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SOME NOTES ON NAINITAL

I met Nainital first time in the monsoon of 2001. The whole valley was filled with fog. Actually it was like a burning jungle where everywhere smoke scattered. The small clouds were kissing my cheeks as I was ascending towards Stoneleigh Compound. When reached at destination I was mesmerized, hallucinated and completely lost. I am still feel what I felt then..after almost 14 monsoons passed..

..कल आज और कल.. A.रकृति नैनीताल के उतर मं अ्मोड़ा, दषिण मं उधम ष ंह नगर, प्ू व मं च्पा्त और पषिम मं पौड़ी जनपद षथित हं. नैनीताल का कुल िेरफल 4251 ्गव षकलोमीटर (2862 ्गव षकलोमीटर ्न िेर षमलाकर) है. तीन चौिाई षहथ ा पहाड़ी और एक चौिाई षहथ ा भाबर (फूटषह् ) है. ूखलकांडा, धारी, भीमताल, बेतालघाट ् रामगढ़ पहाड़ी ्लॉक हं. रामनगर, कोटाबाग और ह्वानी भाबर के ्लॉक हं. नैनीताल नगर, (2,084 मीटर, 6,837 फीट) जनपद नैनीताल और कुमाऊं मंडल का म्ु यालय है. जहाँ कषमनर कुमाऊं बैठते हं. करीब दो षकलोमीटर लंबी झील के तीन तरफ रमश: नैना पीक या चीना पीक (2,615 मीटर, 8,579 फीट) प्ू व मं, ड़ोपाटा या कै म् बैक (2,438 मीटर, 7,999 फीट) पषिम मं और अयारपाटा (2,278 मीटर, 7,474 फीट) दषिण मं हं. भ-ू गभवशाषियं की भाषा मं नैनीताल रोल एररया है. नैनीताल नगर का अषधकतम तापमान 27 °C (81 °F), ्यनू तम तापमान -4 °C तक जाता है. यहाँ ामा्य ॳप मं षद बं र े फ़र्री माह तक बफ़व बारी होती है. नैनीताल का ब े ऊंचा प्वत बौधाणथिली है, षज की ऊंचाई 2623 मीटर है. यहाँ नैनीताल के मीप षथित षबनायक े चढ़ा जा कता है. नैनीताल जनपद को लेक ष टी भी कहा जाता है. यहाँ नैनीताल, भीमताल, खपु ावताल, मल्ाताल, लोखमताल, नौकुषचयाताल, हरीशताल, गॲड़ताल, ातताल, नल दमयतं ी ताल, ड़ीयाताल आषद दंु र झीलं हं. भा्र उ जगह को कहते हं, जहाँ भजू ल थतर बहुत गहरा होता है. ऐ ा पहाड़ के फूटषह् मं होने की ्जह े होता है. को ी, गौला, भाखड़ा, दाबका, बौर, न्धौर यहाँ बहने ्ाली रमख ु नषदयाँ हं. गौला अपने ाि बर ात मं बड़ी मारा मं रे ता-बजरी और बो्डर बहाकर लाती है. इ कारण यह खनन के षलए लाभदायक है और रषत्षव 200 करोड़ े अषधक का राजथ् रकार को उपल्ध कराती है. को ी षजले मं बहने ्ाली ब े बड़ी नदी है जो बेतालघाट और रामनगर िेर मं ष ंचाई के ाि ही कॉबेट नेशनल पाकव के जी्ं की ्या बझु ाने के काम आती है (पषिमी रामगंगा के ाि षमलकर). पाकव की भीतर ही यह रामगगं ा पषिमी मं षमलकर अपनी यारा परू ी करती है. म रू ी-धनौ्टी-देहरादनू , डीडीहाट-मनु थयारी टरे न की तरह जनपद का नैनीताल-मत ु े वर टरे न रदेश के ्ावषधक ्षावजल आ्छाषदत िेरं मं शमु ार है. नैनीताल षजले मं औ त 1487 षमलीमीटर रे नफाल होता है. रदेश का ब े ठंडा थिल मत ु े वर भी यहं षथित है. षजम कॉबेट नेशनल पाकव देश मं बाघं की ब े घन आबादी का घर है. यहाँ 600 े अषधक हािी भी हं. षजले मं एक ंचरु ी भी है, षज का नाम नंधौर ्ाइ्डलाइफ चं रु ी है. ंचरु ी मं 325 रजाषत की षचषड़याँ रहती हं. नैनीताल-कालाढुंगी रोड पर षथित ‘षहमालयन बोटैषनकल गाडवन’ हाल के षदनं मं बड़े आकषवण के तौर पर उभरा है. गोला नदी के तट पर बना हैडाखान आरम ष्देशी ैलाषनयं के षलए ष्शेष आकषवण है. A.I.) 1880 का भ-ू थखलन: नैनीताल के इषतहा मं 1880 का भ-ू थखलन खा मह्् का है. इ े प्ू व भी 1866 और 1879 मं यहाँ बड़े भ-ू थखलन हुए लेषकन 1880 के भ-ू थखलन मं 151 लोगं की जान चली गयी. जब दो षदन मं 20 इचं (510 षमलीमीटर) े 35 इचं (890 षमलीमीटर) तक बाररश दजव की गयी. चीना पीक का षनचला षहथ ा अ्मा षहल परू ी तरह नेथताबतू होकर झील के षहथ े मं मा गया. बाद मं यही जगह ्लैट् नाम े ष््यात हुई. षज मं आज का डी.ए .ए. थटेषडयम, चाइना टाउन, ्यू ्लब, ररंक हाल, दो ष नेमा घर (हाल मं बंद हुए हं), नगरपाषलका भ्न, राजकीय रािषमक ष्ड़ालय, पाषकं ग थिल, बोट हाउ ्लब का एक षहथ ा, नैना मंषदर, जामा मषथजद, गॲु वारा और पंप हाउ षथित हं. नैनी पीक, नैना पीक या चीना पीक नगर की ब े ऊंची चोटी है. इ की ऊंचाई 2615 मीटर यानी 8579 फीट है. इ े 3.7 मील यानी 6 षकलोमीटर ीधे चढ़ना पड़ता है. यहाँ े षहमालय षशखरं और नैनीताल टाउन का मनोरम ृ्य षमलता है. पंगटू -खा् रेक, यह नैनीताल े 25 षकलोमीटर दरू षथित पंगटू गाँ् े शॳ ु होता है. करीब तीन षकलोमीटर लंबे रेक मं जै् ष्ष्धता की ंप्नता के दशवन होते हं. यह रेक एक छोटी झील यानी खा् मं जाकर मात होता है. पंगटू े तीन षकलोमीटर पहले षकलबरी नामक जगह आती है, जो बडव ्ाषचंग के षलए रष ॗ है. A.II.) भू-्खलन के बारे मं कतििा (अंरेजी कष् हना बैट् बी ंयोग े भ-ू थखलन के षदन नैनीताल मं ठहरे िे. उ्हंने रलय का यह ृ्य अंषकत षकया.) Nainital catastrophe of 18th September 1880 ... And though the sky hung like a sable pall Over the fair oasis, nestling calm Beneath the trusted shelter of the hills, And o'er th broad lake-outlet of the floods, What cause had they to fear? 'Twas often thus, And the long wished-for rains would bring forth joy So reasoned they who, peaceful, viewed unmoved Th' outpouring of that sullen ocean cloud, When suddenly, they who had calmly felt So safe one little span of time before, Discovered in dismay the swollen floods Meant danger—that the safety of their homes. Was menaced, walls were tottering, waters rose, ... For scarcely had they timely refuge found, Than a huge limb of the great mountain fell, Sweeping the fair hill-side of house and land, And burying dozens of their fellow men In one uncompromising, living tomb! ... Strong men in the proud glory of life's prime, Women in joyful trustfulness of love With little children in full bloom of life; All in the twinkling of an eye cut down, In that rude harvest of the tyrant Death! ... Now the late lovely valley, Nainital Stands as a witness of the frailty Of human strength 'gainst the o'erwhelming might A.III.) नैनीिाल का ब्थ डे औपषन्ेषशक ृषि े नैनीताल की थिापना 18 न्बं र 1841 मं हुई जब शाहजहांपरु े यहाँ के जंगलं मं षशकार को पहुचं े शगु र रेडर पी. बैरन ने यहाँ ‘षपलषरम लॉज’ की थिापना की. उ के बाद नैनीताल षिषटश अषधकाररयं और ैषनकं का मनप दं आरामगाह बन गया. आज भी नैनीताल के लोग और ए्ं लो इषं डयन 18 न्ंबर को धमू धाम े नैनीताल का बिव-डे मनाते हं. बैरन के यहाँ आने े पहले थिानीय गां्ं के लोग राम दे्ता की पजू ा को यहाँ आते िे. A.IV.) ह्वानी-नैनीिाल रोड कुमाऊं के दू रे कषमनर र रै मजे (1856) के काल मं 1882 मं ह्वानी-नैनीताल रोड बनाई गयी. 1883-84 मं बरे ली-ह्वानी रे ल्े रेक षबछाया गया. पहली रेन 24 अरेल 1884 मं आई लखनऊ े. बाद मं रैक को काठगोदाम तक ष्थतार षदया गया. 1901 मं ह्वानी की आबादी 6624 िी. A.5. एतिया की सबसे बड़ी खगोलीय दूरबीन नैनीताल े 60 षकलोमीटर दरू दे्थिल (धानाचल ू ी के पा ) मं एषशया की ब े बड़ी दरू बीन थिाषपत की गयी है. यह खगोलीय घटनारम पर नज़र रखेगी. 3.6 मीटर ्या और 150 टन भारी दरू बीन को बेष्जयम की तकनीषक मदद े लगाया गया है. दरू बीन लगाने मं 170 करोड़ ॲपये खचव हुए. यह शीर शॳ ु होगा. यह इषं डयन इषं थटट्यटू ऑफ एथरो षफषज् बंगलोर, टाटा इषं थटट्यटू ऑफ़ फंडामंटल रर चव मंबु ई, इटं र-यषू न्ष वटी ंटर फॉर एथरोनॉमी पणु ,े आयवभट इषं थटट्यटू ऑफ़ ऑ्जर्ेशनल ाइं ेज नैनीताल की ंयत ु पररयोजना है. दरू बीन का मक द खगोलीय षपंडं के बीच के चबंु कीय बल की रकृषत को मझना है. B. रिासन नैनीताल ंयत ु रा्त (यनू ाइटेड रोष्ं ) की री्मकालीन राजधानी रहा िा. प्ू व मं उतर रदेश और अब उतराखडं का (री्मकालीन) राजभ्न नैनीताल मं है. रा्य का उ्च ्यायालय नैनीताल मं षथित है. रा्य की दो रशा षनक इकाईयं (गढ़्ाल और कुमाऊं मडं ल) मं े कुमाऊं मडं ल का म्ु यालय नैनीताल मं है. नैनीताल जनपद अ्मोड़ा (1815) के बाद उतराखडं का दू रा (1891) षजला है. नैनीताल मं रा्यपाल का षन्ा यानी राजभ्न एक खा आकषवण है. राजभ्न यू ोदय और यू ावथत के मय अरषतम छठा ष्खेरता है. गोषिक थटाइल मं रे थटोन े बने इ ष्शाल बजु व को पीछे े देखने पर यह इ्ं लंड के गाँ् के घर जै ा फील देता है. राजभ्न परर र मं षथित गो्फ राउंड 45 एकड़ मं प रा है. बांज के जंगल े टे इ गो्फ को व मं 18 होल हं और यहाँ की थलो् खेलरेषमयं के षलए बहुत रोमाचं क मानी जाती हं. राजभ्न परर र मं ही ्ु ताना डाकू के हषियारं का ्यषू जयम भी है. बषकंघम पैले की तजव पर 1897 मं बने इ ग्नव व हाउ मं 113 कमरे हं. परू ा राज भ्न 220 एकड़ िेर मं परर र मं एक फूलं का बाग़ भी है. फै ला है. अकादषमक े्ाू ं की रेषनंग का ंथिान (ए.टी.आई.) नैनीताल मं है. यह ंथिान उतर रदेश के मय, यानी अब े 14 बर प्ू व तक परू े य.ू पी. के पी. ी.ए . और अ्य मकि े्ाू ं का रेषनंग इषं थटट्यटू िा. मडं ल के ब े बड़े ष्वष्ड़ालय कुमाऊं ष्वष्ड़ालय का म्ु यालय नैनीताल मं है. कुमाऊं ष्वष्ड़ालय के अधीन 3 परर र, 31 रकारी कॉलेज, 30 षनजी/ ष्त पोषषत कॉलेज/ ंथिान एक मेषडकल कॉलेज हं. रा्य का एकमार यजू ी ी अकादषमक थटाफ कॉलेज ‘हषमवटेज भ्न’, कुमाऊं ष्वष्ड़ालय मं है. य.ू जी. ी. नेट के मकि मानी जाने ्ाली रा्य थतरीय थलेट परीिा कुमाऊं ष्वष्ड़ालय नैनीताल कराता है. नैनीताल मं षशिा ष्भाग (थकूली षशिा) का िेरीय म्ु यालय है. जनपद के ह्वानी मं उ्च षशिा षनदेशालय षथित है. नैनीताल जनपद के ह्वानी मं रा्य का एकमार मत ु ष्वष्ड़ालय, उतराखडं ूपन यषू न्ष वटी षथित है. ह्वानी मं माज क्याण षनदेशालय का म्ु यालय, नैनीताल के भ्ाली मं नेशनल लॉ यषू न्ष वटी (षनमावणाधीन) है. उतराखडं बोडव ऑफ थकूल एजक ु े शन का म्ु यालय रामनगर मं है. 3 अ्टूबर 1850 को नैनीताल नगरपाषलका का गठन हुआ, जो ंयत ु रा्त की दू री नगरपाषलका बनी. नैनीताल मं ही कुमाऊं मंडल की पयवटन गषतष्षधयं को चं ाषलत करने ्ाले कुमाऊं मंडल ष्का षनगम का म्ु यालय है. 1995 तक उधम ष ंह नगर इ ी जनपद का षहथ ा िा और लोक भा िेर के ॳप मं नैनीताल ं दीय िेर का भाग है. नैनीताल षजला खदु दो लोक भा िेरं पौड़ी और नैनीताल मं बंटा है. नैनीताल जू देश मं ब े अषधक ऊंचाई पर षथित षचषड़याघर है. नैनीताल के पा ताकुला मं गांधीजी का षन्ा िा, जो अब एक आरम है. नैनीताल का ब े परु ाना षगरजाघर ंट जॉन चचव 1860 मं बना. जो अब भी मौजदू है. ्लैट् (डी.ए .ए. राउंड) के आ -पा के मंषदर, गॲु वारा, मषथजद और षगरजाघर ांरदाषयक ौहादव के रतीक हं. ह्वानी, नैनीताल जनपद का ब े बड़ा नगर होने के ाि कुमाऊं मंडल का भी ब े बड़ा नगर है. यही कुमाऊं की ब े बड़ी मंडी भी षथित है. रामनगर नैनीताल जनपद का दू रा बड़ा नगर है, जो ्नं े षनकलने ्ाले झल ू े (बायोमा ) की बड़ी मंडी है. उतराखडं मं पहली बार ह्वानी मं रे ल पहुचं ी (देश मं पहली बार रे ल इषं जन का रदशवन ॲड़की मं हुआ). पहले रे ल को षशमला की तजव पर नैनीताल तक चढ़ाने की योजना िी. नैनीताल मं ्न ष्भाग के ््यजी् रभाग का म्ु यालय है, जहाँ े रदेश के भी पाकं और ्ै चरु ी का रशा षनक षनयरं ण होता है. ह्वानी मं ्न कषमवयं के े्ाकालीन रषशिण का ंथिान फोरे श रेषनंग इषं थटट्यटू है. नैनीताल े रकाषशत हुआ ‘ मय ष्नोद’ (1867) ्पणू व षहमालयी िेर का पहला और उतर भारत का दू रा षहदं ी अख़बार है. ‘नैनीताल माचार’, नैनीताल नगर े रकाषशत हो रहा ब े परु ाना अख़बार है. यह अख़बार नगर मं थकूली ब्चं के षलए 30 ाल े एक ालाना षनबंध रषतयोषगता कराता है. षज का मक द ब्चं की मौषलक ोच को जानना है. B.I.) के ्रीय स्ं ्ान एरीज (आयवभट रर चव इषं थटट्यटू ऑफ ऑ्जर्ेशनल ाइं ेज), दे्थिल और मनोरा पीक आई.्ी.आर.आई., मत ु े वर ंरल इषं थटट्यटू ऑफ़ टे्पेरेट हॉषटवक्चर, मत ु े वर नेशनल ्यरू ो ऑफ ्लांट जेनेषटक रर ो ेज, भ्ाली इले्रॉषन् ष्व ेज एंड रेषनंग ंटर, रामनगर षडफे ् इषं थटट्यटू फॉर बायो-एनजी रर चव, ह्वानी नेशनल रर चव ंटर ऑन को्ड्ाटर षफशरीज, भीमताल तियोलातिकल सिे ऑफ इतं डया, रे तनगं इतं ्िि्यूि, भीमिाल C.) रा्तमक तिषा का ढांचा रािषमक ष्ड़ालय 983 उ्च रािषमक ष्ड़ालय 420 कायवरत अ्यापक रािषमक 2093 कायवरत अ्यापक उ्च रािषमक 1450 कायवरत षशिा षमर 532 बी.आर. ी. 8 ी.आर. ी. 78 के .जी.बी.्ी. 1 ए .एम. ी. 1403 पहल अ्छाषदत ब्चे 100 कुल भोजनमाताएं 2487 (इनमं 172 अन.ु जाषत, 56 ू.बी. ी., 6 ए .टी., 12 अ्प ं्यक भोजनमाताएं) C.I.) तियालयं की सं्या ्लॉकिार ्लॉक रािषमक उ्च रािषमक बेतालघाट 125 36 भीमताल 151 49 धारी 74 23 ह्वानी 140 60 कोटाबाग 86 33 ूखलकांडा 160 56 रामगढ़ 104 33 रामनगर 138 62 कुल 978 352 मं चलकर आया है. नोट- ब े अषधक थकूल ूखलकांडा ्लॉक मं हं. आबादी ष्रल, थकूल घन. यह ‘ ्व षशिा अषभयान’ का अ र है. थकूलं मं ब्चं की ं्या कम होने की भी ्जह यही है. लेषकन पहाड़ की ष्षम और ष्ष्ध भौगोषलक पररषथिषत को देखते हुए इ तालमेल को नकारा भी नहं जा कता. ब्चे थकूल इ षलए भी आ रहे हं ्यंषू क थकूल पा C.II.) छार-छाराओ ं की सं्या ्लॉकिार (रा्तमक/उ्च रा्तमक) ्लॉक छार ं्या छार ं्या बेतालघाट 2920 1353 भीमताल 3925 1434 धारी 2809 1091 ह्वानी 12868 4939 कोटाबाग 2997 1685 ूखलकांडा 5700 2634 रामगढ़ 2782 1286 रामनगर 9385 4450 कुल 43396 18872 नोट- ब े अषधक छार ्ं या ह्वानी ्लॉक की है. शेर्डु थकूल, षबड़ला ष्ड़ा मंषदर, आयवमान षबड़ला कॉलेज, ऑल ंट , ंट मैरी, रथ्ती रेमा जगाती थकूल, ंट जो फ थकूल, हरमन माईनेर, ैषनक थकूल घोडाखाल, ंट जेष्यर थकूल अयारपाटा, डॉन बोथको, टे्पलटेन आषद नैनीताल के रमख ु षनजी ् षमशनरी थकूल हं. नैनीताल मं तीन के ्रीय ष्ड़ालय (मत ु े वर, भीमताल और ह्वानी मं), एक-एक ज्ाहर न्ोदय ष्ड़ालय, कथतरू बा गाँधी ष्ड़ालय, मषहला मा्या बाषलका थकूल, राजी् गाँधी न्ोदय ष्ड़ालय हं. िनपद मं मा्यतमक तिषा (सरकारी) D. ांथकृषतक ्जदू नैनीताल रष्रं नाि टैगोर, राहुल ांकृ्यायन, अञेय, महादे्ी ्माव, षु मरानंदन पंत, यशपाल, षनमवल ्माव, षश् ्माव, षश्ानी, दयानंद अनंत, बटरोही, ष्श्भर नाि ाह ‘ खा’, षगदाव, षहमांशु जोशी आषद ाषह्यकारं की कायवथिली रही है. रष्ंरनाि टैगोर 1903 मं काठगोदाम े पैदल चलकर भीमताल आये िे. यहाँ े उनके षथ् रशं क डैषनयल उ्हं रामगढ़ ले गए. डैषनयल ने बाद मं ्हां एक चोटी पर एक छोटी कुषटया टैगोर के षलए बन्ाई. इ पहाड़ी को अब टैगोर हिल नाम े जाना जाता है (8500 फीट). कुछ लोग मानते हं षक टैगोर ने गीत ंजहल यहं षलखना शॳ ु की िी. ‘गीतांजषल’ के षलए टैगोर को 1913 मं ाषह्य का नॉबेल परु थकार षमला िा. कष् ष्चदानंद हीरानंद ्ा्थनेय ‘अञेय’ का घर नल-दमयंती ताल (जनू थटेट) मं है. जो अब ्ीरान हालत मं है. लेखक षनमवल ्माव अपनी प्नी गगन षगल के ईलाज के ्दभव मं भ्ाली ष नोटेररयम मं रहे. यहं कमला नेहॲ का भी ईलाज हुआ िा, और पंषडत नेहॲ का भी आना-जाना यहाँ रहा. अ्प मय के षलए पेशा्र कांड के नायक ्ीर च्र ष ंह गढ़्ाली भी भ्ाली और ह्वानी मं रहे िे. बाबा नागाजवनु कई बार नैनीताल आये और रामनगर मं उ्हंने डॉ. हरर मौयव के ाि काफ़ी मय षबताया. हरर मौयव के घर कष् षरलोचन भी आते िे. हरर मौयव के परु डॉ. षशरीष मौयव षहदं ी के चषचवत य्ु ा कष् हं. उनका ्लॉग ‘अननु ाद’ कष्ता- ाषह्य का चषचवत ्लॉग है. हरर मौयव की बहन शषश मौयव, षशिाष्द अषनल दगोपाल की प्नी हं. शषश महिल सम ्य के ंथिापकं मं े हं. षबड़ला ष्ड़ा मंषदर और डी.ए .बी. परर र नैनीताल के छार रहे अशोक पांडेय ह्वानी मं रहते हं. पांडेय षहदं ी, अरं ेजी और थपेषनश के जाने-माने अन्ु ादक हं. उ्हंने हाल मं षचरकार ्ैन गॉग की जी्नी ‘ल्ट फॉर ल इफ’ का अन्ु ाद षकया िा. पांडेय का ्लॉग ‘कबाड़खाना’ षहदं ी के शॲु आती ्लॉ् मं े है. ंगीताचायव चंरशेखर पंत (शारदा ंघ नैनीताल के ंथिापक), र्यात लेषखका गौरा पंत (षश्ानी) की कायवथिली नैनीताल बना. राहुल ांकृ्यायन रीलंका और षत्बत की लंबी याराू ं के बाद लंबे मय तक नैनीताल ॲके . उनका षलखा ‘नैनीताल’ षनबंध नैनीताल के लोगं और यहाँ के जी्न के बारे मं बहुत कुछ बताता है. ॳ ी लेखक मे्याने् पहले बरे ली े बैल गाड़ी मं ह्वानी, षफर पैदल नैनीताल पहुचं े िे. तब रेन और ड़क यहाँ नहं पहुचं ी िी. छा्ा्ाद के चार थतंभं मं े एक महादे्ी ्माव, महा्मा गाँधी की लाह पर उतराखडं आयं तो उ्हंने रामगढ़ के पा उमा गढ़ मं अपना आ रा बनाया, जो आज भी देश भर के लेखकं का तीिव है. महादे्ी ने अपने लेखन का बड़ा षहथ ा यहं रहकर षलखा िा. षहदं ी के र्यात मनो्ैञाषनक लेखक इलाचरं जोशी ने उनके घर मं रहकर अपना उप्या ‘ऋतचु र’ परू ा षकया. ्ररठ लेखक षहमांशु जोशी ने ‘त्ु हारे षलए’ उप्या नैनीताल के बारे मं षलखा है. जो य्ु ा पाठकं मं काफी लोकषरय है. ाषह्य अकादमी परु थकार रात कष् (रोफ़े र) ्ीरे न डंग्ाल का नया का्य ंरह ्य िी त ल नैनीताल को ही मषपवत है. नैनीताल के बारे मं बटरोही की रचना ग्भगिृ मं नैनीत ल भी चषचवत उप्या है. षहदं ी षफ्मं मं पाववगाषयका और ्लाष कल ष ंगर शभु ा मगु ल की मां जया नौकुषचयाताल मं रहती हं. यहाँ शभु ा अपने गं ीतकार षमरं के ाि आती रहती हं. ्यामाकातं बंदोपाद्् याय या ोहम थ्ामी या टाइगर बाबा का ज्म ढाका मं हुआ. ्े य्ु ा्थिा मं एक बॉडी षब्डर िे. ेना मं भती होना चाहते िे लेषकन भती नहं हो पाए. उ के बाद षजम मं काम षकया, थकूल खोला, कव चलाया लेषकन मन नहं रमा. कुछ मय षरपरु ा के राजा के अंगरिक बने. अंततः भ्ाली (नैनीताल) आकर ्या ले षलया. आरम बनाया. ्ह इतने बलशाली िे षक बाघ को कु्ती मं हरा देते. बाद मं ्ह दाशवषनक और लेखक के ॳप मं ्यात हुए. अरं जे ी कष्ताएँ भी षलखते िे. री अरष्ंदो वारा गषठत गतु रांषतकारी ंगठन अनश ु ीलन सहमहत े जड़ु े और बाद मं ्या ी हो गए जषत्रनाि बनजी ने भ्ाली मं ोहम बाबा े दीिा ली िी. नीम करौली बाबा का आरम भ्ाली-अ्मोड़ा मागव पर है. आरम के ंथिापक बाबा नीम करौली (ल्मी नारायण शमाव) की म्ृ यु 1973 मं हो चक ु ी िी, लेषकन उनके यश मं कोई कमी नहं आई. ए्पल के सी.ई.ओ. ्टीव जॉ्स, िॉलीवडु अह्नेरी जहू लय रोबटटभस ब ब के हश्यं मं रिे. बाबा की षशिा े रेररत बाबा रामदा और लैरी षिषलयंट ने उनकी म्ृ यु के बाद सेव फ उंडेशन की थिापना की, षज का म्ु यालय अमेररका मं है. यह थ्ाथ्य िेर मं काम करने ्ाला एक रमख ु एन.जी.ू. है. मशहूर अंरेजी लेषखका और जयपरु हलटरे चर फे ह्टवल की ंथिापक नषमता गोखले का बचपन नैनीताल मं बीता. उनके उप्या ‘द षहमालयन ल् थटोरी’, ‘माउंटेन ईकोज’ आषद मं नैनीताल और पहाड़ की थमषृ तयाँ अंषकत हं. भीमताल-भ्ाली रोड पर करीब 9 षकलोमीटर दरू फर ौली गाँ् मं पज़री डॉ. यशोधर मठपाल का ‘कला रं हालय’ है. उनके रं हालय मं रॉक आटव और रॉक पंषटंग के दशवन होते हं. मठपाल को षहमालय की ब े परु ानी षभषत षचर (के ् पंषटंग) खोजने का रेय जाता है. उ्हंने म.र. की भीमबेटका गफ ु ाू ं पर भी शोध षकया है. ्ह खदु भी उ्च रेणी के षचरकार हं. यशोधर के भाई मिरु ादत मठपाल (रामनगर) कुमाऊंनी भाषा के िेठ कष् हं. भीमताल के जनू थटेट गाँ् मं रे डररक ीषनयर और रे डररक जषू नयर वारा रं हीत एक ष्शाल बटर्ल ई ्यहू जयम है. यहाँ षपछले करीब 200 ालं की षततषलयं का ंरह है. दोनं एं्लो इषं डयन रे डररक (षपता-परु ) की म्ृ यु हो चक ु ी है. ्तवमान मं रे डररक के छोटे भाई पीटर थमेटाचेक इ की देखभाल करते हं. यहाँ र्खी षततषलयं और मौि को रं षित करने का षरज्वर (र ायन) लंदन े आता है. नैनीताल षथित ‘गनु ी हाउ ’ ््यजी् रेषमयं के षलए खा जगह है. यह नैनीताल मं षजम कॉबेट का घर है षज े उ्हंने भारत छोड़ते मय एक भारतीय ्यापारी को षदया िा. अब यह घर एक ्यषू जयम के ॳप मं है. बाराप्िर षथित री अरष्दं ो आरम एकांत मं अ्ययन करने की इ्छा े आने ्ालं का षरय थिल है. त्ला रामगढ़ के तखोल और ह्वानी के गोरापरा् मं री रामचरं षमशन के ष्शाल आरम हं. नैनीताल षजले मं रो. शेखर पाठक (पज़री), रो. प्ु पेश पंत, मत ु े श पंत, डॉ. यशोधर मठपाल (पज़री), डॉ. अजय रा्त (तराई और गढ़्ाल का इषतहा के लेखक), डॉ. तारा च्र षरपाठी, डॉ. रयाग जोशी, डॉ. रभात उरेती (पॉलीषिन बाबा), राजी् लोचन ाह, ष्श्भर नाि ाह ‘ खा’ (षफ़्मकार/ षचरकार/ लोक शैली के जानकार), षरनेर जोशी (चीन मं लंबा र्ा / परकार/ अन्ु ादक/ लेखक), राजेश जोशी (बी.बी. ी. परकार/ लंदन), ृदयेश जोशी (एन.डी.टी.्ी.), डॉ. रीश मौयव (डी.ए .बी. नैनीताल मं षहदं ी के ए ोष एट रोफ़े र), अशोक पा्डे, बटरोही (महादे्ी ्माव जृ न पीठ के थं िापक), चाॲ च्र पा्डेय, राजल ु ा ाह (षफ़्मकार), डॉ. षदनेश पाठक (कहानीकार), जहूर आलम (यगु मचं के षनदेशक), ्यरकाश, ष्मल पा्डेय, रो. गोष््द ष हं , रो. षगजाव पा्डेय, रो. भु ाष धषू लया (उतराखडं मत ु ष्वष्ड़ालय के कुलपषत/ जाने-माने मीषडया मीिक), पीटर थमेटाचेक, ंगीतकार डॉ. ष्जय कृ्ण, नषलन धोलषकया, डॉ. पंकज उरेती, रष् पांडे और रष् जोशी आषद. षहदं ी के ्ररठतम लेखकं मं शमु ार दयानंद अनंत नैनीताल मं ही ज्मे (मल ू गां् चोता, पौड़ी). उनकी दजवन भर े अषधक कृषतयाँ रकाषशत हो चक ु ी हं और दरू दशवन ने उनकी कहाषनयं पर धारा्ाषहक भी बनाये हं. अनंत ने ॳ ी दतू ा्ा मं जन- पं कव अषधकारी की नौकरी छोड़कर ‘प्वतीय-टाइ् ’ का रकाशन शॳ ु षकया. ्तवमान मं अनंत कहल-््ीरा, रामगढ़ मागव, भ्ाली मं रहते हं. उनकी षशषिका प्नी उमा अनंत, अषभनेरी षकरण खेर की षशषिका रह चक ु ी हं. अनपु म के चाचा-चाची नैनीताल के थटोनले कंपाउंड मं रहते हं. 175 ाल का जी्ंत इषतहा 1841 मं ंदु र, शांत झील पर अंरेजं की नज़र पड़ी तो उ्हंने इ े अपनी जॳरतं के षह ाब े ष्कष त करना शॳ ु षकया. शायद अरं ेज यह भी ोचते रहे हंगे षक ्ह हमेशा यहाँ रहंगे, इ ीषलए उ्हंने यहाँ के नाज़क ु पयाव्रण के रषत अ्यषधक ं्ेदनशीलता षदखाई. शॲु आत मं नैनीताल मं अंरेजं की ही ब ा त रही. मगर 1900 आते-आते यहाँ षह्दथु ताषनयं की भी खा ी तादात हो गयी िी. अरं ेजं ने अपनी प दं ीदा जगह मं इ दखल को हन नहं षकया. नैनीताल ्लब, बोट हाउ ्लब जै ी जगहं षह्दथु ताषनयं के षलए नहं खल ु ी िं. यहाँ तक षक ड़क पर चलने को लेकर भी भेदभा् िा. माल रोड का ऊपरी भाग अंरेजं के षलए आरषित िा. घोड़े, कुते और भारतीय लोअर माल मं ही चल कते िे. लोगं मं इ भेदभा् को लेकर काफी रोष िा. यह रोष 1942 मं तब ामषू हक ॳप े फूटा, जब देश भर मं ‘ष््ट इषं डया म्ू मंट’ उफान पर िा. नैनीताल के थिानीय लोगं ने अपर माल पर चलकर इ टैबू को तोड़ षदया. जै -े जै े गाँधी, नेहॲ, गोषबंद ब्लभ पंत आषद रा्रीय नेताू ं की आ्ाजाही बढ़ने लगी, नैनीताल ् आ -पा के गां्ं के लोग भी रा्रीय मषु त के आ्दोलन मं उ ी मारा मं शाषमल होते चले गए. अरं ेज शा कं के षखलाफ ्ै ा तीर रोष यहाँ नहं षदखता जै ा आ -पा की जगहं अ्मोड़ा, पौड़ी, च्पा्त आषद मं. इ की ्जह अंरेजं की इ जगह और इ के लोगं के रषत िोड़ी उदारता हो कती है. अब तक बहुत े भारतीय पंजू ीपषतयं और ामंतं के ब्चे भी यहाँ आकर पढ़ने लगे िे. लेषकन आज़ादी के बाद नैनीताल षहमालयी िेर के मॖु ं की पहचान और उन मॖु ं के षलए घं षव का कं र बनता दीखता है. ्न आ्दोलन, ष्वष्ड़ालय आ्दोलन, जेपी आ्दोलन, आपातकाल और उ के बाद उतराखडं आ्दोलन मं जनतांषरक भा्नाू ं की रषत््षन षमलती है. ांथकृषतक बदला्ं की ृषि े भी नैनीताल कं र मं रहा है. इ की एक ्जह यहाँ मशहूर रंगकमी षगरीश षत्ाड़ी ‘षगदाव’ का होना भी ह कता है. जब उतर रदेश ष्भाषजत नहं हुआ िा, नैनीताल की रंगमचं थं िा ‘यगु मचं ’ मचू े उतर भारत की रषतषनषध थं िा बन गया िा. लेषकन यरू ोप की ांथकृषतक राजधानी रां की तजव पर नैनीताल भी कभी ोया नहं. अपने 175 ाल के इषतहा मं यह षनरंतर ताजगी और थफूषतव देता रहा है. ्ाषषवक नंदा दे्ी मेला नगर के भी ंरदाय के लोगं के षलए एक जॳरी कायवरम होता है. यह ्ाथतष्क ॳप मं कला और ंथकृषत का उ् ् होता है. नैनीताल मं षर म का ्यौहार भी खा उ् ाह े मनाया जाता है. D.I.) रमख ु थ्यं े्ी ंथिान और ंथिाएं पहाड़, मषहला मा्या, यगु मच ं , धरोहर, षचराग, षहमानी (षहमालयन मैन एडं नेचर इषं थटट्यटू ), षचया, ैषणयं का ंगठन, षहमालयन ो ाइटी फॉर हेरीटेज एंड आटव कंज्ेशन, नैनीताल माउंटेषनयररंग ्लब (एन.टी.एम. ी.), जागर आषद E. तिषा का लोकतरय हब अरं ेजं ने पहाड़ं को शॳ ु आती दौर े ही दषिण एषशया के षलए शा क तैयार करने ्ाली रयोगशाला के तौर पर देखा. खा कर षशमला, डलहौजी, म रू ी, देहरादनू , दाषजवषलंग और नैनीताल को अपने ब्चं की षशिा के हब के ॳप मं देखा. यही ्जह िी षक उनका यहाँ के थिानीय षन्ाष यं के रषत र्ैया भी अपेिाकृत नरम रहा. शीत जल्ायु को देखते हुए यह जगह उनके परर्ारं और ब्चं के षलए उपयत ु िी. कालांतर मं भारतीय शा क ्गव ने इन थिानं को अपनी जॳरत के षह ाब े ररज्व रखा. हालाँषक ्े अरं ेजं की तरह यहाँ की पाररषथिकी को उ कदर ंजो नहं पाए. नैनीताल के अंरेजीदां थकूलं े षनकले छार-छाराएं अपने-अपने िेरं मं ष तारा बनकर उभरे . ग्नं और ्ं ांत पेशं की लगभग भी शाखाू ं मं उनकी षनणावयक भषू मका रही. ए् ी इषं ्ल - (ज्म 1864, नैनीताल) षफषजष यन और ामाषजक कायवकताव, षिटेन मं मषहलाू ं के षलए थ्ाथ्य े्ाएँ ल ु भ कराने की मषु हम चलायी. रिम ष्व यॗ ु के दौरान महामारी की आशंका ्ाले कई देशं के यॗ ु थिलं पर ्े ाएँ दं. षजम कॉबेट- 1875 मं नैनीताल मं ज्मे. ंट जोज़फ कॉलेज मं शॳ ु आती षशिा. आदमखोर बाघं का षशकारी और बाद मं ््य जी् रेमी और लेखक. भारत का पहला बाघ उड़ान षजम कॉबेट नेशनल पाकव नाम े जाना जाता है. (पहले हेली नेशनल पाकव ) षजम नैनीताल नगरपाषलका के उपा्यि भी रहे. उ्हंने नैनीताल के रेनेज ष थटम का बायलॉज भी बनाया िा. उ के आधार पर बनी रेनेज (जो दरअ ल राकृषतक रोतं को झील े जोड़ती हं) अब भी ज की त हं. षजम के षपता नैनीताल पोथट ऑषफ मं पोथट माथटर िे. उ्हंने कालाढुंगी षथित छोटी ह्वानी गाँ् ब ाया िा, जहाँ जंगली जान्रं के बीच षजम और उनकी बहन मैगी का बचपन बीता. आदमखोर बाघं के षशकार के षलए ्यात षजम को कुमाऊं और गढ़्ाल के लोग फ़रर्ता मानते िे. उनकी बहादरु ी के षलए षिषटश ेना ने उ्हं कनवल की उपाषध दी िी. आज़ादी के बाद षजम कीषनया चले गए और नैरोबी मं अषं तम ां ली. गोषबंद ब्लभ पंत- थ्तंरता ंराम ेनानी, ंयत ु रा्त के पहले रधानमंरी, उतर रदेश के पहले म्ु यमरं ी, भारत के चौिे गहृ मरं ी, 1957 मं ‘भारत र्न’ ्मान. इ मे हेषथटं् - (ज्म 1887 नैनीताल) नाटो के पहले जनरल ेरेरी. लाडव माउंटबेटन के ाि भारत के ष्भाजन का खाका खंचा. इथमे को ेना के बंट्ारे की भी षज्मेदारी िी. ्ह क्मीर मं रे रंडम के बं ंध मं राजा हरी ष हं े भी षमला. क्मीर ष््ाद पर गषठत यं त ु रा्र की पहली कषमटी मं भी ्ह रहा. पाषकथतान ने उ पर भारत का एजंट होने का आरोप लगाया ्यंषू क इथमे भारत के ष्भाजन का पिधर नहं रहा. प ी होबाटव- षिषटश मेजर जनरल, षमषलरी इजं ीषनयर, ेना वारा बनाये जाने ्ाले अथिायी पल ु ं के षनमावण मं महारत. ूडे चा् व ष्नगेट- नैनीताल मं ज्म और रारंषभक षशिा. षिषटश जनरल, षवतीय ष्व यॗ ु मं ्माव मं कमांडर. ैम मानेकशॉ- 1971 के भारत-पाषकथतान यॗ ु मं भारतीय ेना के चीफ. शेर्डु कॉलेज े पढ़े. ोमनाि शमाव- (शेर्डु कॉलेज) फोर कुमाऊं रे षजमंट के मेजर शमाव, भारत के पहले परम्ीर चर ष्जेता. उनकी रारंषभक षशिा शेर्डु कॉलेज नैनीताल मं हुई. नारायण दत षत्ारी- प्ू व के ्रीय ष्देश, ष्त और उड़ोग मंरी, य.ू पी. और उतराखडं के प्ू व म्ु यमंरी. कृ्ण च्र पंत- योजना आयोग, भारत रकार के प्ू व उपा्यि. ंट जो फ े पढ़ाई. आर.के . पचौरी- ्लाइमेट चंज पर गषठत आई.पी. ी. ी. के चेयरमैन और नॉबेल परु थकार ंयत ु ष्जेता. नैनीताल मं ज्म. ‘ररटनव टू अ्मोड़ा’ उप्या के लेखक. रो. ्ंदना षश्ा- (न्दा्या ंथिा की ंथिापक) पयाव्रणष्द, भौषतकष्द, इको-फे षमषनथट. रमन मै् े े परु थकार ष्जेता. ्दं ना की रारंषभक षशिा ऑल ंट् कॉलेज नैनीताल मं हुई. अनपू जलोटा- भजन गायक का ज्म नैनीताल मं हुआ. अषमताभ ब्चन- षशिा नैनीताल के शेर्डु कॉलेज मं. शॲु आती षिएटर भी यहं. न ीॲॖीन शाह- शाह की रारंषभक षशिा ंट जोज़फ कॉलेज नैनीताल मं हुई. कबीर ्ेदी- बॉली्डु ए्टर, शेर्डु थकूल. डैनी डैनजो्पा- ष ष्कम मं ज्मे डैनी की रारंषभक षशिा नैनीताल षथित षबड़ला ष्ड़ा मंषदर मं हुई. अषभनय की शॲु आत यही े की. षनमवल पा्डेय- बॉली्डु ए्टर, नैनीताल मं ज्म और ‘यगु मचं ’ के ाि लंबा षिएटर. ‘रेन टू पाषकथतान’, ‘बंषडट ््ीन’ आषद षफ्मं मं अहम् षकरदार. ‘षजन लाहौर नी बे्या’ की मंचीय रथतषु त के षलए ष््यात. षदलीप ताषहल- बॉली्डु ए्टर नैनीताल मं पढ़े. मनीष पा्डेय- षरके टर, नैनीताल मं ज्म (गाँ्- कांडा, बागेवर). इररक मटूररन- षिषटश ए्टर (1881, नैनीताल मं ज्म), पहले षिषटश ने ा मं ्यषू तनंट और बाद मं षिएटर के रमख ु हथतािर बने. अंरेजी की शॳ ु आती मक ू षफ्मं मं अषभनय. मल ू शे् षपयरीयन रामा कंपनी का षहथ ा. इथलाम ष ॖीकी- ह्वानी षन्ा ी और 30 ाल े अमेररका मं रह रहे इथलाम ष ॖीकी ओब म सरक र मं रा्रपषत के म्ु य कृषष लाहकार हं (कुछ मय पहले े्ाषन्तृ हुए हं). यह कै षबनेट मंरी के थतर का पद है. इ े प्ू व ्े ष्लंटन रकार के मय ष्षभ्न रशा षनक पदं पर रहे. ष ॖीकी की रारंषभक षशिा ह्वानी े हुई. उ्हंने थनातक थतर की पढ़ाई जी.बी. पंत कृषष ए्ं रौड़ोषगकी ष्वष्ड़ालय, पंतनगर े की. इ के बाद की पढ़ाई इषलनोइ यषू न्ष टव ी े की. मनथ्ी ममगाई- नैनीताल मं ज्म और रारंषभक षशिा. षम इषं डया ््डव 2010. ंट जो फ े प्ू व कै षबनेट र े े री, भारत रकार कमल पांडे (अटल षबहारी बाजपेयी रकार), प्ू व कं रीय गहृ षच् धीरे ्र ष हं , जनरल मैनेजेर (्ेथटनव रे ल्े) मक ु ु ल पा्डे, ष्नय भषू ण ( षच्, भारत रकार), एल.ए . षबि (डी.आई.जी., षद्ली पषु ल ), ष्रम री्ाथत् (डी.जी. ी.आर.पी.एफ.), अनपू मख ु जी (म्ु य षच्, षबहार रकार), मक ु ु ल जोशी ( षच्, गहृ ष्भाग, भारत रकार), जु ॉय जोशी ( षच्, ऊजाव और जल्ायु परर्तवन, भारत रकार), अषनल गतु ा ( ी.ई.ू., कृभको, र ायन और खाद मंरालय), ए.पी. काला (डी.जी. ंरल इकॉनोषमक इटं ेषलजं अिॉररटी), टी.के . ाह और ए.के . ष ंह (दोनं चीफ कषमनर, इनकम टै् ), ताररक कुरै शी (ए्जी्यषू ट् डायरे ्टर, इजं ीषनयररंग रोजे्ट् , भारी उड़ोग मरं ालय), अशोक षबि (षनदेशक, टी.एच.डी. ी.), रष् कोचक ( ी.डी.ई., रे ल कोच, रे ल मरं ालय), मेलष्ले डी.जे. गेलाडव (चीफ इकॉनोषमक एड्ाइजर, यरू ोषपयन कमीशन), मनोज जोशी (षनदेशक, इजं ीषनये व इषं डया षलषमटेड, पेरोषलयम मंरालय). ंट् जो फ ने ेना को ्ाई एडषमरल ॲथतम के .ए . गाँधी (्ीर चर, गो्ा ्ॉर) आषद ंट जो फ नैनीताल े पढ़े िे, जो रशा षनक े्ाू ं मं गए. राजनीषत के िेर मं इ थकूल े के योजना आयोग के ) पंत . ी. और र्जू भैया (प्ू व उपा्यि के .ए .ए .आर ,राजंर ष हं .रो) प्ू वमषु खया( आषद षनकले . तसिीबंक के कंरी हेड (कोलंतबया) तबरम कोचर, तसिीबंक के मैनेतिंग डायरे्िर (इ्ं लंड) तिनीि िोिी, बैनेि कोलमन एडं कंपनी (िाइ्स ऑफ़ इतं डया रपु ) के सी.एम.ओ. राहुल कंसल, इतं डगो एयरलाइ्स के ए्िी्यतू िि डायरे्िर िति ल्ु बा आतद संि िोसफ के छार रहे हं. इतं डयन इतं ्िि्यिू ऑफ़ एडिां्ड ्िडीि तिमला के तनदेिक रो. पीिर रोना्ड, तफ्म गीिकार नीलेि तमर, मेल िुडे के सपं ादक मनोि िोिी, आई.पी.एल. के स्ं ्ापक लतलि मोदी आतद इस ्कूल से पढ़े हं. समािसेिी एललजाबेथ ्हीलर काठगोदाम मं अपनी पुरानी कोठी मं रहिी हं. देि आज़ाद हुआ िो उनका पररिार लदं न चला गया, लेतकन ्हीलर ने पहाड़ की नाररयं की सेिा के उदे्य से खुद को यहं का बना तलया. तफ्म तनदेिक करण िौहर की मां संि मैरी ्कूल की हो्िलर रहं ्ं. िहलका के सं््ापक िुण िेिपाल का घर गेतठया, भोिाली मं है. नैनीिाल मं तफ्माई गई बॉलीिडु तफ़्मं मधुमिी- तदलीप कुमार/ तिमल रॉय कोई तमल गया- ऋतिक रोिन रामा ओ रामा- तकतम कािकर ‘तसफथ िमु ’- सि ं य कपूर/ तरया तगल तििाह- िातहद कपूर/ अमृिा राि बाि- िैकी रोफ, करर्मा कपूर, िानू- िैकी रोफ, किी पिंग- रािेि ख्ना/ आिा पारेख काल- िॉन अराहम/अिय देिगन, आतह्िा आतह्िा- सोहा अली/ अभय देिल