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नारीवादी आंदोलन की पहली लहर

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नारीवादी आंदोलन की पहली लहर (अंग्रेज़ी: First wave feminism- फर्स्ट-वेव फेमिनिज्म) नारीवादी गतिविधि से सम्बंधित एक सोच और दौर था जो 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान पूरी पश्चिमी दुनिया में चला। यह कानूनी मुद्दों पर केंद्रित था जिनमें प्रमुख रूप से मतदान का अधिकार प्राप्त करना था।

फर्स्ट-वेव शब्द मार्च 1968 में द न्यूयॉर्क टाइम्स मैगज़ीन में मार्था लियर द्वारा लिखा गया था, जिन्होंने उसी समय "सेकंड-वेव फेमिनिज्म" शब्द का भी इस्तेमाल किया था। उस समय महिला आंदोलन को वास्तविक (अनौपचारिक) असमानताओं पर केंद्रित किया गया था, जो उसे पहले के नारीवादियों के उद्देश्यों से अलग करता है।

प्रथम तरंग नारीवाद का आरम्भ करने का श्रेय इंग्लैंड की मैरी वोलस्टोनक्राफ़्ट को जाता है। जो रेनेसां और ख़ासकर फ़्रांसीसी दार्शनिक रूसो से प्रेरित थीं।

सन्दर्भ[संपादित करें]