5) Delineation & Dynamic Configuration: Topics
5) Delineation & Dynamic Configuration: Topics
5) Delineation & Dynamic Configuration: Topics
TOPICS
1 Definition of Delineations
2 Definition of Dynamic Configurations
Simple
Astrological Not Possible
Model
Complex Model
Systematic Approach Inter related parameters
Astrological
Delineation we mean describing ideas, thoughts and events through drawings, picture or
sketches, here it is horoscope.
To decipher the charts for astrological predictions is an art called "Delineation of horoscope".
An astrologer is to read such a chart and draw a picture in his mind to reveal the past and
future events.
Delineation & Dynamic Configuration:
Delineation:
Accurately cast horoscope.
The position of planets in different vargas, the strength of the planets etc. are all to be
considered.
Dynamic Configurations:
Dasa Systems
The study of the order of the Vimshottari dasha.
Logic : There may be good yogas (combination of planets) present in the chart,
unless the favourable dasha comes it is not posssible to get their results.
Delineation:
सू म वचार हे तु
Nakshatras
Internal Links
References
Correct chart & House
points
Intermingling of
Karakatatwa as per Rules &
Experiences
Correct References
Delineations:
Calcuative Part :
Preparation of Chart,
Varga Chart,
Calculation of Dashas
Analysis :the Main Pillars of Analysis:
House / Bhava : Promise
House Lord/ Bhavesh : Manager
Karaka : Quality
→ इस संदभ म एक अ य स धा त यह है क दशानाथ को ल न के प म
लेकर अ य सभी भाव का अ ययन करना चा हए और यह दे खना चा हए क
उस दशा म कौन से भाव शुभाशुभ फल दगे। उदाहरणत: दशानाथ से वतीय
भाव धन, तत
ृ ीय भाव भाइय , चतुथ भाव भू-स प आ द इसी कार सभी
भाव अपने-अपने भाव से स बि धत वषय को इं गत करगे। यह फलद पका
म दया गया एक मह वपूण नयम है ।
Important for Calculation:
→ Ayanamsha: Lahiri Chitra Paksha
→ Correct Ephemeris / Correct Ephemeris based softwares.
→ Cross checking of divisional charts.
CHART:
Prosperity & flourishing
Trikona from
any reference
Planets (in) & lords of Mutual trines make each other prosper
Sustenance
Kendra from
any reference
Planets (in) & lords of Quadrants from any reference sustain eachother
Bhava
Step 3: के और कोण म ि थत ह
BPHS:
Step 4: कु डल म ि थत राजयोग
कु डल म ह क ि थ त और ि थ त वश बनने वाले योग
कु डल म िजतने अ धक राजयोग ह गे, जातक उतना ह सम ध होगा और जीवन म
उ च तर ा त करे गा।
के एवं कोण के संयोग से अ य त शि तशाल राजयोग का नमाण होता है जो
जातक के जीवन म मह वपूण भू मका नभाते ह।
इन योग के अभाव म कोई भी जातक अपने जीवन म उ न त ा त नह ं कर सकता
है
Step 5: ह के बल का आंकलन:
यो तषशा बल एवं नबल ह वारा ा त होने वाले गूढ प रणाम का अ ययन
है ।
→ उदाहरणत:
o बल सूय जीवन म उ च तर स मान, क त, एवं धन-सम ृ ध के
साथ-साथ जातक को नेत ृ व करने क अदभुत मता दान करता
है , जब क नबल सूय नधनता, तनाव, स मान एवं धन क हा न
आ द कई कार के नकारा मक प रणाम दे ता है ।
o बल मंगल जहाँ जातक को तेज वी, शूरवीर, अपने यवसाय म
अ णी एवं भू-स प त वाला बनाता है , वह ं ीण मंगल दघ ु टनाओं,
झगड़ , अनेक रोग , ू र ह याओं एवं नरसंहार का कारण होता है ।
सामा य: ह के बल का सट क आकलन षडबल और अ टकवग का योग करके
कया जाता है |
बल मा ा का सूचक ह |
ले कन ह के बल के आंकलन के लए न न ल खत स धा त का योग कया जा
सकता है ।
कु डल म ह बल होगा य द
→ वह उ च का हो.
→ अपनी मूल कोण रा श म हो
→ व ह हो
→ म ह क रा श म हो.
→ शु भ ह से युत अथवा ट हो,
→ क या कोण म हो अथवा शुभ कतर योग म हो.
→ वग म शुभ हो
→ नीच रा श या अ त अथवा रा श के ारं भक एवं अि तम 5 अंश म न हो,
→ म ृ यु भाग म न हो
→ पराशर के अनुसार वषम रा श के अि तम 6 अंश अथवा सम रा श के
ारं भक 6 अंश ह के बल को कम करते ह। अथात इन अंश म ि थत
ह अपना वाभा वक बल खो दे ता है । यहां ि थत ह म ृ यु भाग म ि थत
माने जाते ह। (to be checked)
→ अ टकवग म चार से अ धक ब दओ
ु ं के साथ हो.
→ ष टम, अ टम अथवा वादश भाव म ि थत न हो।
मह वपूण : शुभ ह के लए सबसे े ठ ि थ त के एवं कोण भाव क है और
अशुभ ह के लए 3,6 एवं 11व भाव क है ।
कु डल म ह नबल होगा य द वह
→ अपनी नीच रा श म ि थत हो.
→ अ त हो.
→ रा श के ारं भक 6 अथवा अि तम 6 अंश म हो
→ म ृ यु भाग म हो,
→ श ु रा श म हो.
→ 6. 8 या 12व भाव म हो,
→ वग म ीण हो,
→ अशुभ ह के साथ हो अथवा उनसे ट हो अथवा पाप कतर म हो।
RELATIONSHIP
BETWEEN BETWEEN
BETWEEN
HOUSES VIA HOUSE AND
PLANETS
PLANET PLANET
(1) रा श प रवतन
(2) पर पर ि ट
(3) You are in my sign
and I am aspecting You
मु य (3) एकल ि ट
(4) I am in Your sign
and I am aspecting You
(5) यु त
Relationship
between
(6) न प रवतन
planets
(7) कोण स ब ध
गौण : सधम स ब ध
(8) क स ब ध
मरणीय ब दःु
फलद पका के अनुसार य द वचारणीय भाव का वामी ल न से 6. 8 या 12व भाव म ि थत
है तो भाव का वनाश होता है । यह प रणाम उस ि थ त म भी ह गे जब 6.8 या 12व भाव
का वामी वचारणीय भाव म ि थत होता है ।
फलद पका के अनुसार ह य द ल न या वचारणीय भाव से 6,8 या 12 भाव म अशुभ ह
ि थत ह तो भी भाव का वनाश होता है ।
कु डल का ल नेश सदै व ह शुभ होता है । िजस भाव म ल नेश ि थत होता है उस भाव से
स बि धत प रणाम म उ न त होती है और शभ फल ा त होते ह। य द उस भाव का वामी
भी ल नेश क यु त या ि ट से भा वत हो तो ा त होने वाले शभ
ु प रणाम म अ धक
शुभता आ जाती है ।
फलद पका के अनुसार एक-एक रा श का वामी होने के कारण सूय एव च मा को अ टमेश
होने का दोष नह ं लगता है । अथात य द सूय या च मा अ टम भाव के वामी भी ह तो वह
अशुभ नह ं कहलाते ह।
उदाहरणत:
→ मकर ल न के लए अ टमेश सूय, आयु य कारक होने के कारण और धनु
ल न के जातक के लए, ल नेश क उ च रा श का वामी होने के कारण
अ टमेश च मा अशुभ नह ं होता है ।
वचारणीय भाव का वामी, ज म न से 3रे , 5व या 7व न म नह ं होना चा हए य क
ज म न से 3रा न वपत तारा 5वा न तहार तारा और 7वां न वध तारा
कहलाता है। फलद पका के अनुसार इन न का वामी अशुभ होता है ।