Ghazal Book KAZA
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़ज़ा
(ाज़र सॊग्रह एिॊ अन्म)
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कवि ऩरयचम
कुरिॊत ससॊह
@ सिाासधकाय सुयक्षऺत
़ज़ा Page 2
दान
इस ऩुस्तक के सरए अथिा सेिा बािना हे तु मदद
आऩ धन अथिा श्रभ दान दे ना चाहं तो कृ ऩमा
सनम्न सॊस्था को सीधे सॊऩका कयं । 'ग्िासरमय
सचल्रे न हाक्षस्ऩटर चैरयटी’ द्वाया ’स्नेहारम’ एिॊ
’ग्िासरमय हे ल्थ एण्ड एजुकेशन सोसाइटी’ तथा
’ग्िासरमय हाक्षस्ऩटर एण्ड एजुकेशन चैरयटे फर
ट्रस्ट’ के सहमोग से चराए जा यहे असबनि
भहती सहामता कामं की क्षजतनी प्रशॊसा की
जाए, कभ है ।
http://www.gwalior.hospital.care4free.net/Gwalior_Ch
ildrens_Hospital.html
http://www.gwalior.hospital.care4free.net/snehalaya_
the_home_with_love.html
www.helpchildrenofindia.org.uk
Gwalior.Hospital@care4free.net
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pircaya kiva kulavaMt isaMh
janma : 11 janavarI, $D,kI,, ]%traMcala
p`aqaimak evaM maaQyaimak iSaxaa : krnaOlagaMja gaaoMDa ³]ºp`º´
]cca iSaxaa : AiBayaaMi~kI, Aa[-º Aa[-ºTIº, $D,kI
³rjat pdk evaM 3 Anya pdk´
pustkoM p`kaiSat : 1- inakujM a ³kavya saMga`h´
2 - prmaaNau evaM ivakasa ³Anauvaad´
3 - iva&ana p`Sna maMca
4 – kNa xaopNa ³p`kaSanaaQaIna´
5 – icarMtna ³kavya saMga`h´
6 – hvaa naUM gaIt ³inakuMja ka gaujaratI Anauvaad´
7 – शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह (खण्ड काव्म)
rcanaaeM p`kaiSat : saaihi%yak pi~kaAaMo, prmaaNau }jaa- ivaBaaga, rajaBaaYaa
ivaBaaga, koMd` sarkar kI iviBanna gaRh pi~kaAaoM, vaO&ainak,, iva&ana,
AaivaYkar,, AMtrjaala pi~kaAaoM maoM Anaok saaihi%yak, vaO&ainak, rcanaaeM
purskRt : kavy,a, laoK,, iva&ana laoKaoM, evaM ivaiBanna saMsqaaAaoM Wara
pu$skRt, ivaBaagaIya ihMdI saovaaAaoM ko ilae, याजबाषा गौयि सम्भान
saovaaeM :‘ihMdI iva&ana saaih%ya pirYad’ sao 15 vaYaao-M sao saMbaMiQat
vyavasqaapk ‘vaO&ainak’ ~Omaaisak pi~ka
iva&ana p`Sna maMcaaoM ka prmaaNau }jaa- ivaBaaga evaM Anya
saMsqaanaaoM ko ilae AiKla Baart str pr Aayaaojana
i@vaja maasTr
kiva sammaolanaao mao kavya paz
saMp`it : vaO&ainak AiQakarI,pdaqa- saMsaaQana, p`Baaga, BaaBaa prmaaNau
AnausaMQaana koMd`, mauMba[- - 400085
inavaasa : 2 DI, bad`Inaaqa, A`uNuaSai@tnagar, mauMba[- - 400094
faona : 022-25595378 (O) / 09819173477 (R)
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अनुक्रभक्षणका
ाज़रं
1. फॊदा था भं खुदा का ..………………… 8
2. बयभ ऩारा था भैने ..………………… 9
3. मकीॊ दकस ऩय करूॉ ..………………… 10
4. तऩ कय गभं की आग भं ..……………….. 11
5. हभ उसूरं की तयह ..………………… 12
6. प्माय से दसु नमा को सायी ..………………… 13
7. शैदाई सभझ कय ..………………… 14
8. चुबा काॊटा ..………………… 15
9. दाित फुरा के ..………………… 16
10. गभं को जीत ..………………… 17
11. गोद भं यख सय ..………………… 18
12. गुभान था दक भेये सय ऩे ..………………… 19
13. क्षजॊदगी तो उरझनं का ..………………… 20
14. दे ख कय रोग भुझे ..………………… 21
15. गरती कफूरता जो ..………………… 22
16. अश्ककं से वऩयोई है ..………………… 23
17. धन की चाहत भं ..………………… 24
18. कफूरता हूॉ भं ..………………… 25
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19. राश फन कय भं बरा ..………………… 26
20. भेघ फन कय ..………………… 27
21. नहीॊ है साॊझ अऩनी ..………………… 28
22. फड़े हभ जैसे होते हं ..………………… 29
23. इतना बी ज़ब्त भत कय ..………………… 30
24. जफ से गई है भाॉ ..………………… 31
25. प्माय का इजहाय कयके ..………………… 32
26. रफं ऩे मे हल्की सी ..………………… 33
27. यात तन्हा थी ..………………… 34
28. भेयी दिा की ..………………… 35
29. माद फन कय भेये ददर भं .………………… 36
30. छे ड़ कय ददर के तयाने ..………………… 37
31. भुफ़सरसी भं ..………………… 38
32. यात की आॉखं भं ..………………… 39
33. चाॉद सूयज आसभाॉ ..………………… 40
34. खेर कुसी का ..………………… 41
35. दे श भं है अफ जरूयत ..………………… 43
36. दॊ ब हो ददर भं ..………………… 44
37. दीन दसु नमा धभा का ..………………… 45
38. सभरी भुझे दसु नमा सायी ..………………… 46
39. भै जफ बी ..………………… 47
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40. माद भौरा को कयं ..………………… 48
41. अल्रा के दय ऩे ..………………… 49
42. खुद को बुरा ..………………… 50
43. जफ से तेयी योशनी ..………………… 51
तयही ाज़रं
44. प्माय बरे दकतना ही कय रो ..……………. 52
45. मे क्मा हुआ भुझे ..………………… 54
46. कबी इकयाय चुटकी भं ..………………… 55
47. ददा औ दख
ु से ..………………… 57
48. दकसको है सॊत्रास .………………… 58
50. नज़्भ ..………………… 59
51. दोहे - धयभ के ..………………… 61
52. दोहे - साभाक्षजक ..………………… 64
53. भुक्तक ..………………… 67
54. हाइकु ..………………… 68
55. भादहए ..………………… 71
56. सभीऺाएॉ ..………………… 83
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फॊदा था भं खुदा का, आददभ भुझे फनामा,
इॊ सासनमत ने भेयी भुजरयभ भुझे फनामा ।
भाॉगी सदा दआ
ु है , दश्कु भन को बी खुशी दे ,
है िासनमत ददखा के ज़ासरभ भुझे फनामा ।
नाददभ = शभासाय
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बयभ ऩारा था भैने प्माय दो तो प्माय सभरता है ।
महाॉ भतरफ के सफ भाये न सच्चा माय सभरता है ।
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मकीॊ दकस ऩय करूॉ भै आइना बी झूठ कहता है ।
ददखाता उल्टे को सीधा ि सीधा उल्टा रगता है ॥
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तऩ कय गभं की आग भं कॊु दन फने हं हभ .
खुशफू उड़ा यहा ददर चॊदन सने हं हभ .
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हभ उसूरं की तयह रयश्कते सनबाते ही यहे .
गाज़ फन कय हभ ऩे िह वफजरी सगयाते ही यहे .
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प्माय से दसु नमा को सायी जीतना भं चाहता था .
फाॊटने अऩनं को खुसशमाॊ हायना भं चाहता था .
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शैदाई सभझ कय क्षजसे था ददर भं फसामा ।
कासतर था िही उसने भेया कत्र कयामा ॥
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चुबा काॊटा चभन का पूर भारी ने जरा डारा।
फना है िान ऩौधा खीॊच जड़ से ही सुखा डारा।।
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दाित फुरा के धोखे से है काट ससय ददमा .
है िाॊ का जी बया न तो दपय ढ़ा कहय ददमा .
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गभं को जीत भं आॉसू छुऩाता .
खुशी के गीत हूॉ हय ऩर सुनाता .
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गोद भं यख सय भं क्षजसकी सो यहा था .
विष िही भेये फदन भं फो यहा था .
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गुभान था दक भेये सय ऩे उसका सामा है .
उसी ने ज़हय भुझे फाऩ फन वऩरामा है .
शादहद = गिाह
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क्षजॊदगी तो उरझनं का, इक फड़ा सा जार है ,
साथ सच के अफ महाॊ , जीना हुआ फेहार है .
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दे ख कय रोग भुझे यश्कक दकमा कयते हं .
क्मा ऩता उनको छुऩे गभ भुझभं यहते हं .
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गरती कफूरता जो, कहते उसे हं इॊ साॊ .
गरती ऩे जो न शसभंदा हो, िही है है िाॊ .
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अश्ककं से वऩयोई है तफस्सुभ की मे भारा .
हॊ सता हूॉ सदा जफ से गरे इसको है डारा .
घी, दध
ू कहीॊ ऩय है , कहीॊ बूख तड़ऩती,
दसु नमा भं बरा खेर है कैसा मे सनयारा .
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धन की चाहत भं हुआ है आज अॊधा आदभी .
तन ऩे कऩड़े डारकय ददखता है नॊगा आदभी .
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कफूरता हूॉ भं िह ज़ुभा जो दकमा ही नहीॊ .
रहूरुहान हुआ हूॉ भं, फस भया ही नहीॊ .
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राश फन कय भं अबी तक जी यहा कैसे बरा .
उसके हाथं विष भं इतना ऩी यहा कैसे बरा .
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भेघ फनकय भं खुशी घय-घय भं जफ फयसा यहा था .
कोई भेया अऩना ही तफ घय भेया जरिा यहा था .
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नहीॊ है साॊझ अऩनी औ सिेया ।
न आमा यास भुझको शहय तेया ॥
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फड़े हभ जैसे होते हं तो रयश्कता हय जकड़ता है ।
महाॊ फनकय बी अऩना क्मूॉ बरा कोई वफछड़ता है ।।
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इतना बी ज़ब्त भत कय आॉसू न सूख जाएॉ .
ददर भं छुऩा न ाभ हय आॉसू न सूख जाएॉ .
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जफ से गई है भाॉ भेयी योमा नहीॊ .
फोक्षझर हं ऩरकं दपय बी भं सोमा नहीॊ .
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प्माय का इजहाय कयके क्मूॉ चरे जाते हं रोग।
कैसे जी ऩाते हं िह हभ तो रगा रेते हं योग॥
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रफं ऩे मे हल्की सी रारी जो छामी ।
हभायी है रगता तुम्हं माद आमी ॥
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यात तन्हा थी न तुभ ददन को सज़ा-ए-भौत दो .
ऩास आ जाओ न तुभ भुझको सज़ा-ए-भौत दो .
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भेयी दिा की कड़िाहट तुभ जया ऩी रेना .
तुभ अऩनी क्षजॊदगी की कटु ता भुझे दे दे ना .
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माद फन कय भेये ददर भं आज दपय तू छा गई ।
फन के आॊसू आज इन आॊखं को भेयी बा गई ।।
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छे ड़ कय ददर के तयाने, है बुरामा माय ने .
रीन िह दसु नमा भं हं , हभको सतामा माय ने .
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भुफ़सरसी भं माय क्मूॉ फातं है कयता प्माय की .
अफ तो उल्पत बी हुई है , चीज इक फाजाय की .
फन के दे खो दस
ू यं का जीने भं आता भज़ा,
कोई बी फन जाता अऩना, फात फस इसयाय की .
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यात की आॉखं भं आॊसू आज दपय हं फह यहे .
टू ट कय दो ददर हं रगता आज दपय दख
ु सह यहे .
फददआ
ु सनकरी तड़ऩ के जफ हुए फयफाद ददर,
दौय-ए-भहशय दे ख रो भजफूत घय बी ढ़ह यहे .
भहशय = प्ररम
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चाॊद सूयज आसभाॊ धयती हिा सभरते सबी को .
आदभी ने जो फनामा, क्मं न सभरता हय दकसी को .
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खेर कुसी का है माय मह,
शि ऩड़ा फीच फाज़ाय मह ।
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ऩेट इनका हो दकतना बया,
सेफ खाने को फीभाय मह ।
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दे श भं है अफ जरूयत दपय से रामं इॊ कराफ .
अऩने ही जो यहनुभा हं , उनऩे ऩामं पतहमाफ .
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दॊ ब हो ददर भं तो क्मूॉ शॊकय सभरेगा .
ऩाऩ कयता जग भं पर कॊकय सभरेगा .
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दीन दसु नमा धभा का अॊतय सभटा दे .
जोत इॊ सानी भोहब्फत की जरा दे .
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सभरी भुझे दसु नमा सायी जफ सभरा भौरा .
बुरा दॉ ू भै खुद को नाभ की चखा भौरा .
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भं जफ बी हूॉ दकसी इॊ साॊ के कयीफ जाता ।
अल्राह तेया फस तेया ही िजूद ऩाता ॥
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माद भौरा को कयं फनती हं फातं सायी .
संकना योटी नही दे ख दख
ु ं की ससगयी .
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अल्रा के दय ऩे शीश जफ, अऩना निा रेते हं हभ .
साये गभं को बूरकय, खुसशमं को ऩा रेते हं हभ .
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खुद को बुरा खुदा को आओ फसा रं ददर भं .
नपयत बुरा भोहब्फत को हभ सभा रं ददर भं .
दख
ु ददा को छुऩाकय, जो जी यहे हं इॊ साॊ ,
कुच ददा फाॊट उनके, उनको वफठा रं ददर भं .
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जफ से तेयी योशनी आ रूह से भेयी सभरी है ।
अऩने अॊदय ही भुझे सौ सौ दपा जन्नत ददखी है ॥
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प्माय बरे दकतना ही कय रो, ददर भं कौन फसाता है .
भीत फना कय क्षजसको दे खो, उतना ही तड़ऩाता है .
अऩना दख
ु ही सफको रगता सफसे बायी दसु नमा भं,
फस अऩने ही दख
ु भं डू फा अऩना याग ही गाता है .
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मे क्मा हुआ भुझे न आज खुद ऩे इक्षख्तमाय है .
भेये सरए बी क्मा कोई उदास फेकयाय है .
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कबी इकयाय चुटकी भं कबी इनकाय चुटकी भं ।
कनख्मं से जो दे खा उसने, सभझो प्माय चुटकी भं ॥
अहॊ भं बय के क्षजसने बी दख
ु ामा ददर है अऩनं का,
वफखयते दे खे हं ऐसे कई ऩरयिाय चुटकी भं ।
दख
ु ं के बाय से है दफ गमा इॊ सान दसु नमा भं,
कयो बक्तं का अफ बगिान फेड़ा ऩाय चुटकी भं ।
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हुआ है आदभी इस दौय का अफ फेयहभ दे खो,
जो ऩारे, नोचता उसको ही फन खूॊखाय चुटकी भं ।
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ददा औ दख
ु से दोनं थे भाये हुए .
एक दज
ू े के हभ मूॉ सहाये हुए .
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दकसको है सॊत्रास ये जोगी .
कौन चरा फनिास ये जोगी .
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नज़्भ
हय तयप दसु नमा भं फस ताक्षजय हं
ऐ भेये भसरक भुझे बी एक काभ दे दे .
योज एक शख्स के गभं को सभटाकय
चेहये ऩय तफस्सुभ राने का इनाभ दे दे .
हय इॊ सान दस
ू ये ऩय मकीन कये ,
आसभाॊ बी जभीॊ से दआ
ु सराभ कये ,
हय क्षजॊदगी को नेभत से निाज सकॉू
खुसशमं से बया गुरशन इनाभ दे दे .
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मह दसु नमा एक जन्नत फन जाए,
हय करी पूर फन कय इतयाए,
रोगं के ददरं भं भुझे थोड़ी जगह दे दे ,
भेयी इस आयजू को ऐ खुदा अॊजाभ दे दे .
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1. धयभ ससखामे शुद्धता, धयभ ससखामे शीर .
भमाादा मह धयभ की, कबी न दे ना ढ़ीर .
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8. सॊिेदनाएॊ असनत्म, सचत्त जगा जफ फोध .
भागा भुवक्त के खुर गमे, यहा न इक अियोध .
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15. धन्म गुरू की सीख है , धन्म गुरू के फोर .
सचत सनभार ऐसा दकमा, ददमा धभा अनभोर .
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साभाक्षजक दोहे
1. भधुय प्रीत भन भं फसा, जग से कय रे प्माय .
जीिन होता सपर है , जग फन जामे माय .
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15. छर कऩट रूट झूठ सफ, चरता जीिन सॊग .
सच ऩय अफ जो बी चरे, रगे ददखाता यॊ ग .
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भुक्तक
1. न्माम वफकता है तयाजू तोर रे,
रृदम की सॊिेदना का भोर रे,
हय तयप है रुऩमा आज फोरता,
फेचने अऩनी वऩटायी खोर रे.
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हाइकु
1. क्षजॊदगी एक
गभं का है दरयमा
फस तैरयमे !
2. फेटी का जन्भ
घय भे है भातभ
ऩयामा धन !
3. गयीफी ऩाऩ
भौत से फदतय
जीना दश्व
ु ाय !
4. सच की याह
चरना है भुक्षश्ककर
काॊटो से बयी ।
5. सनयाशा छामी
उजारे सछऩ गमे
क्षऺसतज तक ।
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6. स्िप्न सजाओ
ददर को फहराओ
क्मा जाता है ?
7. हसयत है
तुम्हायी चाहत की
सभरो न सभरो !
8. ददर का ददा
ददर िारे ही जाने
वफछुड़ कय ।
9. अऩनी धया
वफछुड़ कय योता
भाॉ तुल्म गोद ।
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11. बरी रगती
प्माय भे इसयाय
इॊ तजाय है ।
14. ऩयदे श है
गारी बी दं तो दकसे
अऩना कौन ?
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16. अश्कक फहाऊॉ
कौन बरा अऩना
ऩंछे गा कौन ?
भादहमे
1. साजन कफ आमंगे
दे ख यही कफसे
हभ ऩरकं वफछामंगे .
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3. जफ से है तुझे दे खा
ददर न यहा अऩना
साॊसं ने ददमा धोखा .
7. अनभोर हं मह भोती
मूॉ न फहा आॉसू
हय फात ऩे क्मं योती .
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8. कयना न बयोसा तुभ
अक्श बी है झूठा
उल्टे का है सीधा भ्रभ .
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13. सऩनं को सजाते हं
ददर भं छुऩा के दख
ु
हय ऩर भुसकाते हं .
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18. तेया भुझसे नाता
ददा का है रयश्कता
सॊग आॉसू फहा जाता .
22. यफ को बज रे फॊदे
दपय न सभरे भौका
सफ काभ सभटा गॊदे .
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23. कयतूत है आदभ की
शभा से गड़ जातीॊ
नज़यं ऩयभातभ की .
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28. पूरं से सभरा धोखा
माय फनाने को
काॊटं को है अफ योका .
31. दे खी है इफादत जफ
दे खना है हभको
उसका तो करयश्कभा अफ .
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33. ददरफय हं भेये आते
जा के रे आऊॉ भं
धुन गीत भधुय गाते .
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38. है चाॊद क्षखरा ऩूनभ
आग रगी शीतर
साजन वफन आॉखे नभ .
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43. क्मं रूठ गमा चॊदा
याज कहूॉ दकससे
है टू ट गई तॊद्रा .
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48. भाॉ नाश कयो दज
ु ान
दकतने अधभ ऩाऩी
जीना है कदठन सज्जन .
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53. नि बोय बई नब भं
छोड़ उदासी अफ
जीिन दपय जी सच भं .
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सनकुॊज : सभीऺा (1)
विऻान के कविता होने का अथा है कवि कुरिॊत ससॊह
कविता विऻान नही होती, रेदकन विऻान के साथ चरे
तो इसका व्मवक्तत्ि कुहये भं क्षखरी धूऩ की तयह आकषाक होता
है - कवि कुरिॊत ससॊह की कविताओॊ को ऩढ़कय मही कहना
ठीक होगा. ’सनकॊु ज’ ७७ कविताओॊ का सॊग्रह है , जो कविताएॊ
कुरिॊत ससॊह के सॊिेदनशीर भन औय आरोचक भक्षस्तष्क की
धायाओॊ से सभरकय फनी कविताएॊ हं , जो सभकारीन दहॊ दी
कविताओॊ के सरए यसामन की तयह दहतकायी हं . दहतकायी इस
अथा भं दक आज की कविताएॊ दकस तयह व्मक्त होकय औय
क्मा कहकय अऩने अक्षस्तत्ि को फचाए यख सकती हं , इसका
सॊदेश माॊ भॊत्र इन कविताओॊ भं व्माप्त औय वफखया हुआ है . मह
सही है दक आज हभ क्षजस ऩरयिेश भं जी यहे हं ,
क्षजॊदगी कदासचत क्षजसभं अऩनी
अॊसतभ घुटी साॊसे रे यही है / जहाॊ
सन:शब्द / यावत्र की नीयिता/स्माह कारे
अऩने दाभन भं/रऩेटे हुए है -एक टीस (आॊसतभ साॊसे ऩृ.९३) रेदकन
कवि कुरिॊत इसी भं घुटकय नही यहते, एक सुरझे
़ज़ा Page 83
िैऻासनक की तयह यावत्र की नीयिता के कायण औय उससे
भुवक्त के यहस्मं को खोरते बी हं औय तफ इनकी कविताएॊ बी
कासरखऩुती बाषाओॊ भं व्मक्त कॊु ठाओॊ औय औय फडफोरेऩन की
आधुसनक कविताओॊ का साथ छोड़कय सादहत्म के भॊगरभम
यहस्म रोक से जुड़ जाती हं . कुरिॊत ससॊह की कविताएॊ
अॊधकाय के ऩेट भं योशनी का सतॊब हं , क्षजसभं ऩूयी दसु नमा के
सरए भभता है , योशनी है . इनकी कविताओॊ का मह िैष्णि
व्मवक्तत्ि उनकी कविताओॊ भं एकदभ खुरकय बी साभने आ
जाता है ,
जीिन को न फाॊसधए / सनमभं से / उसूरं से -
जीिन तो इत्र है / इसको दीक्षजए भहकने (सनझाय ८७)
डू फते सूमा को दे खा.... / डू फते डू फते बी / यक्षश्कभमाॊ /
वफखयाता जाता / भहाऩुरुषं - सा / कुछ दे कय जाता
(सूमाास्त ऩृ ८९)
अगय आऩवत्त न रगे तो कुरिॊत ससॊह के कविता सॊग्रह
’सनकॊु ज’ के सरए एक ऩॊवक्त भं कहना चाहूॊ तो कहूॊगा दक आज
के उफरते ऩरयिेश के भहाबायत के फीच ददशाहीन, भसतभ्रभ
सनस्तेज अजुानं के सभऺ ऩढ़ी गई नई ’गीता’ है , क्षजस गीता
का भूल्माॊकन, काव्मशास्त्र की शब्दशवक्त, यीसत-गुण, ध्िसन, औय
यस की जभीन ऩय नहीॊ, उसभं व्मक्त िृहत्तय जीिन दृवष्ट के
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आधाय ऩय होता है , िैसे कवि कुरिॊत ससॊह का ’सनकॊु ज’ काव्म
की ध्िसन को बी सभझता है , यीसत- गुण की शैरी को बी, औय
शामद फेहतय ढ़ॊ ग से - मही कायण है दक कथ्म के फदरते ही
कविता की शैरी बी उसी यॊ ग भं फदर जाती है . कवि का मह
’सनकॊु ज’ दकसी एक खास यसिादी का घय नही है , यसॊॊ का
यास है इस काव्मशारा भं - बािं के क्षजतने छोटे फड़े यॊ ग हो
सकते हं - ’सनकॊु ज भं सफ साथ हं . अगय ठीक से ’सनकॊु ज’ के
स्िय को ऩकड़ने की कोसशश कयं तो हभं दहॊ दी काव्म के
आददकार से रेकय आधुसनक कार के नागाजुान, केदायनाथ
अग्रिार तक की कविताओॊ के स्िय गूॊजते सभरंग.े रेदकन साये
स्ियं भं एक स्िय सफसे असधक भुखय है , औय िह मह -
आओ खोजं इक नई दसु नमा को
क्षजसभं तुभ तुभ न यहो, भं भं न यहॊू फस हभ यहं
(नई दसु नमा ऩृ ५०)
दहॊ दी की सभकारीन कविता भं मह कुछ अरग सा स्िय
है , जो आज की कविताओॊ भं दर
ु ब
ा हो गमा है , औय जो कवि
कुरिॊत ससम्ह भं आकाशदीऩ की तयह उठता है .
सभीऺक : डा. अभयं द्र;
सॊऩादक, ’िैखयी’
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सनकुॊज : सभीऺा (2)
आत्भीम सॊिाद फनाती कविताएॊ
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उसकी सचॊताओॊ भं कुछ प्रश्न सहज रुऩ से आ खड़े होते हं . िह प्रश्न
कयता है दक क्मा चाॊद सूयज धयती बी फदर यहे हं ? जफ िे नही
फदर ऩा यहे हं तो तुभ इस प्रिाह की रऩेट भं आने से क्मा अऩने
आऩ को फचा नहीॊ ऩा यहे हो. प्रकृ सत का जया सा बी फदराि हभाये
सरए जीने भयने का प्रश्न फन जाता है . अत: फदराि दकस काभ क
जो औयं का जीिन खतये भं दार दे . दपय हभाये अऩने क्मा आदशा
होने चादहएॊ, आदद ऩय एक कवि भैन यहने के फजाए भुखय होकय
अऩनी फात हभाये सभऺ यखता है .
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कविताओॊ भं है , सादहत्म भं है , तो मह हभ रोगं का ऩयभ सौबाग्म
है दक ऐसे ऊजाािान कवि को हभाये फीच भं ऩाकय हभ गदगद हुए
वफना नही यह सकते.
गोिधान मादि
अध्मऺ, भ. प्र. याष्ट्रबाषा प्रचाय ससभसत
क्षजरा इकाई, सछॊ दिाड़ा, भ. प्र.
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सचयॊ तन : सभीऺा (1)
कुरिॊत ससॊह का भूर बाि उदबोधन है
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छुऩा कहाॊ बगिान.
प्रकसत का िणान –
कन कन फयखा की फूॊदे,
िसुधा आॊचर सबगो यहीॊ,
फेटी जन्भ के प्रसत साभाक्षजक कुसॊस्काय –
भाॉ को कोसा फेटी के सरए जाता,
तानं से जीना भुक्षश्ककर हो जाता,
गरा घोटकय माॊ क्षजॊदा दपना ददमा जाता.
कुरिॊत ससॊह प्रतायणा ही नही उदबोधन के बी कवि हं –
ऺुब्ध उदास भन हवषात कय रो,
ऺीण रृदम स्ऩॊददत कय रो,
आघात बूर सहज हो रो,
सॊगीत प्रकृ सत का वफखया सुन रो.
औय मह –
कुछ अशोक, चॊद्रगुप्त, अकफय फन दे श को जोड़ जाते हं कुछ
औयॊ गज़ेफ, भीयजाफ़य, जमचॊद फन दे शको तोड़ जाते हं
औय आज का मुगीन वियोधाबास –
आज के मुग भं दकतनी तयक्की है ,
ट्रे नं , हिाई जहाज सड़क ऩक्की है ,
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याकेट सभसाईर कायं ससताया होटर हं ,
औय
नजयं उठा कय दे ख रो दकसी बी शहय गरी भं,
कचये के डब्फं से खाना ढ़ू ॊ ढ़ता आदभी,
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एटभ खुद है छोटा इतना,
नासबक का तो दपय क्मा कहना,
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सचयॊ तन : सभीऺा (2)
शुबाशॊसा
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िैऻासनक असधकायी हं . इसके फाव्जूद सादहत्म के प्रसत
जन्भजात रगाि के कायण ही मे अऩने प्रथभ सॊग्रह सनकॊु ज से
सनकरकय सचयॊ तन तक आ ऩहुॊचे हं .
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