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5) Delineation & Dynamic Configuration: Topics

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गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

5) DELINEATION & DYNAMIC CONFIGURATION

TOPICS
1 Definition of Delineations
2 Definition of Dynamic Configurations

DELINEATION & DYNAMIC CONFIGURATION


 Human Life is a very complicated thing and it is silly and unscientific to expect a simplistic
model for the complicated human life. We use model of delineations and dynamic
configuration to depict human life. Vedic astrology has too many parameters used in chart
analysis; they are all important as they give us the degrees of freedom necessary for
modeling something as complicated as human life. However, if we do not understand what
each parameter means and end up using them in a mixed-up way, we will get nowhere.
Human life

Simple
Astrological Not Possible
Model

Complex Well defined Parameter

Complex Model
Systematic Approach Inter related parameters
Astrological

Well defined and logical


Rules for inter-relation

 Delineation we mean describing ideas, thoughts and events through drawings, picture or
sketches, here it is horoscope.
 To decipher the charts for astrological predictions is an art called "Delineation of horoscope".
 An astrologer is to read such a chart and draw a picture in his mind to reveal the past and
future events.
 Delineation & Dynamic Configuration:
 Delineation:
 Accurately cast horoscope.
 The position of planets in different vargas, the strength of the planets etc. are all to be
considered.
 Dynamic Configurations:

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

 Dasa Systems
 The study of the order of the Vimshottari dasha.
 Logic : There may be good yogas (combination of planets) present in the chart,
unless the favourable dasha comes it is not posssible to get their results.

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

 Delineation:

Rashi Chart : D-1


Bhava Chalit : Sripati
Charts
Varga Charts
Transit Chart
Manager
Planets
Karakas : Quality
Factors for delineations

Environment for Planet


Rashi Dignity of planet
Lordships
Bhava Promise & Aspect of Life

सू म वचार हे तु
Nakshatras
Internal Links

Dasha Timing of Event


Systems Prarabdha or Dridha Karma

Transit & Current Karma


Ashtakvarga Adhridha Karma

Yogas Dridha-Adridha Karma

References
Correct chart & House
points

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

Rules for delineation


Understanding Factor

Not Mixing up Factor

Intermingling of
Karakatatwa as per Rules &
Experiences

Correct References

 Delineations:
 Calcuative Part :
 Preparation of Chart,
 Varga Chart,
 Calculation of Dashas
 Analysis :the Main Pillars of Analysis:
 House / Bhava : Promise
 House Lord/ Bhavesh : Manager
 Karaka : Quality

STEP BY STEP ANALYSIS OF KUNDALI


 कसी भी कु डल के वारा भ व य कथन कहने से पहले न न ल खत मह वपूण factors का
मब ध अ ययन या व लेषण आव यक है ।
 Step1: शु ध ग णतीय गणनाओं पर आधा रत न न ल खत च :
 ज म कु डल / रा शच / ल न कु डल
 च कु डल
→ मह ष पराशर के अनुसार कसी भी कु डल का अ ययन केवल ल न
कु डल से ह नह ं अ पतु च मा को ल न मानकर भी करना चा हए।
 नवांश एवं स बि धत वग कु ड लयां:
→ नवांश कु डल , एक मह वपूण वग कु डल है और शा ानुसार इसका वचार
कए बना कोई भी भ व यकथन कदा प नह ं करना चा हए।
→ सामा य नयमः

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

o य द कोई ह राशी कु डल म अनुकूल है ले कन नवांश कंु डल म


नीच अथवा श ु भाव अथवा अशुभ भाव म होने के कारण नबल
हो जाता है तो रा श कु डल के शुभ प रणाम म कमी करता है ।
इसके वपर त य द नवमांश कु डल म ह क ि थ त म सुधार
होता है तो वह रा श कु डल के शुभ प रणाम को दे ता है । य द ह
रा श एवं नवांश कु डल दोन म ह बल होता है तो उसम सव म
प रणाम दे ने क पूण मता होती है ।
 भाव चा लत कंु डल ( ीप त)
→ ीप त
→ ीप त (Equal House )
→ Usually I prefer 1st. But one should use and observe both.
The difference is just in extension & cusp of the Houses.
→ This is one of the most important and neglected chart.
→ Parashar has given some indirect references suggesting
that he supported house division placing houses in 2
Rashis. However, there are quite a few direct references
make it clear that each hose falls in one rashi.
→ Example.
→ भावो पर भाव तथा भावो का बल ह मु यतया जीवन म promises/
ार ध ज नत फलो को बताता ह | अंत: भावो का सह न पण
(determination/ definition) तथा उनपर पड़ने वाले भाव का सह
व लेषण अ त आवशयक है |
→ पर तु यहाँ यह वचारणीय है क जै मनी तथा पाराशर ि टय को यान म
रखा जाये |
→ यह भी उ लेखनीय है क life ke aspects को भावो वारा ह इं गत
कया जाता है न क रा शय वारा | जैसे धन के लए वतीय भाव या
ववाह के लए स तम भाव |
 दशा च ः
→ This is a part of dynamism.
→ One should at least know and observe three dashas.
→ The preferred dashas for learning and observing:
o व शो र दशा : (120 years period)
(1) A lot of written and observed is available
regarding this dasha.
o यो गनी दशा: (36 years period)
(1) It is an easy dasha.
(2) But new methodology is needed to apply.
o जै मनी चर दशा
o जै मनी ि थर दशा
o जै मनी मंडूक दशा
→ एक कु डल म सभी कार के राजयोग हो सकते ह ले कन य द उ चत दशा
न हो तो इन योग म फल दे ने क मता नह ं होती है अथवा कभी-कभी ह
इनसे संबं धत फल ा त होते ह।

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

→ इस संदभ म एक अ य स धा त यह है क दशानाथ को ल न के प म
लेकर अ य सभी भाव का अ ययन करना चा हए और यह दे खना चा हए क
उस दशा म कौन से भाव शुभाशुभ फल दगे। उदाहरणत: दशानाथ से वतीय
भाव धन, तत
ृ ीय भाव भाइय , चतुथ भाव भू-स प आ द इसी कार सभी
भाव अपने-अपने भाव से स बि धत वषय को इं गत करगे। यह फलद पका
म दया गया एक मह वपूण नयम है ।
 Important for Calculation:
→ Ayanamsha: Lahiri Chitra Paksha
→ Correct Ephemeris / Correct Ephemeris based softwares.
→ Cross checking of divisional charts.
 CHART:
Prosperity & flourishing
Trikona from
any reference
Planets (in) & lords of Mutual trines make each other prosper

Sustenance
Kendra from
any reference
Planets (in) & lords of Quadrants from any reference sustain eachother
Bhava

Force / Factors causing gain & growth.


Upachya from
any reference Planets (in) & lords of Upachya from any reference are forces / factors
causing gain & growth.

Forces and factors causing setbacks


Dusthana/
द:ू थान Planets (in) & lords of dusthana from any reference are factor & forces
that cause setbacks.

Argala Decisive Influences

 Step 2: ल न कु डल का सामा य आकलन/ General Analysis of Lagna


Kundali
 कु डल म कतने ह उ च के ह
 कु डल म कतने ह अपने भाव को ट कर रहे ह।
→ इन ि थ तय म ये भाव बल हो जाते ह और अपने कारक व के अनु प पूण
प रणाम दे ते ह।
 ल न म उ दत रा श एवं च मा वारा गहृ त रा श
→ कु डल म ल न भाव जीवन एवं जीवनार भ को इं गत करता है , अत: सबसे
मह वपूण भाव होता है ।
o कु डल के सभी भाव और उनसे ा त होने वाले सभी शुभाशुभ फल
इस भाव पर नभर ह।
o उदाहरणत:
(1) क या रा श, एक बु धमान रा श है , ले कन इसम रोग से
लड़ने क तरोधक मता क कमी होती है । क या ल न

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

का जातक ह के जुकाम के ल ण होने पर ह ब तर म


पड़ जाएगा ।
(2) जब क मेष रा श का जातक 100 ड ी ताप होने पर भी
चु त और घूमता- फरता दखाई दे गा। अथात मेष ल न का
जातक सामा य या धय से चि तत नह ं होता है अ पतु
इनम संघष करने क अदभुत मता होती है ।
 कु डल म ह क ि थ त:
→ ह वारा गहृ त रा शय क कृ त का व लेषण
o Male-Female
o चर – ि थर – व वभाव
o Element: अि न – प ृ थवी – वायु - जल
o Directions
o Animal – Mineral – Vegetable.
o Bestial
o Blind-Diurnal-Nocturnal
o Double/ Multiplicity
o Dry-Dependent
o इ या द
→ ह वारा गहृ त भावो क कृ त का व लेषण
→ Examples
o य द कु डल म अ धकतर ह चर रा शय म ि थत हो तो जातक
या ा करने का शौक न होगा, काला तर म वह अ या धक या ाय
करे गा और ऐसे जातक के वचार म समयानुसार प रवतन होता
रहता है ।
o य द कु डल म अ धकतर ह ि थर रा शय म ि थत हो तो जातक
के वचार ढ वाद और कायशैल नि चत कृ त क होगी। ऐसे
जातक सामा यत: एक ह थान म रहना पस द करते ह एवं रहते
भी ह. समयब ध होकर लगातार काय करते ह और कल-कारखाने
था पत करने म द होते ह।
o िजन जातक क कु डल म अ धकतर ह व वभाव रा शय म
होते ह उनको म त प रणाम ा त होते ह। सामा यतः ऐसे
जातक के वचार ि थर नह ं होते ह और पल-पल म बदलते रहते
ह।
o य द कु डल म अ धकतर ह अि न त व रा शय म ि थत है तो
जातक साहसी होगा, उसम अ या धक उ साह होगा. उसके वचार
उ च ह गे और उसे जीवन म उपलि धयां ा त करने क बल
इ छा होगी।
o प ृ वी त व रा शय म ि थत अ धकतर ह जातक को योगा मक
सोच वाला अथात यवहा रक और उ योगी बनाते ह,
o वायु त व म ि थत ह जातक को बु धमान एवं पठन-पाठन के
त आस त

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

o जल त व म ि थत ह जातक को भावुक, स मा नत, बु धमान


ले कन अि थर मान सक ि थत को बनाते ह।

 Step 3: के और कोण म ि थत ह
 BPHS:

 व णु थान : Quadrants from any house sustain each other


 ल मी थान : Trikon from any house make each other prosper
 के एवं कोण है इन थान म ि थत शुभ ह बहुत बल होते ह और जीवन म
अ धकतम सुख-सु वधा ा त करने के लए शुभ ह का बल होना अ य त
आव यक है ।
 य द के म ि थत ह, व ह या उ च के ह तो यह सम ृ ध के सूचक, महापु ष
योग बनाते ह। कु डल म ह क भाव ि थ त को दे खकर शुभ ह के लए सव म
थान
 य द के म ि थत अशुभ ह उ च के या व ह न ह तो जीवन म सम याय
दे ने के लए अ या धक शि तशाल हो जाते ह।
 अशुभ ह के लए सव तम थान तत ृ ीय, ष टम एवं एकादश भाव है
 3, 6, 11 भाव का वा म व इ ह अ धक दु ट बना दे ता है । इन भाव म ि थत
होकर अशुभ ह अ या धक शुभ प रणाम दे ते ह।
 िजस कु डल म शभ
ु ह के म और अशभ
ु ह 3, 6 एवं 11व भाव म ि थत
होते वह कु डल अ या धक बल कु डल मानी जाती है और ऐसी
कु डल का जातक अपने जीवन म अ या धक उ न त एवं ग त करता है ।

 Step 4: कु डल म ि थत राजयोग
 कु डल म ह क ि थ त और ि थ त वश बनने वाले योग
 कु डल म िजतने अ धक राजयोग ह गे, जातक उतना ह सम ध होगा और जीवन म
उ च तर ा त करे गा।
 के एवं कोण के संयोग से अ य त शि तशाल राजयोग का नमाण होता है जो
जातक के जीवन म मह वपूण भू मका नभाते ह।
 इन योग के अभाव म कोई भी जातक अपने जीवन म उ न त ा त नह ं कर सकता
है
 Step 5: ह के बल का आंकलन:
 यो तषशा बल एवं नबल ह वारा ा त होने वाले गूढ प रणाम का अ ययन
है ।

। स यं ू यात ् , यं ूयात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

→ उदाहरणत:
o बल सूय जीवन म उ च तर स मान, क त, एवं धन-सम ृ ध के
साथ-साथ जातक को नेत ृ व करने क अदभुत मता दान करता
है , जब क नबल सूय नधनता, तनाव, स मान एवं धन क हा न
आ द कई कार के नकारा मक प रणाम दे ता है ।
o बल मंगल जहाँ जातक को तेज वी, शूरवीर, अपने यवसाय म
अ णी एवं भू-स प त वाला बनाता है , वह ं ीण मंगल दघ ु टनाओं,
झगड़ , अनेक रोग , ू र ह याओं एवं नरसंहार का कारण होता है ।
 सामा य: ह के बल का सट क आकलन षडबल और अ टकवग का योग करके
कया जाता है |
 बल मा ा का सूचक ह |
 ले कन ह के बल के आंकलन के लए न न ल खत स धा त का योग कया जा
सकता है ।
 कु डल म ह बल होगा य द
→ वह उ च का हो.
→ अपनी मूल कोण रा श म हो
→ व ह हो
→ म ह क रा श म हो.
→ शु भ ह से युत अथवा ट हो,
→ क या कोण म हो अथवा शुभ कतर योग म हो.
→ वग म शुभ हो
→ नीच रा श या अ त अथवा रा श के ारं भक एवं अि तम 5 अंश म न हो,
→ म ृ यु भाग म न हो
→ पराशर के अनुसार वषम रा श के अि तम 6 अंश अथवा सम रा श के
ारं भक 6 अंश ह के बल को कम करते ह। अथात इन अंश म ि थत
ह अपना वाभा वक बल खो दे ता है । यहां ि थत ह म ृ यु भाग म ि थत
माने जाते ह। (to be checked)
→ अ टकवग म चार से अ धक ब दओ
ु ं के साथ हो.
→ ष टम, अ टम अथवा वादश भाव म ि थत न हो।
 मह वपूण : शुभ ह के लए सबसे े ठ ि थ त के एवं कोण भाव क है और
अशुभ ह के लए 3,6 एवं 11व भाव क है ।
 कु डल म ह नबल होगा य द वह
→ अपनी नीच रा श म ि थत हो.
→ अ त हो.
→ रा श के ारं भक 6 अथवा अि तम 6 अंश म हो
→ म ृ यु भाग म हो,
→ श ु रा श म हो.
→ 6. 8 या 12व भाव म हो,
→ वग म ीण हो,
→ अशुभ ह के साथ हो अथवा उनसे ट हो अथवा पाप कतर म हो।

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


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 Step 6: द:ु थान क भू मका:


 बहृ पराशर होराशा म 6व, 8व और 12व भाव को द ु ट थान/ द:ु कहा गया है ।
 ये भाव नकारा मक भू मका के साथ द ु ट वभाव वाले होते ह और कु डल म
वपर त भाव डालते ह।
 ष ट भाव उपचय भाव होने के पय त भी ऋण, रोग एवं श ु भाव है ,
 अ टम भाव दघ ु टनाओं, गभीर रोग , चोर , कावट , त एवं मृ यु का भाव है तथा
वादश भाव यय, वनाश, हा न एवं पतन का भाव है ।
 ये भाव ह दु ट नह ं होते ह अ पतु इनके वा मय म भी अशुभता दान करने क
मता होती है ।
 िजस भाव का वामी, 6 व. 8व एवं 12व भाव म ि थत होता है और िजन भाव म
इनके वामी ि थ त होते ह, उन भाव के नैस गक कारक व वतः ह न ट हो जाते
ह।
 उदाहरणत:
→ य द ल नेश इन भाव म से कसी भी भाव म ि थत हो और अशुभ ह क
यु त या ि ट से भा वत हो तो वा य ह हा न होगी।
→ यद वतीये श अथात धनेश क6 8 अथवा 12व भाव म ि थ त धन के
ि टकोण से शुभ नह ं होगी। ऐसी ह ि थ त तब भी होगी जब 6.8 या
12व भाव का वामी, वतीय भाव म ि थत होगा और इसी कार अ य
भाव के संदभ म प रणाम ा त ह गे।
 वशेष: कसी भी भाव को बरु ा या दु ट भाव नह ं मानना चा हए य क सभी भाव
दै वीय स धांत के एक भाग होते ह िजनके कुछ काय वशेष होते ह।
→ अ टम भाव
o वजय ा त करने के लए शुभ है ,
o समा ध एवं गु ता ान का भाव है
o मो कोण का एक मह वपूण भाग है जो शर र म कु डलनी
जागरण के लए अ छा एवं गहन खोज के लए आव यक है तथा
वादश भाव मो ा त अथात अि तम स य को ा त करने के
लए आव यक है ।
 Step 7: न ः
 न के नाम, उनके वा मय के नाम, उनके दे वताओ के नाम एवं उनके म को
याद रखना अ तआव यक है ।
 सामा य नयमानुसार य द ह , शु भ ह के न अथवा अपने न म ि थत हो
तो अ त र त नैस गक बल ा त करता है ।
 न सु म संबंधो का आधार है |
 इसके अ त र त भी न अ य कई कार से मह वपूण होते ह।
→ उदाहरणत: भरणी न को अ छा नह ं माना जाता है ।
→ ी के.एन. राव क स ध भ व यवाणी क श न का रो हणी न म
वेश, व व को यु ध क ओर अ सर करता है और संसार म ाकृ तक
आपदाय घ टत होती है , कई बार स य स ध हुई है। 11 सत बर, 2001
को जब श न रो हणी न म था, आंतकवा दय वारा व ड े ड से टर को

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


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वंस कया गया| इस घटना के फल व प अफगा न तान म यु ध, ता लबान


का स ा यत
ु होना, व व के व भ न भाग म आग, बाढ़, अकाल क
घटनाएं, भारत-पाक सीमा ववाद आ द घटनाय ह दू यो तष शा एवं
व भ न शा ीय थ म व णत स धांत के स य को मा णत करती ह।
 Step 8: दशा च : ार ध
 ज म के समय ा त होने वाल दशा, जातक के अपने पूव ज म के कम का ह
प रणाम होती है ।
 य द कोई जातक जीवन क ारं भक अव था म अ छे ह क दशा, जैसे क शुभ
ह या ल नेश या नवमेश क दशा ा त करता है तो उस जातक को जीवन के
शु आत म ह अ त र त लाभ ा त हो जाता है । ऐसा जातक अ छ श ा ा त
करता है िजसके प रणाम व प उसक धनोपाजन क अ छ संभावनाय बल हो
जाती ह।
 पंचम भाव पूव ज म के पु य कम को दशाता है , अत: इस संदभ म पंचमेश क
दशा पर वशेष यान दे ना चा हए। य द पंचमेश पी डत है और इसक दशा आती है
तो यह दशाकाल वशेष क टदायक होगा य क इस समय जातक को पछले ज म
के पाप कम के फल काश म आ जाएग।
 उ च के ह, ल नेश आ मकारक एवं दशमेश क दशा म जीवन क सबसे अ धक
े ठ दशाय होती ह।
 लघु-पाराशर नयमो के अनुसार ह व शो र दशा म ह के शुभाशभ
ु फलो का
नणय लया जाता ह |
 उदाहरण:
→ भारत के वग य धानमं ी, जवाहर लाल नेह को जीवन के सह समय पर
सह दशा ा त हुई िजसके प रणाम व प वह भारत म ह नह ं अ पतु पूरे
व व म स ध हुए। 1947 म उनक बल ल नेश, च मा क दशा चल
रह थी और उसके बाद 1948 से उ ह बल दशमेश मंगल क दशा ा त
हुई जो दशम भाव को ट कर रहा है । उनका दशम भाव अपने वामी
मंगल के साथ-साथ बुध, शु एवं बह
ृ प त, तीन-तीन शुभ ह से ट होने
के कारण अ या धक बल था।
 Step 9: शुभाशुभ भाव के समूहः
 ज मकु डल म दो कार के भाव होते ह:
→ समूह 1: शुभ भाव का समूह है ।
o इसम 1.4.7 एवं 10 भाव (अथात सभी के भाव) ,
o पंचम एवं नवम भाव (अथात काण भाव) और
o 2nd (धन भाव) एव 11व भाव ( ाि त का भाव)
→ समूह 2: अशुभ भाव के इस समूह म
o 3रा, 6वां, 8वां और 12वां भाव शा मल होते ह।
→ समूह 1 के भाव के वा मय का एक-दस ू रे से स ब ध धनयोग बनाता है
जो धना द शभ
ु प रणाम दे ता है ।
o उदाहरण के लए ल नेश का चतुथश या स तमेश या दशमेश से
स ब ध शुभ माना जाता है और यह धनदायक स ब ध होता है ।

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


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→ इसी कार पंचमेश का ल नेश, चतुथश, स तमेश अथवा एकादशेश से


स ब ध होना भी शुभ माना जाता है ।
→ समूह 2 के भाव के वा मय का आपसी स ब ध भी धन-स प त दायक
होने के कारण शुभ माना जाता है ।
→ ले कन समूह 1 के भाव के कसी भी वामी का समूह 2 के कसी भी भाव
के वामी के साथ स ब ध अशुभ प रणाम दायक द र योग बनाता है , अतः
शुभ नह ं माना जाता है ।
 Step 10: वगहृ अथवा अपने भाव को ट करने वाले हः (IMPORTANT)
 फलद पका के मतानुसार िजन भाव म उनका वामी ि थत होता है अथवा जो भाव
अपने वामी वारा ट होते ह तथा अशुभ ह से यु त या ट वारा भा वत
नह ं होते उन भाव म अ त र त नैस गक बल होता है और चाहे भावेश अ त अथवा
नीच का होकर ह य न यह स ब ध बनाये, जातक को उन भाव से स बि धत
अ छे प रणाम नि चत प से ा त होते ह।
 दस
ू रे श द म यह कह सकते ह क कोई भी ह कु डल के कसी भी भाव म य द
वरा श का होकर ि थत हो अथवा वरा श के भाव को ट करता है तो उस भाव
वशेष के फल म व ृ ध करता है और अ न ट फल को नग य करता है ।
→ उदाहरण
o नैस गक अशुभ एवं वनाशकार व ृ त वाला ह श न. मकर रा श
का होकर अ टम भाव म ि थत होने पर भी अ टम भाव स बि धत
शुभ प रणाम दे ता है य क मकर इसक वरा श होती है । ऐसा
श न जातक को द घायु बनाता है . अचानक धन लाभ कराता है ,
पैतक
ृ धन-स प त दलाता है और जातक को दघ
ु टना से बचाता है ।
य य प नवमेश होकर अ टम म होने से वह नवम भाव के
कारक व को न ट कर दे ता है । उदाहरणत: जातक भा यवान नह ं
होता है , उसक सफलता क राह म अड़चने अ धक होती ह और
श न, क दशा म जातक के पता को अ र ट दे सकता है आ द।
o क या ल न के लए श न पंचमेश एवं ष टे श होता है अथात एक
शुभ भाव और दस
ू रा अशुभ भाव। य द यह पंचम भाव म ि थत हो
तो य य प यह नैस गक अशुभ ह है ले कन यह यहां अपनी रा श
म ि थत है अत: पंचम भाव स बि धत शुभ प रणाम जैसे क
अ छ स तान, अ छ श ा, लाटर आ द अचानक लाभ ाि त म
भा य, ेम आ द दे गा, ले कन य क यह ष टे श भी है तो इन
प रणाम म कुछ कावट एवं अवरोध भी ह गे जैसे क जातक क
श ा तो होगी ले कन उ च तर क नह ं, स तान तो होगी ले कन
अ धक नह ं आ द।
 Step 11: ह का शुभाशुभ भाव का वा म व
 य द कोई ह शुभाशुभ दोन कार के भाव का वामी हो तो सामा य व लेषण म
यह दे ख क ह क मू ल कोण रा श कस भाव म है । य द ह क मू ल कोण
रा श शुभ भाव म होती है तो इससे ा त होने वाले अ धकतर प रणाम सुखद होगा ।
 उदाहरणत:

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

→ मथुन ल न के लए श न अ टमेश एवं नवमेश होता है । चंू क श न क


मूल कोण रा श नवम भाव अथात शुभ भाव म पड़ती है अत: मथुन ल न
के लए श न के अ धकतर प रणाम शुभ ह होगे।
→ क या ल न के लए श न पंचमेश एवं ष टे श होता है और इसक मूल कोण
रा श अ टम भाव म पड़ती है अत: श न के प रणाम अ धक शुभ नह ं ह गे
य य प इनम पंचमेश के शुभ व का म ण भी होगा।
 Step 12: भाव, भावेश एवं कारक :
 कसी भी भाव का व लेषण करते समय न न ल खत तीन अ यय को यान म रखना
चा हए:
 भाव: (Promise) य द भाव, भावेश या शुभ ह से ट हो अथवा भावेश या शुभ
ह वारा गह
ृ त हो अथवा शुभ कतर योग म हो तो बल माना जाता है । इसके
वपर त य द कसी भी भाव म अशुभ ह ि थत हो या भाव अशुभ ह से ट हो
एवं भावेश से अ ट हो भाव ीण या नबल माना जाता है ।
→ उदाहरणतः
o यद वतीय भाव वतीये श या शुभ ह से गह
ृ त हो अथवा ट
हो तो जातक के पास धन-स प त होगी. जातक वाकपटु और
पारवा रक सं कार से सुसं कृत होगा, यह नि चत है । जातक क
इन वशेषताओं क मा ा कु डल म ि थत अ य शुभ योग पर भी
नभर होगी इसी कार अशुभ ह का भाव वतीय भाव के शुभ
फल को न ट कर दे गा।
 भाव का वामी ह अथात भावेश : (Manager)
→ िजस भाव म जो रा श ि थत हो, उस रा श का वामी उस भाव का वामी
अथात भावेश कहलाता है । (Manager)
→ िजस रा श म भावेश होता है . उस रा श का वामी, उस ह का
Dispositor कहलाता है ।
o उदाहरण: य द कु डल म च मा, विृ चक रा श का होकर चतुथ
भाव म बैठा है तो विृ चक रा श का वामी मंगल, चतुथश भी
कहलाएगा और च मा का dispositor भी कहलाएगा।
→ कु डल म ह के साथ-साथ इसके dispositor का भी बल होना आव यक
है अथात वामी ह को कु डल के 6.8 या 12 भाव नह ं होना चा हए।
→ भाव के साथ-साथ, भावेश का भी बल होना, भाव के कारक व म व ृ ध
करता है ।
 कारक:
→ येक भाव के कारक ह भी नि चत है
→ कु डल म कारक क ि थ त क ववेचना कए बना ह कोई भी पूवानुमान
करना, कसी भी ि टकोण से उ चत नह ं होता है ।
o उदाहरणत: य द हम चतुथ भाव का व लेषण करना है तो हम
चतुथ भाव एवं चतुथश के साथ-साथ इसके कारक का भी व लेषण
करना होगा य द भाव एव भावेश के साथ-साथ, कारक भी बल होगा
तो भाव के कारक व म अ धक व ृ ध होगी

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

o चतुथ भाव भू-स प त, वाहन, माता, सुख आ द का भू-स प त के


लए मंगल, वाहन के लए शु एवं माता के लए च मा कारक
होता है ।
o य द भू-स प त का कारक मंगल कु डल म बल हो तो उ च का
चतुथश अ या धक भू-स प त दे गा।
o ववाह के संदभ म स तम भाव, स तमेश के साथ-साथ ववाह के
कारक शु क ि थ त का व लेषण करना अ तआव यक है । बल
एवं शुभ ि थत शु आन ददायक एवं सफल वैवा हक जीवन के
लए अ त आव यक है ।
 कारक से भाव क ि त थ
→ चतुथ भाव, चतुथश एवं माता के कारक च मा क ि थ त के साथ-साथ
एक अ य मह वपूण अ यय, च मा से चतुथ भाव का भी अ ययन करगे।
→ पता के लए सूय से नवम,
→ स तान के लए बहृ प त का पंचम,
→ भाई-बहन के लए मंगल से ततृ ीय,
→ प नी के लए शु से स तम तथा इसी कार अ य सभी के लए भी कारक
ह से स बि धत भाव को दे खगे।
 Step 12: स ब ध:
 संबंधो के नयमो को कंु डल म सह कार से लगाना आव यक है
 स ब ध चाट :

RELATIONSHIP

BETWEEN BETWEEN
BETWEEN
HOUSES VIA HOUSE AND
PLANETS
PLANET PLANET

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।


गु य च हे य च मया बदोयम ज लः । सनमनस ते मे स यां कुव तु भारतीम ् ॥

(1) रा श प रवतन

(2) पर पर ि ट
(3) You are in my sign
and I am aspecting You
मु य (3) एकल ि ट
(4) I am in Your sign
and I am aspecting You
(5) यु त
Relationship
between
(6) न प रवतन
planets
(7) कोण स ब ध

गौण : सधम स ब ध

(8) क स ब ध

 मरणीय ब दःु
 फलद पका के अनुसार य द वचारणीय भाव का वामी ल न से 6. 8 या 12व भाव म ि थत
है तो भाव का वनाश होता है । यह प रणाम उस ि थ त म भी ह गे जब 6.8 या 12व भाव
का वामी वचारणीय भाव म ि थत होता है ।
 फलद पका के अनुसार ह य द ल न या वचारणीय भाव से 6,8 या 12 भाव म अशुभ ह
ि थत ह तो भी भाव का वनाश होता है ।
 कु डल का ल नेश सदै व ह शुभ होता है । िजस भाव म ल नेश ि थत होता है उस भाव से
स बि धत प रणाम म उ न त होती है और शभ फल ा त होते ह। य द उस भाव का वामी
भी ल नेश क यु त या ि ट से भा वत हो तो ा त होने वाले शभ
ु प रणाम म अ धक
शुभता आ जाती है ।
 फलद पका के अनुसार एक-एक रा श का वामी होने के कारण सूय एव च मा को अ टमेश
होने का दोष नह ं लगता है । अथात य द सूय या च मा अ टम भाव के वामी भी ह तो वह
अशुभ नह ं कहलाते ह।
 उदाहरणत:
→ मकर ल न के लए अ टमेश सूय, आयु य कारक होने के कारण और धनु
ल न के जातक के लए, ल नेश क उ च रा श का वामी होने के कारण
अ टमेश च मा अशुभ नह ं होता है ।
 वचारणीय भाव का वामी, ज म न से 3रे , 5व या 7व न म नह ं होना चा हए य क
ज म न से 3रा न वपत तारा 5वा न तहार तारा और 7वां न वध तारा
कहलाता है। फलद पका के अनुसार इन न का वामी अशुभ होता है ।

। स यं ू यात ् , यं ू यात ् , यो यम ् ू यात ् ।

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