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मीटस (उपग्रह)

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सन् १९९६-९७ में गैलिलेओ यान द्वारा ली गयी मीटस की झलकी

मीटस (यूनानी: Μήτις, अंग्रेज़ी: Metis) बृहस्पति ग्रह का सब से अंदरूनी उपग्रह है। इस ग्रह के अस्तित्व के बारे में सब से पहले १९७९ में पता चला जब अंतरिक्ष यान वॉयेजर प्रथम बृहस्पति के पास से गुज़रा और मीटस को उसके द्वारा खींची गयी तस्वीरों में देखा गया।[1][2] उसके बाद १९९६ से लेकर सितम्बर २००३ तक गैलिलेओ यान (जिसे बृहस्पति मण्डल का अध्ययन करने भेजा गया था) ने भी इसके कई चित्र उतारे। मीटस के बृहस्पति के इतना पास होने से और बृहस्पति से इतना छोटा होने से यह उपग्रह बृहस्पति की स्थिरमुखी परिक्रमा करता है, यानि परिक्रमा करते हुए मीटस का एक ही रुख़ हमेशा बृहस्पति की ओर होता है। बृहस्पति के तगड़े गुरूत्वाकर्षक खिचाव से इस उपग्रह की गोलाई भी बेढंगी हो गयी है - इसकी लम्बाई इसकी चौड़ाई से दो गुना अधिक है। यह उपग्रह बृहस्पति की रोश सीमा के अन्दर आता है और यदि मीटस में अंदरूनी चिपकाव कम होता तो बृहस्पति का भयंकर गुरुत्वाकर्षण इसे तोड़ चुका होता। वैज्ञानिकों का मानना है के इस उपग्रह के कुछ अंशों का चूरा बनकर बृहस्पति की मुख्य उपग्रही छल्ले के बनने में प्रयोग हुआ है।

मीटस का अकार ६० - ४० - ३४ कीमी है (लम्बाई, चौड़ाई, गहराई)।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. ब्रायन जी॰ मार्ज़डॅन (१९८०-०८-२६). "बृहस्पति के उपग्रह (सैटलाइट्स ऑफ़ ज्युपिटर, अंग्रेज़ी में)". अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ की घोषणाएँ (आई॰ए॰यु॰ सर्क्युलर्ज़). ३५०७. मूल से 14 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मई 2011.
  2. सायनॉट, ऍस॰पी॰ (१९८१). "१९७९जे३: बृहस्पति के अब तक अज्ञात एक उपग्रह की खोज (डिस्कवरी ऑफ़ अ प्रीव्यस्ली अन्नोन सैटलाइट ऑफ़ ज्युपिटर, अंग्रेज़ी में)". साइंस. २१२ (४५०१): १३९२. PMID 17746259. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0036-8075. डीओआइ:10.1126/science.212.4501.1392. बिबकोड:1981Sci...212.1392S. मूल से 12 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मई 2011.