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उपवास एवं शुद्धिकरण
बिना कु छ भोजन, , पेय या दोनो के
बिना कु छअवधि तक
रहना उपवास कहलाता है।
उपवास सामान्य पररचय
एवं लाभ
महत्व
• आध्यात्त्मक: भारतीय हहन्दू शास्त्रों में उपवास की
ववशेष महहमा मानी गई है. शास्त्रों में मानससक
शात्न्त-सुख- सम ृ्द्धि और मनोकामनाओं कक
पूर्ति के सलये उपवास करने की मान्यता है|
• स्त्वास्त््य के दृत्टिकोण से: अत्नन आहार को
पचाती है और उपवास दोषों को पचाता अर्ाित
नटि करता है ।
उपवास के प्रकार
• र्नजिला:
• खट्िे फलो के जूस के सार् उपवास:
• ससफि पानी के सार् उपवास:
• अन्य उपवास:
उपवास का ववज्ञान
• उपवास से आकाशतत्त्व की वद्धि होती है| यह आकाश तत्त्व
शब्द से सम्िंधित है| हमारी सुनने की शत्तत एवं िोलने की
शत्तत में यह तत्त्व ववशेष रूप से उपयोगी होता है|
• अन्न से ही मन िनता है| उपवास से मन र्नमिल िन जाता
है|
• उपवास से २६ कफि लम्िी पाचन प्रणाली को आराम समलता
है| शरीर की उजाि का उपयोग आहार पचाने में खचि होने की
िजाए रोगों को दूर करने में होता है|
• शरीर रब्िर जैसी लचीली नसलओं से िना है, यह नसलयााँ
अधिक खाते रहने के कारण फ़ै ल जाती है| उपवास में भोजन
िंद होते ही नसलयााँ ससकु ड़कर अपनी प्राकत अवस्त्र्ा में आ
जाती है|
• “भूख न लगने का मतलि है शरीर को उपवास की जरुरत
उपवास का ववज्ञान
• उपवास में लीवर GLOCOGEN को नलूकोस और
एनजी में िदल देता है| त्जससे शरीर को उजाि
समलती रहती है|
• एक ररसचि से पता चला है कक उपवास से
कोलेस्त्रोल की मारा कम होती है|
• खट्िे फलो के जूस के एससड से शरीर की सफाई हो
जाती है|
उपवास काल में एवं लम्बे उपवास को तोड़ते समय
क्या-क्या साविानी बरतनी चाहिए ?
• उपवास प्रारम्भ होने पर र्नत्य के र्नयमानुसार भोजन से
शरीर को शत्तत प्राप्त नहीं होती, अतएव इसके सलये अन्य
उपाय कामें लाने चाहहए, यर्ा-शुद्ि वायु और शुद्ि जल का
उपयोग।
• शुद्ि वायु में गहरी सांस लेने से प्राणवायु के स्त्पशि से रतत
में पहले से उपत्स्त्र्त ववषेले तत्व दूर होते हैं। उपवास काल
में कोई अप्राकर्तक खाद्य शरीर में नही जाता, अतएव
ववजातीय द्रव्य रतत में नहीं समलते तर्ा उसकी शुद्धि होती
है।
• उपवास में शुरू शुरू में खाने की चाह, स्त्नायु सम्िन्िी
व्यविान, मानससक अवसाद, ससरददि, नींद न आना आहद
लक्षण िने रहते हैं| िाद में यह सारे लक्षण ख़त्म हो जाते
है|
उपवास काल में एवं लम्बे उपवास को तोड़ते समय
क्या-क्या साविानी बरतनी चाहिए ?
• िूप-स्त्नान से शरीर को अनेक वविामीन समलते हैं
तर्ा रोगों के कीिाणु नटि होते हैं।
• उपवास काल में अधिक पानी पीना चाहहये, त्जससे
कक अधिक मूर ववसजिन के माध्यम से शरीर से
अधिक गन्दगी िाहर हो। मूर गुदो में रतत
छनकर िनता हैं, अतएव रतत में जल की
अधिकता होने से अधिक गन्दगी साफ होती है।
• उपवास वाले हदन प्रात: काल उठना चाहहए.
• उपवास के िीच सुिह-शाम प्राणायाम करना
अच्छारहता है.

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उपवास

  • 1. उपवास एवं शुद्धिकरण बिना कु छ भोजन, , पेय या दोनो के बिना कु छअवधि तक रहना उपवास कहलाता है।
  • 3. महत्व • आध्यात्त्मक: भारतीय हहन्दू शास्त्रों में उपवास की ववशेष महहमा मानी गई है. शास्त्रों में मानससक शात्न्त-सुख- सम ृ्द्धि और मनोकामनाओं कक पूर्ति के सलये उपवास करने की मान्यता है| • स्त्वास्त््य के दृत्टिकोण से: अत्नन आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता अर्ाित नटि करता है ।
  • 4. उपवास के प्रकार • र्नजिला: • खट्िे फलो के जूस के सार् उपवास: • ससफि पानी के सार् उपवास: • अन्य उपवास:
  • 5. उपवास का ववज्ञान • उपवास से आकाशतत्त्व की वद्धि होती है| यह आकाश तत्त्व शब्द से सम्िंधित है| हमारी सुनने की शत्तत एवं िोलने की शत्तत में यह तत्त्व ववशेष रूप से उपयोगी होता है| • अन्न से ही मन िनता है| उपवास से मन र्नमिल िन जाता है| • उपवास से २६ कफि लम्िी पाचन प्रणाली को आराम समलता है| शरीर की उजाि का उपयोग आहार पचाने में खचि होने की िजाए रोगों को दूर करने में होता है| • शरीर रब्िर जैसी लचीली नसलओं से िना है, यह नसलयााँ अधिक खाते रहने के कारण फ़ै ल जाती है| उपवास में भोजन िंद होते ही नसलयााँ ससकु ड़कर अपनी प्राकत अवस्त्र्ा में आ जाती है| • “भूख न लगने का मतलि है शरीर को उपवास की जरुरत
  • 6. उपवास का ववज्ञान • उपवास में लीवर GLOCOGEN को नलूकोस और एनजी में िदल देता है| त्जससे शरीर को उजाि समलती रहती है| • एक ररसचि से पता चला है कक उपवास से कोलेस्त्रोल की मारा कम होती है| • खट्िे फलो के जूस के एससड से शरीर की सफाई हो जाती है|
  • 7. उपवास काल में एवं लम्बे उपवास को तोड़ते समय क्या-क्या साविानी बरतनी चाहिए ? • उपवास प्रारम्भ होने पर र्नत्य के र्नयमानुसार भोजन से शरीर को शत्तत प्राप्त नहीं होती, अतएव इसके सलये अन्य उपाय कामें लाने चाहहए, यर्ा-शुद्ि वायु और शुद्ि जल का उपयोग। • शुद्ि वायु में गहरी सांस लेने से प्राणवायु के स्त्पशि से रतत में पहले से उपत्स्त्र्त ववषेले तत्व दूर होते हैं। उपवास काल में कोई अप्राकर्तक खाद्य शरीर में नही जाता, अतएव ववजातीय द्रव्य रतत में नहीं समलते तर्ा उसकी शुद्धि होती है। • उपवास में शुरू शुरू में खाने की चाह, स्त्नायु सम्िन्िी व्यविान, मानससक अवसाद, ससरददि, नींद न आना आहद लक्षण िने रहते हैं| िाद में यह सारे लक्षण ख़त्म हो जाते है|
  • 8. उपवास काल में एवं लम्बे उपवास को तोड़ते समय क्या-क्या साविानी बरतनी चाहिए ? • िूप-स्त्नान से शरीर को अनेक वविामीन समलते हैं तर्ा रोगों के कीिाणु नटि होते हैं। • उपवास काल में अधिक पानी पीना चाहहये, त्जससे कक अधिक मूर ववसजिन के माध्यम से शरीर से अधिक गन्दगी िाहर हो। मूर गुदो में रतत छनकर िनता हैं, अतएव रतत में जल की अधिकता होने से अधिक गन्दगी साफ होती है। • उपवास वाले हदन प्रात: काल उठना चाहहए. • उपवास के िीच सुिह-शाम प्राणायाम करना अच्छारहता है.