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मानसिक िमस्याओं के
िमाधान में आयुर्वेद की भूसमका
Less explored holistic approach in the treatment of
modern psychological disorders
मानसिक िमस्याओं के िमाधान में बढ़ें हुए
दोषों की चिककत्िा
• बढ़े हुए दोषों का ननदान-लक्षणों के द्र्वारा
• बढ़े हुए दोषों की चिककत्िा-र्वातज, पित्तज, कफज उन्माद आदद में
• बढ़े हुए दोष को कम करें ऐिे औषध,
• बढ़े हुए दोषों का शोधन करें ऐिे कमम,
• दोषों िे पर्विरीत गुण र्वाले आहार-पर्वहार (जो दोषों को और ज्यादा न बढादें)
• त्रिदोष प्रकृ नत िररक्षण(जजििे रोग कष्टिाध्य है या
िंिकमम
• उन्माद, अननद्रा आदद में
• स्मृनत आदद मानि शजततयां बढ़ाने के सलए
• मानिरोगों की रोकथाम में
• ररलैतिेशन तकनीक के रूि में
दैर्वव्यािाश्रय चिककत्िा
युजततव्यािाश्रय चिककत्िा
• औषचधयुतत घी-मानसिक मंदता, उन्माद आदद में
• िारस्र्वत िूणम-बुद्चध, स्मृनत आदद मानि शजततयों को बढ़ाने में
• िारस्र्वताररष्ट-बुद्चध, स्मृनत आदद मानि शजततयों को बढ़ाने में
• लोह भस्म-दहमोग्लोत्रबन की कमी के कारण होने र्वाले स्रेि में
• रि औषचध
मेध्य रिायन
• कु टीप्रार्वेसशक (त्रिगभाम कु टी)
• र्वातातपिक
• ब्राह्मी, शंखिुष्िी आदद के िूणम, घी आदद
• योग (ब्राह्मरिायन)
ित्र्वार्वजय-Psychotherapy
• आयुर्वेदीय िरामशम (आहार-पर्वहार िे िंबंचधत)-िभी मानिरोगों में
• आिार रिायन तथा आयुर्वेदीय जीर्वन दशमन-मानिरोगों की रोकथाम
में
• आयुर्वेदीय व्यजततत्र्व िरीक्षण
• िदाथम पर्वज्ञान
अन्य मानसिक िमस्याओं के िमाधान में
आयुर्वेद की भूसमका
• समगी, मदात्य आदद की चिककत्िा
ननद्रानाश (Insomnia)कारण एर्वं उिाय
• शय्या का मनोनुकू ल न होने िे,
• तमोगुण का नाश होने िे, ित्र्वगुण की प्रधानता िे,
• ककिी पर्वशेष कायम में लग जाने िे
• जो काल शयन के सलए अभ्यस्त नहीं उि िमय ननद्रा नहीं आती|
• र्वात एर्वं पित्त प्रकृ नत के व्यजततयों में, तथा पर्वकृ त रूि िे र्वात या पित्त के बढ़
जाने िे ननद्रा नहीं आती है|
ननद्रानाश (Insomnia)
िरक िंदहता के अनुिार शरीर में
• पर्वरेिन िे,
• र्वमन िे,
• भय, चिन्ता, क्रोध िे
• धूम्रिान, व्यायाम, रततमोक्षण िे,
• उिर्वाि िे,
महपषम िुश्रुत के अनुिार
• र्वायु के कारण
• पित्त के कारण
• मन के िंताि िे
• रिादद धातु की क्षीणता िे
• िोट आदद के लगने िे ननद्रानाश होता है
• र्वातज प्रकृ नत के लोगों में, पित्तज प्रकृ नत के लोगों में, र्वात-पित्तज प्रकृ नत के
लोगों में ननद्रा कम होती है|
महपषम र्वाग्भट्ट के अनुिार
• पर्वरेिन
• र्वमन
• रततमोक्षण
• धूम्रिान
• उिर्वाि
• तृषा
• शारीररक एर्वं मानसिक व्यथा
• हषम, शोक, भय, क्रोध, चिन्ता, उत्कं ठा
• अचधक मैथुन
महपषम र्वाग्भट्ट के अनुिार
• कष्टकारक शैया
• ित्र्वगुण की प्रधानता िे
• तमोजय
• रुक्ष गुण युतत आहार
• काल जैिे र्वृद्धार्वस्था
• कायमशीलता
• रि-रतत आदद धातुओं का क्षय
• कु छ रोग
• र्वात र्व पित्त की र्वृद्चध
अननद्रा की चिककत्िा
• भेि का दूध
• भोजन का िमय
• िोने का िमय
• सशरोधारा
• ब्राह्मी, शंखिुष्िी, जटामांिी
िार िंक्षेि
• बढ़े हुए दोष की चिककत्िा
• िंिकमम
• औषचधयुतत घी
• आयुर्वेदीय िरामशम
• दैर्वव्यािाश्रय चिककत्िा
• अन्य युजततव्यािाश्रय चिककत्िा
• ित्र्वार्वजय-Psychotherapy
• मेध्य रिायन तथा आिार रिायन तथा आयुर्वेदीय जीर्वन दशमन
• िारस्र्वत िूणम
• िारस्र्वताररष्ट
• आधुननक पर्वज्ञान की मान्यताओं िर आधाररत प्रािीन उििार (जैिे लोह भस्म)

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  • 1. मानसिक िमस्याओं के िमाधान में आयुर्वेद की भूसमका Less explored holistic approach in the treatment of modern psychological disorders
  • 2. मानसिक िमस्याओं के िमाधान में बढ़ें हुए दोषों की चिककत्िा • बढ़े हुए दोषों का ननदान-लक्षणों के द्र्वारा • बढ़े हुए दोषों की चिककत्िा-र्वातज, पित्तज, कफज उन्माद आदद में • बढ़े हुए दोष को कम करें ऐिे औषध, • बढ़े हुए दोषों का शोधन करें ऐिे कमम, • दोषों िे पर्विरीत गुण र्वाले आहार-पर्वहार (जो दोषों को और ज्यादा न बढादें) • त्रिदोष प्रकृ नत िररक्षण(जजििे रोग कष्टिाध्य है या
  • 3. िंिकमम • उन्माद, अननद्रा आदद में • स्मृनत आदद मानि शजततयां बढ़ाने के सलए • मानिरोगों की रोकथाम में • ररलैतिेशन तकनीक के रूि में
  • 5. युजततव्यािाश्रय चिककत्िा • औषचधयुतत घी-मानसिक मंदता, उन्माद आदद में • िारस्र्वत िूणम-बुद्चध, स्मृनत आदद मानि शजततयों को बढ़ाने में • िारस्र्वताररष्ट-बुद्चध, स्मृनत आदद मानि शजततयों को बढ़ाने में • लोह भस्म-दहमोग्लोत्रबन की कमी के कारण होने र्वाले स्रेि में • रि औषचध
  • 6. मेध्य रिायन • कु टीप्रार्वेसशक (त्रिगभाम कु टी) • र्वातातपिक • ब्राह्मी, शंखिुष्िी आदद के िूणम, घी आदद • योग (ब्राह्मरिायन)
  • 7. ित्र्वार्वजय-Psychotherapy • आयुर्वेदीय िरामशम (आहार-पर्वहार िे िंबंचधत)-िभी मानिरोगों में • आिार रिायन तथा आयुर्वेदीय जीर्वन दशमन-मानिरोगों की रोकथाम में • आयुर्वेदीय व्यजततत्र्व िरीक्षण • िदाथम पर्वज्ञान
  • 8. अन्य मानसिक िमस्याओं के िमाधान में आयुर्वेद की भूसमका • समगी, मदात्य आदद की चिककत्िा
  • 9. ननद्रानाश (Insomnia)कारण एर्वं उिाय • शय्या का मनोनुकू ल न होने िे, • तमोगुण का नाश होने िे, ित्र्वगुण की प्रधानता िे, • ककिी पर्वशेष कायम में लग जाने िे • जो काल शयन के सलए अभ्यस्त नहीं उि िमय ननद्रा नहीं आती| • र्वात एर्वं पित्त प्रकृ नत के व्यजततयों में, तथा पर्वकृ त रूि िे र्वात या पित्त के बढ़ जाने िे ननद्रा नहीं आती है|
  • 10. ननद्रानाश (Insomnia) िरक िंदहता के अनुिार शरीर में • पर्वरेिन िे, • र्वमन िे, • भय, चिन्ता, क्रोध िे • धूम्रिान, व्यायाम, रततमोक्षण िे, • उिर्वाि िे,
  • 11. महपषम िुश्रुत के अनुिार • र्वायु के कारण • पित्त के कारण • मन के िंताि िे • रिादद धातु की क्षीणता िे • िोट आदद के लगने िे ननद्रानाश होता है • र्वातज प्रकृ नत के लोगों में, पित्तज प्रकृ नत के लोगों में, र्वात-पित्तज प्रकृ नत के लोगों में ननद्रा कम होती है|
  • 12. महपषम र्वाग्भट्ट के अनुिार • पर्वरेिन • र्वमन • रततमोक्षण • धूम्रिान • उिर्वाि • तृषा • शारीररक एर्वं मानसिक व्यथा • हषम, शोक, भय, क्रोध, चिन्ता, उत्कं ठा • अचधक मैथुन
  • 13. महपषम र्वाग्भट्ट के अनुिार • कष्टकारक शैया • ित्र्वगुण की प्रधानता िे • तमोजय • रुक्ष गुण युतत आहार • काल जैिे र्वृद्धार्वस्था • कायमशीलता • रि-रतत आदद धातुओं का क्षय • कु छ रोग • र्वात र्व पित्त की र्वृद्चध
  • 14. अननद्रा की चिककत्िा • भेि का दूध • भोजन का िमय • िोने का िमय • सशरोधारा • ब्राह्मी, शंखिुष्िी, जटामांिी
  • 15. िार िंक्षेि • बढ़े हुए दोष की चिककत्िा • िंिकमम • औषचधयुतत घी • आयुर्वेदीय िरामशम • दैर्वव्यािाश्रय चिककत्िा • अन्य युजततव्यािाश्रय चिककत्िा • ित्र्वार्वजय-Psychotherapy • मेध्य रिायन तथा आिार रिायन तथा आयुर्वेदीय जीर्वन दशमन • िारस्र्वत िूणम • िारस्र्वताररष्ट • आधुननक पर्वज्ञान की मान्यताओं िर आधाररत प्रािीन उििार (जैिे लोह भस्म)