ताँत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ताँत संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ तन्तु]
१. भेड़ बकरी की अँतड़ी, या चौपायों के पुट्ठों को बटकर बनाया हुआ सूत । चमडे़ या नसों की बनी हुई डोरी । इससे धनुष की डोरी, सारंगी आदि के तार बनाए जाते हैं । मुहा॰—ताँत सा = बहुत दुबला पतला । ताँत बाजी और राग बूझा = जरा सी बात पाकर खूव पहचान लेना । उदा॰—घर की टपकी बासी साग । हम तुम्हारी जात बुनियाद से वाकिफ हैं । ताँत बाजी और राग बूझा ।—सैर कु॰, पृ॰ ४४ ।
२. घनुष की डोरी ।
३. डोरी । सूत ।
४. सारंगी आदि का तार । जैसे, ताँत बाजी राग बूझा । उ॰—(क) सो मैं कुमति कहउँ कोहि भाँती । बाज सुराग कि गाँड़र ताँती ।—तुलसी (शब्॰) । (ख) सेइ साधु गुरु मुनि पुरान श्रुति बूभ्यो राग बाजी ताँति ।—तुलसी (शब्द॰) ।
५. जुलाहों का राछ ।