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फ़तेहपुर सीकरी

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युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
फतेहपुर सीकरी
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम
दीवान-ए-खास - निजी भेंट कक्ष
देश  भारत
प्रकार सांस्कृतिक
मानदंड ii, iii, iv
सन्दर्भ 255https://books.google.co.in/books?id=0QeNYCbxMrgC&pg=PA314&dq=Sikarwar+rajput&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwiq58Hgg-6EAxWioGMGHTylCPwQ6wF6BAgKEAU#v=onepage&q=Sikarwar%20rajput&f=false
युनेस्को क्षेत्र एशिया-प्रशांत
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख ESTABLISHED 815 AD - 1527 SAKARWAR (दसवाँ सत्र)

फतेहपुर सीकरी (उर्दू: فتحپور سیکری), एक नगर है जो कि मुगल सम्राट अकबर ने सन् 1571 में बसाया था। वर्तमान में यह आगरा जिला का एक नगरपालिका बोर्ड है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह यहाँ के मुगल साम्राज्य में अकबर के राज्य में 1571 से 1585 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही फिर इसे खाली कर दिया गया, शायद पानी की कमी के कारण। यह सिकरवार राजपूत राजा की रियासत थी जो बाद में इसके आसपास खेरागढ़ और मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में बस गए। फतेहपुर सीकरी मुसलिम वास्तुकला का सबसे अच्‍छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्‍का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्‍तुशिल्‍प से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार ५४ मीटर ऊँचा बुलंद दरवाजा है जिसका निर्माण १५७३ ई० में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्‍ती की दरगाह है जहाँ नि:संतान महिलाएँ दुआ मांगने आती हैं।

आँख मिचौली, दीवान-ए-खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्‍वाबगाह, जौधा बाई का महल,शेख सलीम चिश्ती के पुत्र की दरगाह, शाही मसजिद, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्‍मारक हैं।

विजयपुर सीकरी के सिकरवार शासकों की वंशावली"

राजा स्वरूपदेवजी

राजा अतुलदेवजी

राजा कामदेवजी प्रथम

राजा सोमदेवजी

राजा भाणुदेवजी

राजा परमदेवजी

राजा सहदेवजी

राजा अमर्षदेवजी  

राजा चंद्रराज  (810ई.-- 842ई.)

राजा सुदर्शनदेवजी (842ई. -- 885ई.)

राजा कर्णदेव (885ई. -- 926ई.)

राजा कुमारदेव (926ई. -- 977ई.)

राजा जयंतदेव  (977ई. -- 1014ई.)

राजा केशवदेव (1014ई. -- 1051ई.)

राजा हर्षदेव (1051ई. -- 1088ई.)

राजा शंकरदेव (1088ई. -- 1130ई.) -  (1088 ई. -1120 विजयदेव सिकरवार राजा खेदगर आगरा)

राजा अनंगदेव (1130ई. -- 1162ई.)

राजा गोविन्ददेव (1162ई. -- 1193ई.)  

राजा सोमेश्वर  (1193ई.-- 1227ई.)  -(शिखरदेव कुंवर खेडगहर)

राजा सालिकदेव (1227ई. -- 1260ई.)

राजा गांगादेव (1260ई.-- 1298ई.)

राजा मंगलदेव (1298ई. -- 1324ई.)

राजा सुअम्बरदेव (1324ई. -- 1358ई.) (राजा अख्यापाल 1346 सरसेनी स्थापना) पहाड़घर

राजा दर्शनदेव (1358ई -- 1402ई.)

राजा कार्तिकदेव (1402ई. -- 1431ई.)

राजा अनूपदेव (1431ई. -- 1465ई.)

राजा किशनदेव (1465ई.-- 1470ई.)

राजा जयराजदेव (1470ई. -- 1504ई.)

राजा कामदेव द्वितीय (1504ई. -- 1534ई.)

धान देव सिकरवार (1530 -1550 ई.)

किला]] में स्थानांतरित करना पडा़। आगरा से ३७ किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने कराया था। एक सफल राजा होने के साथ-साथ वह कलाप्रेमी भी था। १५७०-१५८५ तक फतेहपुर सीकरी मुगल साम्राज्‍य की राजधानी भी रहा। इस शहर का निर्माण अकबर ने स्‍वयं अपनी निगरानी में करवाया था। अकबर नि:संतान था। संतान प्राप्ति के सभी उपाय असफल होने पर उसने सूफी संत शेख सलीम चिश्‍ती से प्रार्थना की। इसके बाद पुत्र जन्‍म से खुश और उत्‍साहित अकबर ने यहाँ अपनी राजधानी बनाने का निश्‍चय किया। लेकिन यहाँ पानी की बहुत कमी थी इसलिए केवल १५ साल बाद ही राजधानी को पुन: आगरा ले जाना पड़ा।
फतेहपुर सीकरी
—  नगर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला आगरा
जनसंख्या 28,754 (2001 के अनुसार )

निर्देशांक: 27°05′41″N 77°39′46″E / 27.094663°N 77.662783°E / 27.094663; 77.662783


मुख्य इमारतें

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फ़तेहपुर सीकरी में अकबर के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं। यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है। 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाजे के अंदर पहुंचता है। दरवाजे में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं। शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं। बुलंद दरवाजे को, 1602 ई. में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था। इसी दरवाजे से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करना होता है। बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। मज़ार या समाधि के पास उनके संबंधियों की क़ब्रें हैं। मस्जिद और मज़ार के समीप एक घने वृक्ष की छाया में एक छोटा संगमरमर का सरोवर है। मस्जिद में एक स्थान पर एक विचित्र प्रकार का पत्थर लगा है जिसकों थपथपाने से नगाड़े की ध्वनि सी होती है। मस्जिद पर सुंदर नक़्क़ाशी है। शेख सलीम की समाधि संगमरमर की बनी है। इसके चतुर्दिक पत्थर के बहुत बारीक काम की सुंदर जाली लगी है जो अनेक आकार प्रकार की बड़ी ही मनमोहक दिखाई पड़ती है। यह जाली कुछ दूर से देखने पर जालीदार श्वेत रेशमी वस्त्र की भांति दिखाई देती है। समाधि के ऊपर मूल्यवान सीप, सींग तथा चंदन का अद्भुत शिल्प है जो 400 वर्ष प्राचीन होते हुए भी सर्वथा नया सा जान पड़ता है। श्वेत पत्थरों में खुदी विविध रंगोंवाली फूलपत्तियां नक़्क़ाशी की कला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों में से हैं। समाधि में एक चंदन का और एक सीप का कटहरा है। इन्हें ढाका के सूबेदार और शेख सलीम के पौत्र नवाब इस्लामख़ाँ ने बनवाया था। जहाँगीर ने समाधि की शोभा बढ़ाने के लिए उसे श्वेत संगमरमर का बनवा दिया था यद्यपि अकबर के समय में यह लाल पत्थर की थी। जहाँगीर ने समाधि की दीवार पर चित्रकारी भी करवाई। समाधि के कटहरे का लगभग डेढ़ गज़ खंभा विकृत हो जाने पर 1905 में लॉर्ड कर्ज़न ने 12 सहस्त्र रूपए की लागत से पुन: बनवाया था। समाधि के किवाड़ आबनूस के बने है।

चित्र दीर्घा

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जनसाँख्यकी

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सन्दर्भ

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बाह्य कडि़याँ

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