ड AIR 1981 पी एंड एच282)।
Note: Hindi translation of English may not be
fully accurate.