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शश्रीससूक्तमम्
शश्रीननिग्रहहाचहारर्य ककृत शङ्करभहाष्य
एवव
शश्रीप्रसहाद-नहनश्रीटश्रीकहा सनहत
ललेखक
शश्रीभहागवतहानिवद गगुर
सवपहादक
अरण कगुमहार पहाणलेर
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 2
NOTION PRESS
India. Singapore. Malaysia.
ISBN xxx-x-xxxxx-xx-x
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 3
शश्रीससूक्तमम्
शश्रीननिग्रहहाचहारर्य ककृत शङ्करभहाष्य
एवव
शश्रीप्रसहाद-नहनश्रीटश्रीकहा सनहत
ललेखक
शश्रीभहागवतहानिवद गगुर
सवपहादक
अरण कगुमहार पहाणलेर
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 4
धमर्यसवरक्षणहारहार्यरहाधमर्यसवहहारहलेतवले।
ननिग्रहहाणहाञ्च धमहार्यजहा ललोकले ललोकले प्रवरर्यतहामम्॥
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 5
भसूनमकहा
'शश्री' धनि ककी अशधषहात्रश्री दलेवश्री हहैं अततः वतर्यमहानि ममें धनिमहात्र कलो अपनिहा
परम पगुरषहारर्य महानिनिले वहालले ललोग भश्री धनि ककी कहामनिहा सले इस ससूक्त कले
रहसलोव कलो नि जहानितले हुए भश्री इसकहा पहाठ करतले रहतले हहैं। दगुभहार्यग्यवश,
अजहानि ककी नवक्षलेप शनक्त सले नवशक्षप्त इस ललोक ममें इस ससूक्त ककी कलेवल
धनिप्रदहानरकहा शनक्त कहा हश्री ललोगलोव कलो भहानि हहै, इसकले अन्य कलहाणकहारश्री
रहसलोव तरहा शनक्तरलोव सले समसूणर्य ललोक अनिशभज हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 6
रह सभश्री जहानितले हहैं नक शश्रीससूक्त सले अरर्यकहामनिहा ककी पसूनतर्य हलोतश्री हहै परनगु
रह बहुत कम ललोग रह जहानितले हहैं नक इससले सवर्यनवध पगुरषहारर्थों ककी शसनर
सम्भव हहै। प्रसगुत शश्रीससूक्त-शङ्करभहाष्य ग्रन्थ ककी नवशलेषतहा रहश्री हहै नक
नवलगुप्तप्रहार ननिग्रहहागमलोव कले उपदलेष्टिहा एवव ननिग्रह सम्प्रदहार कले अननम
आचहारर्य कले रूप ममें महहानवद्यहाओव कले द्विहारहा चरननित पसूज्यपहाद शश्रीननिग्रहहाचहारर्य
(शश्रीभहागवतहानिवद गगुर) पर शसररलोनगनिश्री दलेवश्री पशद्मिनिश्री कले द्विहारहा नकरले गरले
अनिगुग्रह कले फलसरूप दलेवश्री द्विहारहा प्रदत्ति दलेवलोव कले शलए भश्री दगुलर्यभ अरर्थों कलो
इसममें प्रकहाशशत नकरहा गरहा हहै।
प्रसगुत ग्रन्थ ममें ललोक सहामहान्य ममें प्रचशलत लसौनकक अरर्थों कलो प्रकहाशशत
करनिले कले शलए ललोकवकृनत्ति, नदव अरर्थों कलो प्रकहाशशत करनिले कले शलए नदव-
वकृनत्ति, नदववकृनत्ति ममें वहाखहात पदलोव कले कसूटलोव ककी वहाखहा हलेतगु कसूटवकृनत्ति,
मन्त्र कले ततलोव कलो प्रदशशर्यत करनिले कले शलए ततवकृनत्ति तरहा रह ससूक्त शजस
निकृशसवह मन्त्र सले सवपगुनटत हलोकर रशक्षत रहतहा हहै उसककी वहाखहा कले शलए
निकृशसवहवकृनत्ति कहा आशर शलरहा गरहा हहै।
इस ग्रन्थ कले सवपहादनि हलेतगु ग्रन्थकहार शश्रीभहागवतहानिवद गगुर जश्री निले मलेरहा चरनि
नकरहा रह महैं अपनिहा परम ससौभहाग्य हश्री महानितहा हयाँ। वसगुततः मलेरश्री ऐसले
नवषरलोव ममें अल्पमहात्र भश्री गनत निहश्रीव हहै, कलेवल वहाकरण और तकर्य कहा एक
सहामहान्य अधलेतहा महैं, जब इस ग्रन्थ कले वहाकरणहात्मक सवपहादनि हलेतगु
आनदष्टि हुआ तब तक मगुझले इस ससूक्त कले ललोकसहामहान्य अरर्य कहा भश्री
पसूणर्यततः जहानि निहश्रीव रहा। परनगु इस ग्रन्थ कले अधरनि सले मगुझले रह जहात
हुआ नक ऐसश्री वहाखहा शलखनिहा नकसश्री सहामहान्य लसौनकक वनक्त कले द्विहारहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 7
सवभव हश्री निहश्रीव हहै। इसकले नवषर प्रनतपहादनि कलो दलेखकर ललेखक पर दहैवश्रीर
ककृपहा प्रत्यक्ष अनिगुभसूत ककी जहा सकतश्री हहै। इस ग्रन्थ कले सवपहादनि ककी
प्रनक्ररहा ममें ननिग्रहहाचहारर्य शश्रीभहागवतहानिवद गगुर जश्री दलेवश्री ककृपहा सले प्रहाप्त अरर्य
कलो प्रनतनदनि शलख कर मलेरले पहास भलेज दलेतले रले। मलेरहा ससौभहाग्य रहा नक मगुझले
इसकले गसूढ़ और सगुदल
गु र्यभ नवषर कलो प्रनतनदनि पढ़निले कहा अवसर नमलतहा,
सवगणककीर प्रमहादवश ललेखक कले द्विहारहा जलो कगुछ दलोष रह जहातहा रहा उसले
पररमहाशजर्यत कर दलेनिहा हश्री मलेरहा कहारर्य रहा।
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 8
॥अर प्रसङहाशधकहारतः॥
शशष्यहा ऊचगुतः
शश्रीससूक्तस महहानिरर्थं शश्रीदलेवहाश्चररतव महतम्।
तत्सवर्थं शलोतगुनमचहामतः ककृपहानस रनद तले गगुरलो ॥०१॥
शशष्यलोव निले कहहा - हले गगुरदलेव ! शश्रीससूक्त कहा जलो महहानिम् अरर्य हहै, एवव लकश्री दलेवश्री
कहा जलो महहानिम् चररत्र हहै, रनद आपककी हमपर ककृपहा हलो तलो उनि सबलोव कलो हम
सगुनिनिहा चहाहतले हहैं।
ननिग्रह उवहाच
शङ्करहाखञ्च शश्रीभहाष्यव मरहा रनल्लिशखतव पगुरहा।
पशद्मिनिश्रीसहाधनिहाकहालले रनले गगुरमगुखहाचच तमम् ॥०२॥
रनद्दिवहारर्यश्च कसूटहारर्थो रच्च ततहारर्यवणर्यनिमम्।
रसहाशन्त्रकप्ररलोगहारर्यसत्सवर्थं शलशखतव मरहा ॥०३॥
शहावणले प्रनतरहात्रव रलो मरहा मन्त्रतः सगुशचननततः।
दशहाक्षरतः पद्मिजहारहासत्प्रसहादहाद्विदहाम्यहमम् ॥०४॥
ननिग्रहहाचहारर्य निले कहहा - मलेरले द्विहारहा पसूवर्यकहाल ममें शश्रीससूक्त कहा शङ्कर निहामक रह भहाष्य
शलखहा गरहा हहै जलो गगुरमगुख सले शगुत जहानि कले आधहार पर एवव पशद्मिनिश्री दलेवश्री ककी
सहाधनिहाकहाल ममें नवरशचत हहै। जलो इसकहा नदव अरर्य हहै, जलो कसूट अरर्य हहै और जलो
ततहारर्य कहा वणर्यनि हहै, जलो तहाशन्त्रक प्ररलोगलोव ममें वशणर्यत हहै, वह सब मलेरले द्विहारहा शलखहा
गरहा हहै। शहावण ममें प्रत्यलेक रहानत्र कलो मलेरले द्विहारहा पशद्मिनिश्री दलेवश्री कहा जलो दशहाक्षर मन्त्र
जपहा गरहा रहा, उसककी ककृपहा सले कहतहा हयाँ।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 9
हले बहाह्मणलोव ! शजस प्रकहार सभश्री शहासलोव ममें मलोक्षशहास शलेष हहै, मनिगुष्यलोव ममें बहाह्मण
एवव धहातगुओव ममें सणर्य शलेष हहै, शजस प्रकहार पलेर वसगुओव ममें दसूध एवव इशन्द्रिरलोव ममें
मनि शलेष हहै, वहैसले हश्री सभश्री ससूक्तलोव ममें शश्रीससूक्त शलेष हहै, ऐसहा बगुनरमहानिलोव कले द्विहारहा
कहहा जहातहा हहै।
मलेरले गगुर कहा निहाम शङ्कर (शङ्करहाचहारर्यपरमरहा) हहै, मलेरले रक्षक शङ्कर (महहादलेव) हहैं।
मलेरले नपतहा भश्री शङ्कर (आचहारर्य शङ्कर) हश्री हहैं, अततः महैंनिले ललोकलोव कहा कलहाण करनिले
वहालले इस शङ्करभहाष्य कहा प्रवतर्यनि नकरहा हहै। जलो ललोग शशवभनक्त सले हश्रीनि हहैं ,
शजनिकहा वहैषवधमर्य ममें अशधकहार निहश्रीव हहै, जलो दलेवतहाओव ममें भलेदबगुनर रखतले हहैं, ऐसले
ललोग इस भहाष्य कले अशधकहारश्री निहश्रीव हहैं। तन्त्रशहास, पगुरहाण एवव वलेदलोव ममें जहैसहा अरर्य
बतहारहा गरहा हहै, पसूवहार्यचहारर्थों निले शजस अरर्य कलो सम्मनत दश्री हहै, उनि सबकहा सदनगु र
सले मन्थनि करकले महैंनिले इसककी रचनिहा ककी हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 10
इसककी ऋनष शश्रीदलेवश्री हहैं, उसकले बहाद बह्महा इसकले नवसहारक हुए शजनमें नवखनिहा
मगुननि भश्री कहतले हहैं। सरसतश्री निले अपनिले पनत चतगुमगुर्यख बह्महा सले इस जहानि कलो ग्रहण
नकरहा रहा। बह्महा सले निहारद निले प्रहाप्त नकरहा एवव मलरहाचल पवर्यत पर सहावखरलोग
कहा जहानि रखनिले वहालले कनपल कलो तरहा अनङरहा आनद ऋनषरलोव कलो प्रदहानि नकरहा।
नफर दलेवतहाओव ककी सभहा ममें अनङरहा निले इसले अनग्निदलेव कलो बतहारहा तरहा अनग्निदलेव सले
कहात्यहारनि निले प्रहाप्त करकले इसले गसौतम कलो नदरहा। गसौतम निले भरद्विहाज कलो और
उनिसले गगर्यमगुननि निले प्रहाप्त नकरहा। गगर्य निले सकृनतकहार अशसत एवव दलेवल कलो नदरहा
तरहा उनिसले जहैगश्रीषव निले प्रहाप्त नकरहा। जहैगश्रीषव सले कवभलोजश्री नपतरलोव निले प्रहाप्त
नकरहा। नपतरलोव सले उनिककी पगुत्रश्री अचलोदहा निले प्रहाप्त नकरहा शजसले कहालश्री एवव सत्यवतश्री
भश्री कहतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 11
सत्यवतश्री निले सभश्री शहासलोव कले अरर्य कलो जहानिनिले वहालले अपनिले पगुत्र वहास कलो नदरहा
और वहास सले शगुकदलेव निले प्रहाप्त नकरहा। शगुकदलेव सले प्रजहापनत सभहार्यनिगु निले इस जहानि
कलो प्रहाप्त नकरहा। कगुछ कहाल कले बहाद नमत्रहावरण कले पगुत्र वशशष निले अपनिश्री पतश्री
अरन्धितश्री सले कहहा एवव अपनिले आशम ममें नस्थित हलोकर अनत्र निले अननिवद्य ववहहार
वहालश्री उस अनिससूरहा सले कहहा।
अपनिले मसक पर चन्द्रिमहा कलो धहारण करनिले वहालले भगवहानिम् शशव सले नहमहालर
पवर्यत पर नस्थित दलेवश्री पहावर्यतश्री निले इस जहानि कलो प्रहाप्त करकले भनक्तपसूवर्यक एवव अचच
प्रकहार सले दलेवश्री लकश्री ककी पसूजहा ककी रश्री। इसकले प्रभहाव सले मनि ककी नस्थिनत लकश्री-
निहारहारण कले शचननि सले रगुक्त हलो जहातश्री हहै। मलेरले शचत्ति ममें शश्रीससूक्त कहा नदवहारर्य दलेवश्री
पशद्मिनिश्री निले नदरहा रहा।
नवषगुननिष्कगुटसमहाजश्री इन्द्रिहागस्त्यसगुपसूशजतहा।
भहागर्यवश्री शसन्धिगुसम्भसूतहा सवर्वैश्वरर्यप्रदहासगु मले ॥२०॥
मसूक वनक्त नवद्विहानिम् हलो जहातहा हहै, दररद्र भश्री धनिवहानिम् हलो जहातहा हहै, लकश्री दलेवश्री ककी
ककृपहा सले सवसहार ममें भलहा कहा दगुलर्यभ हहै ? नवषगु भगवहानिम् कले अनतःपगुर ककी
सहानमनिश्री, इन्द्रि एवव अगस्त्य कले द्विहारहा पसूशजत, भकृगगु ऋनष ककी तपसहा सले प्रसन्न
हलोकर उनिककी पगुत्रश्री बनिनिले वहालश्री, समगुद्र सले प्रकट हलोनिले वहालश्री दलेवश्री लकश्री हममें
सभश्री प्रकहार कले ऐश्वरर्य दलेनिले वहालश्री हलोव।
॥इनत प्रसङहाशधकहारतः॥
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शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 13
॥अरहाचहार्यशधकहारतः॥
ननिग्रह उवहाच
शश्रीससूक्तसनषर्यरलेवहैकहा शश्रीररतश्रीनस
गु हलोदरहा।
दलेवतहा नवषगुवननितहा शश्रीनिहार्यम ससूक्तछनसतः ॥०१॥
नवननिरलोगव प्रकगुवहार्यणलो लकश्रीनिहारहारणहाचर्यनिले।
शश्रीसमन्नलो भवलेल्लिलोकले धहातहा हरर्यङ्कसवनस्थितहामम् ॥०२॥
ननिग्रहहाचहारर्य निले कहहा - शश्रीससूक्त ककी ऋनष तलो एक हश्री हहै जलो चन्द्रिमहा ककी सहलोदरहा
शश्री हहै। इसककी दलेवतहा नवषगुवननितहा लकश्री एवव इस ससूक्त कहा शश्री निहामक छन हश्री
समझनिहा चहानहए। लकश्रीनिहारहारण कले पसूजनि ममें इस नवननिरलोग कलो करतले हुए और
नवषगु कले अङ्क ममें नस्थित दलेवश्री कहा धहानि करकले वनक्त इसश्री ललोक ममें शश्रीसमन्न हलो
जहातहा हहै।
पद्मिहानिनिहा पद्मिकललेवरहा च पद्मिहानिगुरक्तहारणपद्मिगन्धिहा।
बशलनमहासवशशतनवग्रहहा रहा धहारलेत्सगुधश्रीसहाव भगुवनिहैकधहात्रश्रीमम् ॥०३॥
बगुनरमहानिम् वनक्त कलो चहानहए नक वह सवसहार कहा पहालनि करनिले वहालश्री दलेवश्री कहा
धहानि इस प्रकहार करले - वले पद्मि कले समहानि नवकशसत मगुखमणल वहालश्री हहैं, उनिकहा
शरश्रीर पद्मि कले समहानि कलोमल हहै, वले पद्मिपगुषलोव कले सहार क्रकीड़हा कर रहश्री हहैं एवव
उनिकले नदव शरश्रीर सले रक्तकमल ककी सगुगन्धि आ रहश्री हहै। उनलोवनिले शश्रीनवषगु (कले
बहाएव भहाग) कहा आशर लले रखहा हहै।
नहरण्यवणहार्यमगुच्चहारहार्यवहाहरलेनहाञ्च महाधवमम्।
ऋनगतः क्रमलेण सद्भकहा ततलोऽग्रव पसूजरलेदध
गु तः ॥०४॥
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 14
'नहरण्यवणहार्थं' मन्त्र कहा उच्चहारण करकले लकश्री एवव निहारहारण कहा आवहाहनि करले।
नफर बगुनरमहानिम् क्रमहानिगुसहार ऋचहाओव कले द्विहारहा पसूजनि करले। (दसूसरले मन्त्र सले) आसनि
दले, (तश्रीसरले मन्त्र सले) पहाद्य एवव अरर्य प्रदहानि करले। चसौरश्री ऋचहा सले आचमनि एवव
पहावचवश्रीव सले उपहहार दले। छठश्री ऋचहा सले सहानि ककी कल्पनिहा करले।
नफर (सहातवमें मन्त्र सले) वस दलेकर (आठवमें मन्त्र सले) शवगहार आभसूषण आनद प्रदहानि
करले। (निवमें मन्त्र सले) गन्धिदहानि करकले (दसवमें मन्त्र सले) पगुषमहालहा कहा ननिवलेदनि
करनिहा हहै।
दशलोत्तिरहाभहामहाग्निलेरसौ तदग्रव मधगुपकर्यकमम्।
मनकृचहा भक्ष्यभलोज्यहादश्रीनतहा नितहा ततलोऽग्रततः ॥०७॥
न्यसूनिहानतररक्तनिहाशहार तरहा बश्रीजसौ समगुच्चरलेतम्।
महारहाखव कमलहाखञ्च तहाररकहामनिगुतहाररकहामम् ॥०८॥
ग्यहारहवमें एवव बहारहवमें मन्त्र सले धसूप एवव दश्रीप ननिवलेनदत करले। उसकले बहाद (तलेरहवमें
मन्त्र सले) मधगुपकर्य प्रदहानि करले। चसौदहवश्रीव ऋचहा सले भक्ष्य भलोज्य निहैवलेद्य समनपर्यत
करकले (पन्द्रिहवश्रीव ऋचहा सले) प्रणहाम करले एवव उसकले पश्चहातम् पसूजनि कले न्यसूनिहानतररक्त
दलोष कले शमनि कले शलए बश्रीजद्विर कहा उच्चहारण करले। पहलले तहाररकहा - महारहाबश्रीज
(हश्रीव) और उसकले बहाद अनिगुतहाररकहा - कमलहाबश्रीज (शश्रीव) कहा उच्चहारण करले।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 15
अब महैं वहैषवहागम ममें वशणर्यत पसूजनि कहा दसूसरहा प्रकहार कहतहा हयाँ। पहलले दलोनिलोव
तहाररकहाओव (हश्रीव एवव शश्रीव) कहा उच्चहारण करकले लकश्रीनिहारहारण कहा सरण करले।
प्ररम चहार ऋचहाओव कले द्विहारहा वहहाव (पसूजनि ककी मसूनतर्य, वलेदश्री अरवहा शचत्र ममें)
आवहाहनि ककी कल्पनिहा करले। 'चन्द्रिहाव प्रभहासहाव रशसहा' मन्त्र कलो पढ़कर अशभवहादनि
करले। शरणहागनत कले भहाव कलो अपनिहाकर अनवनिहाशश्री-सवर्यवहापश्री नवषगु कहा सरण
करले। 'आपतः सकृजनगु शसगहाननि' कले द्विहारहा पहाद्य, अरर्य एवव आचमनिश्रीर आनद दले।
'आद्रहार्थं पगुष्कररणश्रीव' ऋचहा कलो पढ़कर शगुर जल सले सहानि करहाए। 'कदर्यमलेनि' मन्त्र
सले वस कहा ननिवलेदनि बतहारहा गरहा हहै। ग्रहसवजक (निवमें मन्त्र) कले द्विहारहा गन्धि आनद
ननिवलेनदत करले। 'उपहैतगु महामम्' सले अपनिले सहामरर्य कले अनिगुसहार आभसूषण आनद दले।
'कहाव सलोऽनस' मन्त्र सले धसूप एवव दश्रीप प्रदशशर्यत करले और नफर हहारलोव कलो धलो लले।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 16
'आनदत्यवणर्वे' मन्त्र सले शङहार चढ़हाए तरहा 'मनिसतः कहाममहाकसूनतव ' सले मधगुपकर्य
प्रदहानि करले। 'क्षगुशत्पपहासहामलहाव ' सले खश्रीर, मधगु, शहाक-सबश्री, चहावल, नवनवध फल
आनद कहा निहैवलेद्य दले और पन्द्रिहवमें मन्त्र सले बहारम्बहार प्रणहाम करले। रले ससूक्तनवधहानि
पसूवर्यकहाल ममें सरव महहादलेवश्री लकश्री कले द्विहारहा दलेवतहाओव कले नहत ककी इचहा सले इन्द्रि
कलो बतहारहा गरहा रहा।
लकश्री, ककीनतर्य, महारहा और जरहा, रले चहार शश्रीमसूनतर्यरहायाँ कहश्री गरश्री हहैं। रले वहश्री
निहारहारणश्री दलेवश्री हहैं जलो सवसहार कले पसूवर्यज बह्महानद ककी भश्री पसूवर्यजहा हहैं। उनिकले हश्री द्विहारहा
रह समसूणर्य स्थिहावर जङम सले रगुक्त सवसहार उत्पन्न हलोतहा हहै तरहा कल्प कले अन ममें
अपनिश्री इचहा सले वले हश्री इसकहा सवहहार कर दलेतश्री हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 17
वह (अनवद्यहाशनक्त कले कहारण) बह्म सले शभन्न हहैं तरहा (नवद्यहाशनक्त हलोनिले सले) बह्म
सले अशभन्न भश्री हहैं। वहश्री कभश्री कभश्री (परमहाशनक्त हलोनिले सले) जश्रीव एवव बह्म कलो
(महारलोपहाशध कले भहावहाभहाव सले) शभन्न एवव अशभन्न करनिले वहालश्री वहश्री हहैं। जड़ एवव
चलेतनि कले मध (तहाररणश्री एवव मलोनहनिश्री नक्ररहाशनक्त हलोनिले सले) दलो रूपलोव ममें वहश्री
वहाप्त हहैं। इस प्रकहार सले शश्रीक्रम कलो नबनिहा जहानिले जलो महाधवनप्ररहा दलेवश्री लकश्री कहा
पसूजनि करतहा हहै, वह उसश्री प्रकहार (वरर्य) हहै जहैसले नक ललोग निलेत्र एवव भगुजहाओव सले
रनहत हलोकर भश्री समगुद्र कलो पहार करनिले कहा उपक्रम करमें।
॥इत्यचहार्यशधकहारतः॥
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शश्रीससूक्तमम् 18
॥अर निकृशसवहहाशधकहारतः॥
ननिग्रह उवहाच
लकश्रीमन्त्रलेषगु पसूणर्यस निकृशसवहस परहात्मनितः।
ससूकभहावहानरले वणर्वेऽशधकहारलोनस नद्विजलोत्तिमहातः ॥०१॥
लकश्रीनिकृशसवहसहारगुज्यले मन्त्रशनक्तबर्यलश्रीरसश्री।
निकृशसवहहाभहावमहापन्नले नि तरहा प्रश्रीतरले शशरतः ॥०२॥
ननिग्रहहाचहारर्य निले कहहा - हले उत्तिम बहाह्मणलोव ! पसूणर्य परमहात्महा निकृशसवह कहा लकश्रीमन्त्र
(शश्रीससूक्त) कले वणर्य ममें ससूक भहाव सले अशधकहार हलोतहा हहै। लकश्री और निकृशसवह कले
सहार हलोनिले पर मन्त्र ककी शनक्त बढ़ जहातश्री हहै। निकृशसवह कले अभहाव ममें वह मन्त्र
लकश्री कलो उतनिश्री प्रसन्नतहा निहश्रीव दले पहातहा हहै।
शश्रीससूक्त ममें सलोलह ऋचहा हहैं। प्रत्यलेक ऋचहा कलो समगुट करकले दलो निकृशसवह वणर्य रक्षहा
करतले हहैं। इस सवसहार ममें मनिगुष्य, दलेवतहा, असगुर, निहाग आनद सभश्री लकश्री कलो
पहानिहा चहाहतले हहैं। उनिसले शश्रीससूक्त कले मन्त्रलोव ककी नदवतहा ककी रक्षहा निकृशसवह करतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 19
रनद निकृशसवह रक्षहा नि करमें तलो सवसहार ममें अववस्थिहा हलो जहाएगश्री। (शश्रीससूक्त कले
प्रभहाव सले) सभश्री ललोग कगुबलेर कले समहानि समन्न हलो जहाएवगले, इसममें सवशर निहश्रीव हहै।
लकश्री कहा बश्रीज शश्रीव हहै और कसौव कलो (खम्भले सले प्रकट) निकृशसवह बश्रीज कहतले हहैं
शजसले जहानिकर वनक्त रहहायाँ सभश्री प्रकहार कले भर सले मगुक्त हलो जहातहा हहै।
शश्रीससूक्त ककी निकृशसवह वकृनत्ति तश्रीनिलोव ललोकलोव ममें दगुलर्यभ हहै। सगर्य ममें बहैठले हुए इन्द्रि आनद
भश्री इसकले जहानि कलो प्रहाप्त करनिले कले शलए उत्सगुक रहतले हहैं। वले नफर भश्री इसले निहश्रीव
जहानितले, निहश्रीव जहानितले, ननिशश्चत हश्री निहश्रीव जहानितले हहैं। लकश्री ककी ककृपहा कले नबनिहा
मलोनहत ललोगलोव ककी भलहा कहा गनत हहै ? वलेदलोव ममें, तन्त्रवहाकलोव ममें एवव पगुरहाणलोव ममें
बत्तिश्रीस अक्षरलोव वहालहा परमहात्महा निकृशसवह कहा मन्त्र वशणर्यत हहै। उग्र, वश्रीर, महहानवषगु,
जलतले हुए तलेज सले रगुक्त, सभश्री ओर मगुख वहालले, निकृशसवह, भरहानिक, कलहाणकहारश्री,
मकृत्यगु कले भश्री मकृत्यगु कलो महैं प्रणहाम करतहा हयाँ।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 20
सवसहार ममें जलो पसूवर्य कले आचहारर्थों कले द्विहारहा बतहाई गरश्री ललोकवकृनत्ति हहै, जलो ततवकृनत्ति कले
निहाम सले प्रशसर हहै एवव मगुझले गगुरवहाक सले प्रहाप्त हुई हहै, नदववकृनत्ति कहा आशर
ललेकर कसूटवकृनत्ति जलो शलखश्री गरश्री हहै एवव निकृशसवह ककी जलो वकृनत्ति हहै, वह सब मलेरले द्विहारहा
इस भहाष्य ममें शलखले गए हहैं। शजसकले सरूप कलो बह्महा आनद बड़ले बड़ले दलेवतहा भश्री
निहश्रीव जहानितले हहैं, उसले मल, नवक्षलेप एवव रलोगलोव सले पश्रीनडत महैं मनिगुष्य भलहा कहैसले
जहानिसूवगहा ? नकनगु आचहारर्यजनिलोव ककी ककृपहा, दलेवतहाओव कले अनिगुग्रह एवव नपतहा ककी
प्रसन्नतहा सले वनक्त अलसौनकक गगुण सले रगुक्त हलो जहातहा हहै (जहानि कलो प्रहाप्त कर ललेतहा
हहै)। हले बहाह्मणलोव ! शश्रीससूक्त कहा जलो महहानिम् एवव नदव अरर्य अभश्री तक सवसहार ममें
अप्रकहाशशत हहै, उसले महैं पशद्मिनिश्री दलेवश्री ककी ककृपहा सले रगुक्त हलोकर कह रहहा हयाँ।
॥ इनत निकृशसवहहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 21
॥अर नहरण्यहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
ललोकहानिहाव नहतसमहादनिले रतहा रम्यमहाणहा सगुवणर्यसमप्रभरहाशनतहा नहरण्यवणहार्य।
जनिहानिहाव भसौवहानदकतहापलोपहत्रर्थी दहाररद्र्यकलेशहरणननिनमत्तिहा हररणश्री।
सणर्यप्रभहाशनतहैररवहा रसौप्यखशचतहैरहाभरणहैवर्यसनिहैमहार्यलहानदशभरहार्य सनज्जतहा सहा
सगुवणर्यरजतसजहा। चननत दश्रीप्यतलेऽरवहाहहादरनत सभक्तहाननिनत चन्द्रिहा।
द्रनवणहानिहाव ननिषहा नहरण्यलेषगु प्रनतनषतहा तहैतः समलङ्ककृतहा पसूणर्यमरश्री वहा नहरणरश्री।
निकृदलेवहासगुरपन्नगरक्षहानदशभरहार्य लक्षश्रीककृतहाकहानङ्क्षितहा शगुभलक्षणहैशश्चहहैरलङ्ककृतहा लक्षव
मश्रीरतले ररहा सहा लकश्री। सहारम्भगुवमरवहा सजहातव जहानिहैश्वरर्यमनस प्रशसरव
रस स जहातवलेदहा। एवव प्रककृनतरगुतव बह्म सनन्नधहापर।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - सवसहार कले नहत ममें तत्पर एवव उसममें रमण करनिले वहालश्री ,
सलोनिले कले समहानि प्रभहा सले रगुक्त हलोनिले सले नहरण्यवणहार्य हहै। ललोगलोव कले सहावसहाररक तहापलोव
कहा सवहहार करनिले वहालश्री, दररद्रतहा कले कष्टि कलो हरण करनिले वहालश्री हररणश्री हहै। सलोनिले
ककी प्रभहा सले रगुक्त अरवहा चहावदश्री सले भरले हुए आभसूषण, वस एवव महालहा आनद सले
जलो सनज्जत हलो, वह सगुवणर्यरजतसजहा हहै। अपनिले भक्तलोव कहा चननि - दश्रीपनि-
आहहादनि (प्रसन्न) करनिले वहालश्री चन्द्रिहा हहै। धनि ममें गण्य ततलोव ककी ननिषहा सगुवणर्य-
समसूहलोव ममें प्रनतनषत हलोतश्री हहै, उनिकले द्विहारहा पररपसूणर्य रहा सगुशलोशभत नहरणरश्री हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 22
मनिगुष्य, दलेवतहा, असगुर, निहाग, रक्ष आनद कले द्विहारहा जलो लशक्षत एवव आकहावशक्षत हलो,
शगुभ लक्षणलोव कले शचहलोव सले भरश्री हुई, शजसकले द्विहारहा लक्ष्यभलेदनि अरवहा लहाखलोव कहा
सवहहार नकरहा जहातहा हहै, वह लकश्री हहै। अपनिले आप उत्पन्न अरवहा अपनिले महाधम
हश्री उत्पन्न जहानि एवव ऐश्वरर्य शजसममें प्रशसर हहै, वह जहातवलेदहा हहै। इस प्रकहार सले
प्रककृनत सले रगुक्त बह्म कहा आवहाहनि रहा सनन्नधहानि करले।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव नहरण्यहा नहरण्यवणहार्य वहा ? नह शबस हनिनिसहारर्यतः।
ससूरहार्यचन्द्रिमसलोमर्यधले नस्थितहा सगुषगुमहाभहावलेनिहावनचन्नधहाररहा
भ्रमरश्रीवनन्ननिहादरनन्ननमषलोनलेषनवक्षलेपहादलेव रणले शत्रसूञहहानत तसहानररण्यहा।
मसूलहाधहारचक्रहादगुनत्थितहानिहाहतले द्विहादशहारले प्रनवश्य कलोनटससूरर्वेनस
गु मप्रभहा
तद्विनद्दिववणहार्य भवनत तसहाद्विणहार्य। मसूलहाधहारतलोऽननिलवलेगप्रशसवश्रीरहार्य
परहापश्यनश्रीमधमहादश्रीनिनतक्रम्य वहैखरश्री भसूतहाष्टिस्थिहानिवहाशसनिहाव वणहार्यनिहाञनिनिश्री
गसौररव शबपरनसनिश्री तसहानररण्यवणर्वेनत नदवप्रहाजहापत्यमतमनिलेनि
वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा शबबह्ममरश्रीव
रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 23
नमलहाकर) ममें रहनिले वहालले शबवणर्थों कलो उत्पन्न करनिले वहालश्री हहै, गसौ कले समहानि
शबरूपश्री दगुग कलो दलेतश्री हहै इसश्रीशलए नहरण्यवणहार्य हहै, ऐसहा नदव प्रहाजहापत्य मत
हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें
चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोडकर (ॐ नहरण्यवणहार्यरहै निमतः) शबबह्ममरश्री शश्रीदलेवश्री
कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले हररणश्री हहै ? मकृगश्री 'हररणश्री' कले समहानि
चञ्चलतहा वहालश्री वह रलोनगरलोव कले शचत्ति कलो लहावघकर दसूर चलश्री जहातश्री हहै। बन्धिनि कले
अरर्य ममें 'हृ' हहै। रलोनगरलोव कले भनक्तरूपश्री पहाश ममें बवधकर हृदर ममें स्थिहानपत हलोनिले सले
हररणश्री हहै। इसश्री रूप कहा धहानि करकले अड़सठ हज़हार रलोगश्री मलोक्ष कलो प्रहाप्त कर
गए रले इसश्रीशलए हररणश्री हहै। ननिवकृनत्तिप्रधहानि सरूप ममें मकृगचमर्य कलो ओढकर
मकृगचमर्य कले ऊपर बहैठश्री हुई, हरर-नवषगु कले द्विहारहा कमर कले पहास आशलनङत ककी
गरश्री हररणश्री हहै। जलो हरर कहा उपभलोग करतश्री हहै एवव हरर कले द्विहारहा शजसकहा
उपभलोग हलोतहा हहै, वह हररणश्री हहै, ऐसहा नदव वहैषव मत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः जलोडकर (ॐ हररण्यहै निमतः) सज्जनिलोव कले पहाप कहा हरण करनिले वहालश्री कलो
रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 24
सवसहार कहा सकृजनि करनिले वहालले (धहातहा, प्रजहापनत, मनिगु आनद) शजसकले तहानतक
नवग्रह ममें महालहा कले समहानि भहाशसत हलोतले हहैं, रजत अरहार्यतम् चहावदश्री अरवहा हहारश्री कले
दहावत सले बनिश्री महालहा कलो जलो धहारण करतश्री हहै, वह रजतसजहा हहै, ऐसहा नदव रसौद्र
मत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें
चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोडकर (ॐ रजतसजले निमतः) रद्र रजतहानद्र कहैलहास कले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 25
सहामश्री हलो गए रले, इस प्रकहार सले अभश्रीष्टि शसनर कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्री-
जनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले चन्द्रिहा हहै ? रलोनगरलोव ककी अवतरहात्महा ममें
स्पशनत आनिन कले लक्षण सले रगुक्त हलोकर बहारम्बहार सवचहार करनिले वहालश्री, भक्तलोव कले
शचत्ति कलो चन्द्रिमहा कले समहानि शश्रीतल एवव आद्रर्य करनिले वहालश्री, रलोग कले नवघलोव कहा
निहाश करतश्री हहै, वह चन्द्रिहा हहै, ऐसहा नदव वहाशशष मत हहै। इस मत कले अनिगुसहार
पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः
जलोडकर (ॐ चन्द्रिहारहै निमतः) वशशष रलोग कले सहामश्री हलो गए रले, इस प्रकहार
आनिन करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले नहरणरश्री हहै ? जलो चहार दललोव वहालले
मसूलहाधहार सले आरम्भ करकले अनिहाहत चक्र परर्यन सणर्यमरश्री हलोकर ससूरर्यनकरणलोव कले
समहानि उनदत हलोतश्री हहै, सवसहार कले नहतहारर्य रगुर ममें शत्रगुओव कहा सवहहार करनिले कले
उद्दिलेश्य सले (पहाशरर्यव) प्रककृनत कले बहाहर नस्थित तश्रीनिलोव गगुणलोव सले बनिले मणल सले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 26
पररपसूणर्य आकहाश ममें ननिवहास करतश्री हहै, वह नहरणरश्री हहै, ऐसहा नदव वलेदसवकल्प
कहा मत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन
ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोडकर (ॐ नहरणयहै निमतः) रलोग ककी शसनर प्रदहानि
करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशलो नहरण्यवणहार्यनदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
हइरणरवआईसउजतचनिदमकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण नहरण्यवणहार्यदरलो
वशणर्यतहातः। गगनिलेनस्थितहा हवसवणहार्य जगत्प्रहाणलेश्वरश्री शहाननकत्रर्थीनत हकसूटहारर्यतः।
ससूकनवद्यहा गगुहततहा ननित्यसरूपहा शहानशचत्तिलेनत इकसूटहारर्यतः। रक्तवणहार्य
पहावकतलेजलोमरश्री प्रकहाशदशर्यनिहा दश्रीप्तहा वहानपनिश्री बह्मशबगहानरकहा
शश्रीशहैलसवनस्थितहा नवश्वतलोमगुखश्रीनत रकसूटहारर्यतः। ननिगगुर्यणहा ननिष्कलहा रलोनगनिश्री
समकृनरबलोशधनिश्री नत्रवलेदगगुणकहालनिलेत्रश्रीनत (निरनिहारर्वेऽङहारर्वे च) णकसूटहारर्यतः।
रगुगहानश्वसनिहा रशसरश्री ललोकललोलहाग्निलेरप्रभहा पहापहत्रर्थी सवर्वेश्वरश्री
सगुमगुखलेश्वरश्रीनत रकसूटहारर्यतः। सहागरलोद्भवहा वहारणश्री शङ्करश्री ध्वननिवहाशचकलेनत
वकसूटहारर्यतः। नवजरहानिनहा नवश्वहाननकहा महानिदहा भगमहाशलनिश्रीनत आकसूटहारर्यतः।
नत्रमसूनतर्यलर्थोलहाक्षश्री वहानग्विशगुरहा कहाललोत्तिरश्रीरहा वहैषवश्री मलोनहनिश्री कगुचद्विन्द्वरगुतहा
महहामहारलेनत ईकसूटहारर्यतः। सगुरशहा भकृग्विश्रीशहा जगदश्रीजहा दगुगर्थोत्तिहाररणश्री
कगुललोज्ज्वलहा (कसौलहारर्वे) परहाक्षरहा वलेगवतश्रीनत सकसूटहारर्यतः। वतगुर्यलहाक्षश्री
(शगुत्यरर्वे) कलहाणवहाशचकहामरलेशहा नवघहन्त्रश्री महश्री पहारद्विश्रीपहा शत्रगुघश्री
कहामघश्रीनत उकसूटहारर्यतः। भलोगदहा नवजरहा नस्थिरहा जलेत्रश्री लम्बलोदरश्री (रगुरहारर्वे
चहाङहारर्वे) सगुरहाशधपहा मदनवह्वललेनत जकसूटहारर्यतः। पसूतनिहा शगुनरशर्यनक्तध्वर्यजहा
रतकणहानिङमदनिहातगुरलेनत तकसूटहारर्यतः। सगुदशर्यनिहात्मशनक्तश्चतगुमगुर्यणधरहा
(आरवर्यणहारर्वे) चलेतनिहैकरूपहा चननिलेनत चकसूटहारर्यतः। नवश्वपहावनिश्री
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 27
शजसकले श्वहास सले रगुगलोव कहा सवहहार हलोतहा हहै, रश करनिले वहालश्री, सवसहार कलो
चलहारमहानि करनिले वहालश्री, अनग्नि कले समहानि प्रभहा वहालश्री, पहाप कहा हरण करनिले
वहालश्री, सबलोव पर शहासनि करनिले वहालश्री, सगुनर मगुख ककी सहानमनिश्री, ऐसहा 'र' कहा
कसूटहारर्य हहै। सहागर सले उत्पन्न, वरण ककी पगुत्रश्री, कलहाण करनिले वहालश्री, परहानद
ध्वननिरलोव ककी वहाशचकहा, ऐसहा 'व' कहा कसूटहारर्य हहै। नवजरहा, अन सले रनहत, नवश्व
कहा अन करनिले वहालश्री, सम्महानि दलेनिले वहालश्री, ऐश्वरर्य सले सगुसनज्जत, ऐसहा 'आ' कहा
कसूटहारर्य हहै। नत्रदलेवलोव ककी शनक्तरूपहा, चञ्चल निलेत्रलोव वहालश्री, नवशगुर वहाणश्री सले रगुक्त,
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 28
कहाल सले परले, वहैषवश्री, मलोनहत करनिले वहालश्री, सनिद्विर सले रगुक्त, महहामहारहा, ऐसहा
'ई' कहा कसूटहारर्य हहै। सगुनर रश वहालश्री, भकृगगु ककी सहानमनिश्री, सवसहार ककी कहारणभसूतहा,
कष्टि सले उरहार करनिले वहालश्री, कगुल (ववश अरवहा कगुणशलनिश्री) ककी उज्ज्वलतहा सले
रगुक्त, परहा, कभश्री क्षर नि हलोनिले वहालश्री, वलेग सले रगुक्त, ऐसहा 'स' कहा कसूटहारर्य हहै।
गलोल निलेत्रलोव वहालश्री अरवहा प्रणवरूपश्री निलेत्रलोव वहालश्री, कलहाणप्रदहा वहाणश्री बलोलनिले
वहालश्री, दलेवतहाओव ककी सहानमनिश्री, नवघनिहाश करनिले वहालश्री, पकृथश्री, सवसहार ममें परले नदव
ननिवहास वहालश्री, शत्रगुओव कलो महारनिले वहालश्री, ऐसहा 'उ' कहा कसूटहारर्य हहै। भलोग प्रदहानि
करनिले वहालश्री, नवशशष्टितहा सले जर प्रहाप्त करनिले वहालश्री, नस्थिर तत वहालश्री, जश्रीतनिले
वहालश्री, बड़ले पलेट वहालश्री (शजसकले उदर ममें बह्महाण हहै) अरवहा दश्रीघर्यकहाशलक रगुर
करनिले वहालश्री, दलेवतहाओव अरवहा अमकृत ककी सहानमनिश्री, मद सले नवह्वल रूप वहालश्री,
ऐसहा 'ज' कहा कसूटहारर्य हहै।
पनवत्र करनिले वहालश्री, शगुनर, शनक्त,गनतशहाशलनिश्री, कवठ ममें रत धहारण करनिले वहालश्री,
बह्मरनतसमहागम कले शलए आतगुर, ऐसहा 'त' कहा कसूटहारर्य हहै। नदखनिले ममें सगुनर रूप
वहालश्री, आत्मशनक्त, चहारलोव अरवर्य-शश्रीषर्य कलो धहारण करनिले वहालश्री (दलेवरवर्यशश्रीषर्य ममें
शलेष चहारलोव ककी शनक्त ननिनहत हहै), चलेतनिहा, अपररवतर्यनिश्रीर सरूप वहालश्री, भक्तलोव कलो
आहहानदत करनिले वहालश्री, ऐसहा 'च' कहा कसूटहारर्य हहै। नवश्व कलो पनवत्र करनिले वहालश्री,
शशवहा, आनद सले रनहत, तहारनिले वहालश्री, पवर्यतस्थि पश्रीठलोव ककी निहानरकहा एवव उनिकले
ऊपर ननिवहास करनिले वहालश्री, ऐसहा 'नि' कहा कसूटहारर्य हहै। पलोषण करनिले वहालश्री, अभश्रीष्टि
दलेनिले वहालश्री, बह्ममहागर्य वहालश्री, अचच प्रकहार सले चञ्चल सभहाव वहालश्री, इशन्द्रिरलोव पर
नवजर प्रहाप्त करनिले वहालश्री, कठलोर रूप वहालश्री अरवहा कष्टि सले बचहानिले वहालश्री,
कलहाणमरश्री, नकष्टि सरूप वहालश्री, ऐसहा 'द' कहा कसूटहारर्य हहै। कहालरूनपणश्री,
(द्रवरूप ममें क्षश्रीण रहा वर हलोनिले सले) कष्टि पहानिले वहालश्री, सबसले बड़श्री सवहहारकत्रर्थी,
धनि रहा प्रहाण कलो धहारण करनिले वहालश्री, बह्म कहा वणर्यनि करनिले वहालश्री, महहानिम्
परहाक्रम सले रगुक्त, हहाशररलोव सले सगुशलोशभत, प्रमत्तिहा, ऐसहा 'म' कहा कसूटहारर्य हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 29
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास शचकश्रीतकदर्यमहावकृषश्री, शसनरदहात्रश्री दलेवतहा, शश्रीनमनत बश्रीजव,
सवहार्यरर्यसहाशधकहा शनक्ततः, भगुवनिलेश्वरश्री महहानवद्यहा, रजलोगगुणलो, रसनिहा जहानिलेशन्द्रिरव,
वहाक्कमर्वेशन्द्रिरव, मधमतः सरलो भसूततमम्, प्रककृनततः कलहा,
हश्रीनमत्यगुतकीलनिम्प्रवहानहनिश्री मगुद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस,
दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो
दशहारले निहाभसौ, नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस,
जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस, कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेष,गु सरन्यहासतः कणमसूल,ले
ततन्यहासश्चतगुरहारले मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले, तरलोतकीलनिन्यहासतः
पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु सवहार्यङले भवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी प्ररम ऋचहा कले ऋनष शचकश्रीत एवव कदर्यम
हहैं। शसनरदहात्रश्री दलेवतहा हहैं तरहा शश्रीव बश्रीज हहै। सवहार्यरर्यसहाशधकहा शनक्त हहै , इसककी
महहानवद्यहा भगुवनिलेश्वरश्री एवव इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। रसनिहा इसककी जहानिलेशन्द्रिर तरहा
वहाणश्री इसककी कमर्वेशन्द्रिर हहै। इसकहा सर मधम एवव तत पकृथश्री हहै। इसककी
कलहा कहा निहाम प्रककृनत हहै तरहा हश्रीव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा
प्रवहानहनिश्री हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै।
दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास
षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा
हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें
तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें
हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार
ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा
हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 30
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस प्ररमचर्थं द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। उकहारश्चहादहावनले
वनहरगुतलो गकहारतः। एवमगुग्रलो ननिगद्यतले। उनदरनत नवश्वमगुदश्रीणर्थं ग्रसतश्रीत्यर
शत्रसूणहाव भरवरर्यनिकहारणमगुग्ररूपव धहाररनत तरहा चलेशन्द्रिरननिग्रहघषर्यणलोदतव क्रलोधव
रक्षतश्रीत्यरवहानरले धहाररनत तसहादगुग्रतः।
पहाशगुपतहानदशभरग्रहैरपगश्रीरमहानिसरलोग्रशहासहानिगुनदरनत तलेषगु रमतले रस्स उग्रतः।
असहाशधषहातहा सङ्कषर्यणवसूहतः। नवषलोरद्दिहामलोदर उकहारश्च। नदवलोपदलेशलेनि
भसौवहानदकगदव निहाशरतश्रीनत गकहारतः। ककृषनतलवनद्विश्वव रनसन्प्रकहाशतले स
रकहारतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी प्ररम ऋचहा कलो समगुनटत करतले हुए दलो
निकृशसवहवणर्य रक्षहा करतले हहैं। प्रहारम्भ ममें उकहार एवव अन ममें अनग्नि सले रगुक्त गकहार
(ग्र) हलोतले हहैं, इस प्रकहार सले 'उग्र' कहहा गरहा हहै। जलो नवश्व कलो उत्पन्न करतहा हहै,
उतभसूत नवश्व कलो जलो ग्रहास बनिहा ललेतहा हहै, शत्रगुओव कले भर कलो बढहानिले वहालले उग्ररूप
कलो धहारण करतहा हहै तरहा इशन्द्रिरलोव कलो सवरनमत करनिले कले सवघषर्य सले उत्पन्न क्रलोध
कलो सवरशक्षत अरवहा अपनिले अवदर धहारण करतहा हहै, वह उग्र हहै। पहाशगुपत आनद
उग्रसहाधकलोव कले द्विहारहा शजसककी सगुनत हलोतश्री हहै तरहा उग्रशहासलोव ककी जलो रचनिहा करतहा
हहै एवव उनिममें रमण करतहा हहै, वह उग्र हहै। इसकहा अशधषहातहा सङ्कषर्यणवसूह हहै।
नवषगु कहा नवद्यगुतम् कले समहानि उदर उकहार हहै। नदव उपदलेशलोव कले द्विहारहा जलो
सहावसहाररक रलोगलोव कहा निहाश करतहा हहै, वह गकहार हहै। कहालले नतल कले समहानि शजसममें
नवश्व प्रकहाशशत हहै, वह रकहार हहै।
॥इनत नहरण्यहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 31
॥अर जहातवलेदहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
तहाव पसूवर्थोक्तगगुणशश्रीलसमन्नहाव लकश्रीव मदरर्यमहामन्त्रर। महाव त्यकहान्यपहाश्वर्थं गनगुव
निलोत्सगुकहामनिपहानरनिश्रीमनिपगहानमनिश्रीव सनन्नधहापर। रसहाव शशरहाव
शगुनतसकृनतपगुरहाणलोक्तफलशनक्तरगुतहारहाव सनन्ननहतहैश्वरर्यप्रभहावलेण नहरण्यव द्रनवणव
शत्रगुनिहाशव वहा, गहाव धलेनिगुवकृषमनहषप्रभकृनतजश्रीवहानिरवहा नदवशगुनतजहानिमम्, अश्वव
तगुरगगजप्रभकृनतवहाहनिलोपरलोनगनितः कगुशललेशन्द्रिररगुक्तकललेवरव वहा,
पगुरषहानकृत्यपररचहारकहानदजनिहानिम् क्षरहाक्षरलोत्तिमपगुरषहाणहाव जहानिव वहा नवनलेरव
प्रहापगुरहानमत्यरर्यतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - उस पसूवर्थोक्त शश्रील एवव गगुणलोव सले सवपन्न लकश्री कलो मलेरले
ननिनमत्ति आमशन्त्रत करलो। मगुझले छलोड़कर नकसश्री और कले पहास जहानिले कले शलए जलो
उत्सगुक नि हलो उस अनिपहानरनिश्री और अनिपगहानमनिश्री कलो स्थिहानपत करलो। शजस शश्री
ममें वलेद, सकृनत, पगुरहाण ममें बतहारले गए फल कलो दलेनिले ककी शनक्त हहै, उसकले अनर
ननिनहत प्रभहाव सले नहरण्य अरहार्यतम् धनि अरवहा शत्रगुनिहाश कलो, गसौ अरहार्यतम् गहार,
बहैल, भहैंसहा आनद जश्रीवलोव रहा नदव वलेद जहानि कलो, अश्व अरहार्यतम् घलोड़ले हहारश्री आनद
वहाहनि कले शलए उपरलोगश्री पशगुओव अरवहा सस्थि एवव कगुशल अवगलोव सले रगुक्त शरश्रीर
कलो, पगुरष अरहार्यतम् निसौकर चहाकर आनद ललोगलोव अरवहा क्षर-अक्षर-उत्तिम सवजक
पगुरषलोव कले जहानि कलो महैं प्रहाप्त करूयाँ, रह अरर्य हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 32
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव लकश्रीतः ? लक्षणहाखभहावहानिम् शक्षपनत जगतलो लरव प्रलेररनत वहा,
लरनमनत ननिमहार्यणव लरनमनत ननिवहासलो लरनमनत प्रलरव,
सकृनष्टिनस्थिनतप्रलरघटनिहापररवतर्यनिहलेतगुभसूतहा तसहादलेव लकश्रीतः। सवर्वेषहाव
स्थिहावरजङमजश्रीवहानिहाव सहाक्षश्रीभसूतहा शगुभहाशगुभदशशर्यकहा भवनत तरहा च
ललोकपहालकस नवषलोननिर्यत्यवहैभवहानस तसहाल्लिकश्रीतः। सवर्यप्रमलेरजहानिहानिहाव
लक्ष्यनमनत लकश्रीतः। नमनतशबसरूपहा नमनतमहानिसरूपहा लक्षणश्रीरहा
नत्रगगुणहात्मकङ्कहामभहावव शक्षपनत प्रलेररनत वहा लकश्रीतः।
वक्तहावक्तसतसवनस्थितहा तलेषहाव प्रलेरनरत्रश्री क्षलेपणश्री वहा भवनत, सहात्मततव
शक्षपनत क्षपरनत, सज्जनिहानिहाव वकृशजनिव शक्षणलोनत, क्षमहा भसूतहापरहाधहानिम्
क्षमरनत मन्यतले महान्यहा भवनत वहा ललोकहानश्रीरतले सहा लकश्रीररनत
नदवकहानपलमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा
ललोकहाललोकगमनिभसूनतदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले लकश्री हहै ? लक्षण कहलहानिले वहालले भहावलोव
कलो प्रलेररत करतश्री हहै, सवसहार कलो लर कले शलए प्रलेररत करतश्री हहै। लर कहा अरर्य
'ननिमहार्यण' हहै, लर कहा अरर्य 'ननिवहास' हहै, लर कहा अरर्य 'प्रलर' हहै। सकृनष्टि, नस्थिनत
एवव प्रलर ककी घटनिहाओव कले पररवतर्यनि ककी कहाररकहा हलोनिले सले लकश्री हहै। सभश्री
स्थिहावर एवव जङम जश्रीवलोव ककी सहाशक्षणश्री हहै, शगुभहाशगुभ कहा दशर्यनि करतश्री रहा करहातश्री
हहै तरहा सवसहार कहा पहालनि करनिले वहालले नवषगु ककी सदहैव रहनिले वहालश्री वहैभवशनक्त हहैं ,
इसश्रीशलए लकश्री हहै। सभश्री सहैरहाननक जहानिलोव ककी लक्ष्य हहै, इसश्रीशलए लकश्री हहै।
नमनत कहा अरर्य 'शब' हहै, नमनत कहा अरर्य 'महानि' हहै, 'शब' एवव 'पररमहाण' ककी
लक्षणभसूतहा हलोकर तश्रीनिलोव गगुणलोव सले रगुक्त कहामनिहाओव कले भहाव कहा प्रक्षलेपण अरवहा
उत्प्रलेरण करतश्री हहै, इसश्रीशलए लकश्री हहै। वक्त एवव अवक्त सतभहावलोव ममें नस्थित
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 33
हलोकर हलोकर उनिककी प्रलेररकहा हलोतश्री हहै, सरव सले हश्री सरव कलो प्रलेररत करतश्री और
करवहातश्री हहै, सज्जनिलोव कले पहाप एवव कष्टि कलो क्षश्रीण करतश्री हहै, पकृथश्री कले रूप सले
अपरहाध कलो क्षमहा करतश्री हहै, अरवहा दण दलेतश्री हहै और सम्महाननित हलोतश्री हहै,
सवसहार कहा भलेदनि करतश्री हहै, वह लकश्री हहै ऐसहा नदव कहानपल मत हहै। इस मत
कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः जलोडकर (ॐ लकहै निमतः) ललोकललोकहानरलोव कले गमनि ककी शनक्त प्रदहानि
करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 34
सले रक्षहा ककी, इसश्रीशलए अनिपगहानमनिश्री हहै, ऐसहा नदव महनषर्य मत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः जलोडकर (ॐ अनिपगहानमन्यहै निमतः) शत्रगुओव कहा निहाश करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री
कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशलो लकहानदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
लक्षमईअनिपगआइकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण लकहादरलो वशणर्यतहासलेषगु
मईनिआइकसूटहारहार्यतः पसूवर्यप्रसङलेषगु वशणर्यतहाशशलेषहानिधगुनिहा वक्ष्यले। पकृथश्री वहाणश्री
नक्ररहा महातहा भहानमनिश्री वलेनगनिश्री शक्रवहाशचकलेनत लकसूटहारर्यतः। कलोपहा कहालशजह्वहा
रगुगहाननकहा क्षलेत्रपहालहा (दलेहहारर्वे ललोकहारर्वे च) महहानिनहा महारहा महहातलेजहा
सववनतर्यकलेनत क्षकसूटहारर्यतः। सगुरलेशहा पसूणर्थोदरश्री वहागश्रीशहा सकृनष्टिमर्वेधहा कहामरूपहा
आद्यजहा नप्ररववदलेनत अकसूटहारर्यतः। तश्रीकहा ललोनहतहा पञ्चमश्री (मसूलप्रककृत्यरर्वे)
रमहा गगुहकत्रर्थी कहालरहानत्रलर्थोकहाक्षश्री नद्वितश्रीरहा (पगुरषहादपरहा) ननिरञनिलेनत
पकसूटहारर्यतः। गसौरश्री गसौरवहा (वलेदहारर्वे) गङहा गलोकगुललेश्वरश्री पञ्चहाननकहा (कलेशहारर्वे)
भलोगवतश्री शशवदशर्यनिलेनत गकसूटहारर्यतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 35
वहाणश्री ककी सहानमनिश्री, सकृनष्टि, मलेधहा, इचहानिगुसहार रूप धहारण करनिले वहालश्री, सबलोव कहा
आरम्भस्थिल, अजनहा, नप्रर बलोलनिले वहालश्री, रले ’अ’ कले कसूटहारर्य हहैं। तश्रीकहा, रक्त
वणर्य वहालश्री, पञ्च मसूलप्रककृनत - दगुगहार्य, सरसतश्री, गवगहा, लकश्री एवव रहाधहा/सश्रीतहा,
रमहा, गगुप्त कहारर्य करनिले वहालश्री, कहालरहानत्र, सवसहार रूपश्री निलेत्रलोव सले रगुक्त, पगुरष सले
दसूसरश्री - प्रककृनत, ननिरवजनिहा. रले ’प’ कले कसूटहारर्य हहैं। गसौरश्री, वलेद ककी वहाणश्री सले रगुक्त,
गवगहा, गलोकगुल ककी सहानमनिश्री, पञ्चकलेश (अनवद्यहा, अनसतहा, रहाग, द्विलेष एवव
अशभननिवलेश) कहा निहाश करनिले वहालश्री, भलोगलोव सले रगुक्त, कलहाणकहारश्री सरूप वहालश्री,
रले ’ग’ कले कसूटहारर्य हहैं।
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास शचकश्रीतकदर्यमहावकृषश्री, सवर्यकहामप्रदहा दलेवतहा, शश्रीनमनत बश्रीजमम्,
ज्यलोनतशशनक्ततः, कमलहा महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, शलोत्रव जहानिलेशन्द्रिरमम्,
वहाक्कमर्वेशन्द्रिरमगुच्चसरलो भसूततमम्, नवद्यहा कलहा, कश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्,
सङ्कलोशचनिश्री मगुद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले
हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ,
नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस,
कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेष,गु सरन्यहासतः कणमसूलले, ततन्यहासश्चतगुरहारले
मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले, उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु
सवहार्यङले भवत्यस मन्त्रस शहानरसलो भवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी नद्वितश्रीर ऋचहा कले ऋनष शचकश्रीत एवव कदर्यम
हहैं। सवर्यकहामप्रदहा दलेवतहा हहैं तरहा शश्रीव बश्रीज हहै। ज्यलोनत शनक्त हहै , इसककी महहा-
नवद्यहा भगुवनिलेश्वरश्री एवव इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। शलोत्र इसकहा जहानिलेशन्द्रिर तरहा वहाणश्री
इसककी कमर्वेशन्द्रिर हहै। इसकहा सर उच्च एवव तत पकृथश्री हहै। इसककी कलहा कहा
निहाम नवद्यहा हहै तरहा कश्रीव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा सवकलोशचनिश्री
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 36
हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा
न्यहास हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार
सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै।
महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा
जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा
हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें
हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै।
मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस शहान हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस नद्वितश्रीरचर्थं द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
महहामहारहारगुतलो वकहारश्चहानले रकहारश्च। एवव वश्रीरलो ननिगद्यतले।
उत्सहाहहानतशरलोत्थिहापकलो वश्रीरतः। दलेवहानिहाव सङले वश्रीरभहावव दशर्यरतश्रीनत वश्रीरतः।
नवशलेषप्रकहारलेण ललोकहान्प्रलेररनत तहान्रमरनत तलेषगु रमतले वहा वश्रीरतः। नवनवधव
जडचलेतनिसमशनतव जगदगुत्प्रलेररनत कहालरूपमहाशशत्य स वश्रीरतः। ईरहा
दशप्रहाणसवजहा। दलेहस्थिवहारवलो रलेनि नवशजतहातः स वश्रीरतः।
महारहाकलेशकनषर्यतहानजश्रीवहानश्रीरतलेनि त्रहारतले तसहाद्विश्रीरतः। वलेदसहाकतहार्य सनिम्
तहाशन्त्रगगुणहात्मकहानिम् करलोनत महानिवसकृनष्टिनवद्यहाव वश्रीररनत शहासहानिगुषहानिले
वहापहाररनत तसहाद्विश्रीरतः। असहाशधषहातहा प्रद्यगुमवसूहतः। सरमर्यस प्रनतषहातहा
रस्स वकहारतः। महारहाजहानिसलोपदलेष्टिहा रस्स ईकहारतः।
नवद्यहादलोषहानिनग्निवन्नहाशरनत स रकहारतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी दसूसरश्री ऋचहा कलो दलो निकृशसवह वणर्य सवपगुनटत
करकले रक्षहा करतले हहैं। पहलले महहामहारहा (ई) सले रगुक्त वकहार एवव अन ममें रकहार,
इस प्रकहार सले वश्रीर शब बनितहा हहै। उत्सहाह कलो अनतशर महात्रहा ममें प्रदशशर्यत करनिले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 37
वहालहा वश्रीर हहै। दलेवतहाओव कले समसूह ममें वश्रीरभहाव कहा प्रदशर्यनि करनिले वहालहा वश्रीर हहै।
नवशलेष प्रकहार सले ललोकलोव कलो प्रलेररत करतहा हहै, उनमें रमण करवहातहा हहै और उनिममें
रमण करतहा हहै, वह वश्रीर हहै। अलग अलग प्रकहार कले जड-चलेतनिलोव सले रगुक्त सवसहार
कलो कहाल कले रूप कहा आशर ललेकर जलो प्रलेररत करतहा हहै, वह वश्रीर हहै। दसलोव प्रहाण
कलो ईरहा कहतले हहैं। शरश्रीर ममें नस्थित वहारगु शजसकले द्विहारहा जश्रीत शलए गए हहैं वह वश्रीर
हहै। महारहा कले कलेश सले कष्टि पहा रहले जश्रीवलोव कलो अपनिश्री वश्रीरतहा सले रक्षहा करतहा हहै ,
इसश्रीशलए वह वश्रीर हहै। वलेदलोव कहा कतहार्य नि हलोनिले पर भश्री उनमें तश्रीनिलोव गगुणलोव सले रगुक्त
करतहा हहै, मनिगु ककी सकृनष्टि नवद्यहा कहा आखहानि करतहा हहै, शहाससम्मत कमर्थों कहा
नवसहार करतहा हहै, इसश्रीशलए वश्रीर हहै। इसकहा अशधषहातहा प्रद्यगुमवसूह हहै। जलो सरमर्य
ककी प्रनतषहा करतहा हहै वह वकहार हहै। महारहा कले जहानि कहा जलो उपदलेश करतहा हहै ,
वह ईकहार हहै। नवद्यहा कले दलोष कलो अनग्नि कले समहानि निहाश करतहा हहै, वह रकहार हहै।
॥इनत जहातवलेदहाशधकहारतः॥
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शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 38
॥अर प्रबलोधहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
ललोकस वहापनिहाचहादनिरक्षणहानदकमर्यशश्रीलव निहारहारणमश्वसवजकव
पसूवर्यमहालरनमनत मन्यतले सहाश्वपसूवहार्य। रवहणधनमर्यणलो गनतशश्रीलस ररस
शरश्रीरस मधभहागले हृत्प्रदलेशले शचनतरूपलेण ननिवसनत सहा ररमधहा। रलोनगनिहाव
शचत्तिले गजवनन्ननिहादरनश्री कल्मषव निहाशरनश्री प्रबलोधरत्यरवहा
गजलेन्द्रिहानदनकष्टिभक्तहानिहामहातर्यनिहादव शगुतहा निहारहारणव प्रबलोधरनत सहा
हनसनिहादप्रबलोशधनिश्री। रसहातः पररकरमणललेऽशश्वनिलोऽग्रभहागले रशरनिलो मधले
भवनन, वहानहन्यहाव हनसनिहादव शगुतहा रहा प्रसन्नहा भवनत सहा
पसूवर्थोक्तगगुणशश्रीललेनत। एतहादृशमहैश्वरर्थं नदवहावदहानिव धत्तिले सहा शश्रीदर्वेवश्री। तहाव
शशरमहावहाहरहानम सहा महाव प्रहापगुरहानदत्यरर्यतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - सवसहार ककी वहानप्त रहा आचहादनि, रक्षहा आनद कमर्थों कले
गगुण वहालले अश्वसवजक निहारहारण कलो जलो पसूवर्य अरहार्यतम् ननिवहास महानिकर रहतश्री हहै, वह
अश्वपसूवहार्य हहै। रवहण अरहार्यतम् गनतशश्रील रररूपश्री शरश्रीर कले मधभहाग हृदर ममें जलो
चलेतनिहारूप सले ननिवहास करतश्री हहै, वह ररमधहा हहै। रलोनगरलोव कले शचत्ति ममें हहारश्री कले
समहानि निहाद करतश्री हुई, पहापलोव कहा निहाश करतश्री हुई उनमें प्रबगुर करतश्री हहै, अरवहा
गजलेन्द्रि आनद कष्टि पहा रहले भक्तलोव कले आतर्यनिहाद कलो सगुनिकर निहारहारण कलो जगहातश्री
हहै, वह हनसनिहादप्रबलोशधनिश्री हहै। शजसकले पररकरमणल ममें घगुड़सवहार दल आगले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 39
एवव रशररलोव कहा दल मधभहाग ममें हलोतहा हहै, सलेनिहा ममें हहाशररलोव कहा निहाद सगुनिकर जलो
प्रसन्न हलोतश्री हहै, वह पहलले कले बतहाए गए गगुणशश्रील (अश्वपसूवहार्यनद) वहालश्री हहै। इस
प्रकहार कले ऐश्वरर्य कलो एवव नदव सरूप कलो जलो धहारण करतश्री हहै, वह शश्री और
दलेवश्री हहै। उस शश्री कहा महैं आवहाहनि करतहा हयाँ, वह मगुझले प्रहाप्त हलो, ऐसहा अरर्य हहै।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करमश्वपसूवहार्य ररमधहा हनसनिहादप्रबलोशधनिश्रीनत ? अश्वहा इनत
मनिलोबगुदहाद्यनतःकरणलेशन्द्रिरहाशण। बगुदहाव तद्रदपलेषगु च ननिवसनश्री
नवषरलेषहाकषर्यरनत तसहादश्वहा। पसूररनत वहानहनिश्री। प्रहाणहानिहाव वहनिव
करलोत्यहात्मरूपलेण दलेहले ननिवसनश्री दलेहवहनिव करलोनत तसहात्पसूवहार्य। एवव
बगुनरप्रहाणदलेहस्थिहा नत्रनवधहाशत्मकहाश्वपसूवहार्य भवनत। रलोनगनिहाव रलोगहारम्भले पसूवर्यकहालले
वहा अश्ववरलेषहाघलोषव करलोनत तसहादश्वपसूवहार्य। मधनिहाडहाव निहाडश्रीमधव वहा
समहारहातहा ररघगुघगुर्यरवन्नहादव करलोनत तसहाद्ररमधहा। वलोमले नवद्यगुनदव चपलहा
भसूतहा हनसवदजर्यरत्यरवहा वलोमरनले निहादलेनि प्रबलोधरनत सहा
हनसनिहादप्रबलोशधनिश्रीनत नदवमगुननिमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो
रलोजनरतहा प्रबलोधकहाररणश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 40
हहै। मधनिहाड़श्री (सगुषगुमहा) ममें अरवहा निहानड़रलोव कले मधभहाग ममें आकर रर ककी
घरघरहाहट कले समहानि ध्वननि करतश्री हहै, इसश्रीशलए ररमधहा हहै। आकहाश ममें
नबजलश्री कले समहानि चञ्चल हलोकर हहारश्री कले समहानि गजर्यनिहा करतश्री हहै, अरवहा
आकहाशतत सले सम्बनन्धि रन ममें ध्वननि कले महाधम सले प्रबलोधनि करतश्री हहै, वह
हनसनिहादप्रबलोशधनिश्री हहै, ऐसहा नदव मगुननिमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल
(ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोड़कर (ॐ
अश्वपसूवहार्यरहै निमतः, ॐ ररमधहारहै निमतः, ॐ हनसनिहादप्रबलोशधन्यहै निमतः) प्रबलोधनि
करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले शश्री हहै ? ललोगलोव ककी करण पगुकहार कलो
सगुनितश्री हहै, अपनिले भक्तलोव कले पहापलोव कलो महारतश्री हहै अरवहा तश्रीनिलोव गगुणलोव सले सवसहार कहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 41
नवसहार करतश्री हहै, उनमें ननित्य शरण दलेनिले वहालश्री बनितश्री हहै, अरवहा हरर कले रहनिले
कहा स्थिहानि बनिकर शरहा कले द्विहारहा दलेवतहाओव कले द्विहारहा आकहावशक्षत हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए
शश्री हहै। मसूलहाधहार ममें शहावत शब सले रहतश्री हहै (अरवहा परहा वहाणश्री कले रूप ममें हहै),
नफर मशणपगुर चक्र ममें पश्यहा अरवहा रनश्री (अरवहा पश्यनश्री वहाणश्री कले रूप ममें)
हलोतश्री हहै और वहैखरश्री कले सहार चहार स्थिहानिलोव ममें आशर ललेतश्री हहै, नवषगु कहा आशर
ग्रहण करतश्री हहै, इसश्रीशलए शरहा कहतले हहैं। जरहानद शनक्तरलोव कले द्विहारहा आदरपसूवर्यक
सलेनवत हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए भश्री शरहा हहै। अपनिले आशशत ललोगलोव कले सवकटलोव कलो
समहाप्त करतश्री हहै और उनमें कहामनिहाएव प्रदहानि करतश्री हहै, इसश्रीशलए शश्री हहै।
शमम् कहा अरर्य कलहाण हहै। शनमहा अरहार्यतम् शजसकहा सरूप कलहाण सले रगुक्त
हलो। अपनिश्री कलहाणशनक्त सले ललोकलोव कलो प्रकहाशशत करतश्री हहै, ऐसहा शकहार कहा
अरर्य हहै। रनत कले अरर्य ममें रकहार हहै। ईपहा (इचहा) कले अरर्य ममें ईकहार हहै। इस
प्रकहार सले कलहाणकहाररणश्री हलोकर सवसहार कलो रमण करहातश्री हहै और ललोकलोव कले द्विहारहा
इनचत हलो जहातश्री हहै, अतएव शश्री हहै, ऐसहा नदव शश्रीमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलहा मन्त्र कमलहाबश्रीज (शश्रीव) हहै, दसूसरहा मन्त्र महारहाबश्रीज (हश्रीव) हहै और
वतगुर्यल (ॐ) तश्रीसरहा मन्त्र हहै शजनमें रलोगश्रीजनि जपतले हहैं। अन्य रलोगश्रीजनि पहलले
वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोड़कर (ॐ
शशरहै निमतः) सभश्री समदहा कलो प्रदहानि करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 42
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले महा अरवहा दलेवश्री हहै ? अपनिश्री इचहा सले
सबलोव कलो रत्र तत्र फमेंकतश्री हहै (निहानिहा जनलोव ममें भलेजतश्री हहै), उनिकहा सवहहार करतश्री
हहै, जगतम् कले नवनिहाश कले समर उसककी पररनमनत बनि जहातश्री हहै, इसश्रीशलए महा हहै।
सबलोव ककी सहानमनिश्री बनिकर जश्रीवलोव कले अनर आत्मभहाव सले 'रह मलेरहा हहै, रह मलेरहा
हश्री हहै' ऐसश्री भहावनिहा ककी प्रलेरणहा दलेतश्री हुई सबलोव कले द्विहारहा 'अपनिले हश्री समहानि' इनचत
हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए महा हहै। इस प्रकहार सले पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम
कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोड़कर (ॐ महारहै निमतः) आत्मतत कहा
दशर्यनि करहानिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
दलेवतहा (नवषगु) ककी नप्ररतमहा हलोकर कमर्यफल कलो, अरवहा सबलोव ककी कहामनिहाओव
कलो दलेतश्री हहै और उनिककी रक्षहा करतश्री हहै, इसश्रीशलए दलेवश्री हहै, ऐसहा नदव मगुननिमत
हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें
चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोड़कर (ॐ दलेवहै निमतः) भलोग एवव मलोक्ष कलो दलेनिले वहालश्री
शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशलोऽश्वपसूवहार्यनदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
अशवपऊरआरमधरहसतइनिदबओईएकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेणहाश्वपसूवहार्यदरलो
वशणर्यतहासलेषगु अवपरआमरहसतइनिदईकसूटहारहार्यतः पसूवर्यप्रसङलेषगु
वशणर्यतहाशशलेषहानिधगुनिहा वक्ष्यले। कहामरूपहा, महहामनततः, ससौखहा, कगुमहारश्री,
सगुभगहा, महहालकश्रीतः, कलहाणश्री, महलेन्द्रिहानिङहाङ्कगुशलेनत शकसूटहारर्यतः। रनततः
शहाननभर्वैरवश्री सरसतश्री नवलहाशसनिश्री रूपहाकनषर्यणश्री नवघकत्रर्थी महहानवद्यलेश्वरश्रीनत
ऊकसूटहारर्यतः। नस्थिरहा महहाग्रन्थश्री भद्रकहालश्री वरदहा भलोगदलेनत रकसूटहारर्यतः।
धनिहाखहा रशचतः शहाश्वतहा रलोनगनिश्रीनप्ररहा शनङ्खिनिश्री नवश्वपहावनिश्री धहात्रश्री लज्जहा
दश्रीघर्यजङहा मनतररनत धकसूटहारर्यतः। अवनिश्री भसूधरहा नत्रललोचनिनप्ररहा कपनद्दिर्यनिश्री
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 43
नस्थिरहा, महहाग्रन्थश्री, भद्रकहालश्री, वर दलेनिले वहालश्री, भलोग दलेनिले वहालश्री, रले 'र' कले कसूटहारर्य
हहैं। धनि निहाम वहालश्री, रशच, शहाश्वतहा, रलोनगनिश्रीनप्ररहा, शनङ्खिनिश्री, नवश्व कलो पनवत्र
करनिले वहालश्री, धहात्रश्री, लज्जहा, दश्रीघर्यजङहा, मनत, रले 'ध' कले कसूटहारर्य हहैं। अवनिश्री,
भसूधरहा, नत्रललोचनिनप्ररहा, कपनद्दिर्यनिश्री, भसूनम, सगुगमहा, वसगुधहाशधपहा, रले 'ब' कले कसूटहारर्य
हहैं। सद्यलोजहातहा, गहारत्रश्री, लकश्री, वहाणश्री, सवर्यमङलहा, नदगम्बरहा, त्रहैललोकनवजरहा,
प्रजहा, बश्रीजहानदकनषर्यणश्री, प्रश्रीनत, रले 'ओ' कले कसूटहारर्य हहैं। वहागवहा, शनक्त, भगहा,
ससूकहा, कगुणलश्री, मलोनहनिश्री, रलोनषतहा, आधहारशनक्त, रले 'ए' कले कसूटहारर्य हहैं।
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास शचकश्रीतकदर्यमहावकृषश्री, महहालकश्रीदर्वेवतहा, शश्रीनमनत बश्रीजमम्,
पद्मिहावतश्री शनक्ततः, महातङच महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, सजहार्यनिलेशन्द्रिरमम्,
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 44
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी तकृतश्रीर ऋचहा कले ऋनष शचकश्रीत एवव कदर्यम
हहैं। महहालकश्री दलेवतहा हहैं तरहा शश्रीव बश्रीज हहै। पद्मिहावतश्री शनक्त हहै , इसककी महहानवद्यहा
महातङच एवव इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। आत्महा हश्री इसकहा जहानिलेशन्द्रिर तरहा वहाणश्री
इसककी कमर्वेशन्द्रिर हहै। इसकहा सर मधम एवव तत पकृथश्री हहै। इसककी कलहा कहा
निहाम शहानन हहै तरहा क्रलोव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा रलोननि हलोतश्री
हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै।
दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास
षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा
हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें
तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें
हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार
ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा
हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस शहान हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस तकृतश्रीरचर्थं द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ मकहारश्चहानले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 45
॥इनत प्रबलोधहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 46
॥अर पद्मिवणहार्यशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
कनमनत सगुखव वहा जलमम्। सगुखसरूनपणश्रीव सगुखदहात्रश्रीव भववहाररधलेसरणश्रीव कहाव
सगुसरसनहतहाव नदवमशणसणहार्यद्यमसूलद्रवहैननिर्यनमर्यतभवनिहाव करणरहाद्रर्यशचत्तिहाव
ससूरर्यसलोमहानग्निवद्भहासमहानिहाव ललोकभलोगवहासनिहाशभरननिश्रीव तकृप्तहाव
कहाननक्षहाननशश्रीललोदहारगगुणहैसपर्यरनश्रीव पद्मिहासनिमगुद्रहारहाव पद्मिननिनमर्यतहासनिले वहा
सवनस्थितहाव पद्मिगन्धिहाव पद्मिवनकृदग
गु हात्रहाव वहा पद्मिवणहार्थं सवर्यसमद्यगुतहाव शशरमत्र
जश्रीवनिले पसूजनिस्थिलले वहामन्त्ररले।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - कमम् कहा अरर्य सगुख रहा जल हहै। सगुखसरूप सले रगुक्त,
सगुख कलो दलेनिले वहालश्री, सवसहार समगुद्र सले पहार उतरनिले कले शलए निसौकहासरूपहा, अद्भगुत
आश्चरर्य सले रगुक्त, नदव मशण-सणर्य आनद अमसूल समदहाओव सले ननिनमर्यत भवनि ममें
रहनिले वहालश्री, करणहा सले द्रनवत शचत्ति वहालश्री, ससूरर्य-चन्द्रिमहा-अनग्नि कले समहानि प्रकहाश
सले रगुक्त, सहावसहाररक भलोगलोव एवव वहासनिहाओव ककी ओर सले आसनक्तरनहत एवव तकृप्त
रहनिले वहालश्री, सगुनरतहा-क्षमहा-शश्रील-उदहारतहा आनद गगुणलोव सले (सवसहार कलो) सनगुष्टि
करतश्री हुई, पद्मिहासनि ककी मगुद्रहा ममें अरवहा पद्मि सले ननिनमर्यत आसनि ममें बहैठश्री हुई, पद्मि
कले समहानि सगुगन्धि वहालश्री रहा पद्मि कले समहानि कलोमल शरश्रीर वहालश्री पद्मिवणहार्य कलो, जलो
सभश्री प्रकहार ककी समनत्ति सले रगुक्त शश्री हहैं, उनमें महैं रहहाव अपनिले जश्रीवनि रहा पसूजनि-
स्थिल ममें आमशन्त्रत करतहा हयाँ।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 47
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव कलेनत ? शचनरश्री सहा सवर्यप्रहाशणनिहामनतःनस्थितहा शबहारतले तसहातम् कहा।
ननिगमहैवर्यशनतव बह्म कलोऽसश्रीत्यनलेषरनत तसहातम् कहा। कनमनत बह्म।
कपनद्दिर्यशभरर्यद्ब्रह्मरूपव सहाधश्रीतव तसहाधरनितत्परहानिम् सजर्यरतले सहा कलेनत
नदववहैनदकमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा
सहाधहारफलदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले सलोनसतहा हहै ? उनदनत रहा उतम् बह्म हहै।
उसकहा नवसहार रहा नवकहास नसत हहै। इसश्रीशलए बह्म ककी वहापकतहा उनसतहा हहै।
बह्म ककी वहापकतहा कले सहार जलो हहै, वह सलोनसतहा हहै, ऐसहा नदव बहाह्म मत हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 48
इस मत कले अनिगुसहार वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी
लगहाकर, निमतः जलोड़कर (ॐ सलोनसतहारहै निमतः) सहाधक कहा नवकहास करनिले वहालश्री
शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले नहरण्यप्रहाकहारहा हहै ? नहत करतश्री हहै एवव
रमण करहातश्री हहै, वह नहरण्यहा हहै। प्रककृनत कहा आकहार रहा सरूप प्रहाकहार हहै। नहत
करनिले वहालश्री एवव रमणश्रीरहा सतमसूनतर्य ककी मगुननिजनि उपहासनिहा करतले हहैं इसश्रीशलए
नहरण्यप्रहाकहारहा हहै, ऐसहा नदवनषर्यमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार वतगुर्यल (ॐ)
बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः जलोड़कर (ॐ नहरण्य-
प्रहाकहारहारहै निमतः) कहामनिहा कले अनिगुसहार समकृनर कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि
जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले आद्रहार्य, ज्वलनश्री रहा तकृप्तहा हहै ? अपनिश्री
शरण ममें आरले हुए भक्तलोव कले सभश्री दलोषलोव कहा द्रहावण करकले उनमें उखहाड़ कर दसूर
करतश्री हहै, इसश्रीशलए आद्रहार्य हहै। शशर ममें नस्थित अधलोमगुख वहालले चक्रनस्थित पद्मि सले
ननिकलले अमकृत कले द्विहारहा भश्रीगतश्री हहै, दरहा सले आद्रर्य हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए आद्रहार्य हहै।
हृदरहाकहाश ममें चलेतनिहाशनक्त कले रूप सले प्रज्ज्वशलत रहतश्री हहै, सगर्य कले समहानि
चमकतश्री रहतश्री हहै इसश्रीशलए ज्वलनश्री हहै। नवषगु ममें प्रश्रीनत कलो धहारण करतश्री हहै ,
नकसश्री और ममें निहश्रीव, अरवहा अपनिले भक्तलोव कले आचरण सले सनगुष्टि हलोतश्री हहै,
इसश्रीशलए तकृप्तहा हहै। लसौनकक भलोगलोव कलो छलोड़कर बह्महानिन ककी तकृनप्त कहा उपभलोग
करतश्री हहै, इसश्रीशलए तकृनप्त हहै, ऐसहा नदव वलेदपहारग ऋनषरलोव कहा मत हहै। इस मत
कले अनिगुसहार वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः
जलोड़कर (ॐ आद्रहार्यरहै निमतः, ॐ ज्वलनहै निमतः, ॐ तकृप्तहारहै निमतः) नवश्व कलो तकृनप्त
दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले तपर्यरनश्री, पद्मिले नस्थितहा रहा पद्मिवणहार्य हहै ?
अपनिले गगुण एवव शश्रील सले नवषगु कलो तकृप्त करतश्री हहै और नवषगु कले गगुणलोव सले सरव
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 50
तकृप्त हलोतश्री हहै। निदश्री कले समहानि बहत्तिर हजहार निहानड़रलोव सले शरश्रीररूपश्री समगुद्र कलो तकृप्त
करतश्री हहै, जलतत कले समहानि धमननिरलोव कलो प्रलेररत करकले रसलोव सले वहारगुतत कले
प्रहाणलोव कलो तकृप्त करतश्री हहै, इसश्रीशलए तपर्यरनश्री हहै। निदश्री कले प्रवहाह कले समहानि
गनतशश्रील जगतम् कलो निष्टि करनिले सले कहाल कलो पद्मि कहतले हहैं। कहाल कले सवचहालनि कले
समर कहाल ममें नस्थित हलोतश्री हहै, कहालसरूपहा हलोतश्री हहै और कहाल पर आरूढ़
रहतश्री हहै, इसश्रीशलए 'पद्मिले नस्थितहा' हहै। कहालपगुरषरूपश्री पद्मि कहा अपनिले तलेज सले
वणर्यनि करतश्री हहै, इसश्रीशलए पद्मिवणहार्य हहै, ऐसहा नदव रलोगमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः
जलोड़कर (ॐ तपर्यरनहै निमतः, ॐ पद्मिले नस्थितहारहै निमतः, ॐ पद्मिवणहार्यरहै निमतः)
कहाल कले भर कलो दसूर करनिले वहालश्री एवव पहानणत्य कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो
रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशतः कहानदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
कआसओमइतहरणरपदजवलनिईऋएरकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण कहादरलो
वशणर्यतहासलेषगु आसओमइतहरणरपदजवलनिईएरकसूटहारहार्यतः पसूवर्यप्रसङलेषगु
वशणर्यतहाशशलेषहानिधगुनिहा वक्ष्यले। क्रलोधश्रीशहा महहाकहालश्री प्रकहाशशकहा कपहाशलनिश्री
जरहा परमहाशरर्यकहा बह्महाणश्री महाहलेश्वरश्री रमणश्री मङलहानिङकगुसगुमलेनत ककसूटहारर्यतः।
पसूशसनवक्रमहा दलेवमहातहा भसूनततः नक्ररहा शहानननिश्री गणनिहानरकहा रलोनहणश्री
शशवदसूतश्रीनत ऋकसूटहारर्यतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 51
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी चतगुरर्य ऋचहा कले ऋनष शचकश्रीत एवव कदर्यम
हहैं। सवर्यकहामप्रदहा दलेवतहा हहैं तरहा हहाव बश्रीज हहै। चसूड़हामशण शनक्त हहै, इसककी
महहानवद्यहा महहाशनक्त एवव इसकहा गगुण सतगगुण हहै। निलेत्र इसकले जहानिलेशन्द्रिर तरहा
हहार इसकले कमर्वेशन्द्रिर हहैं। इसकहा सर मधम एवव तत पकृथश्री हहै। इसककी कलहा
कहा निहाम प्रवकृनत्ति हहै तरहा शश्रीव एवव हश्रीव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा
रलोननि हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै।
दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास
षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा
हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें
तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 52
हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार
ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा
हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस ससौम्य हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस चतगुरर्थीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
ससूकवरणश्चहानले श्वलेतशशवहाशनतलो ननिगगुर्यणतः। एवव नवषगुननिर्यगद्यतले। अनिरलोवकृर्यनत्तिव
पसूवर्यचर्थो निकृशसवहवणहार्यभहाव महलेनत सहहैव वक्ष्यले। भश्रीषणलेनि वपगुषहा भरहाद्भश्रीनतव
कहाररनत तसहानहहानवषगुतः। दलेशकहालहावस्थिहाशभरर्थो नि बहाधतले स महहानिम्।
ललोकलोत्तिरवलोनम महश्रीरतले पसूज्यतले सदसतश्री नवनवनिनक्त पकृरक्करलोतश्रीनत
महहानवषगुतः। सवर्वेभलोऽभश्रीष्टिव मलेहनत ददहानत वहा सचलेष्टिरहा सवहार्यनिम् मलोहरनिम्
सवर्वेषगु वलेवलेनष्टि वहाप्तव भवनत स महहानवषगुतः। बह्मभहावले नस्थिततः सहात्मरूपव
मनिगुतले जश्रीवजगदजपहाननितःश्वहाससगुतलो भवनत स महहानवषगुतः। महाव शशरव
शजहश्रीतले रहात्यजहारमहानिलो महहानिम् सनिम् रलोगमहाररहा जहारमहानिलो भवनत स
महहानवषगुतः। असहाशधषहातहाननिररवसूहतः। कहाललो बह्महा वहा मकहारतः।
जश्रीवप्रहाणलो हकहारलो दलेहले तसहावक्तगगुनप्त आकहारतः। कहारर्यगनतवर्यकहारतः।
तस पलोषणनमकहारतः। आनदत्यवणर्वेनिहाभरप्रदतः षकहारतः।
ननिरनहा कलहाणकतहार्य वहा णगुररत्यरर्यतः।
सले परले आकहाश ममें जलो प्रनतनषत एवव पसूशजत हलोतहा हहै, सतम् एवव असतम् कलो अलग
अलग नवभहाशजत करतहा हहै, वह महहानवषगु हहै। सबलोव कलो अभश्रीष्टि वसगु प्रदहानि
करतहा हहै अरवहा अपनिश्री चलेष्टिहा सले सबकलो मलोनहत करतहा हुआ सबलोव ममें वहाप्त रहतहा
हहै, वह महहानवषगु हहै। बह्मभहाव ममें नस्थित हलोकर अपनिले सरूप कहा शचननि करतहा
हहै, जश्रीवमर सवसहार कले अजपहा ननितःश्वहास कले द्विहारहा सगुत हलोतहा हहै, वह महहानवषगु
हहै। महा अरहार्यतम् शश्री कले पहास जलो जहातहा हहै, अरवहा उसककी प्रहानप्त करतहा हहै,
अजनहा हलोनिले पर भश्री रलोगमहारहा सले अवतहार ललेतहा हहै, वह महहानवषगु हहै। इसकहा
अशधषहातहा अननिरर वसूह हहै। कहाल रहा बह्महा कलो मकहार कहतले हहैं। जश्रीव ममें प्रहाण
हलोनिहा हकहार हहै और दलेह ममें उनिककी गगुप्त नस्थिनत आकहार हहै। उसकले कहारर्य ककी गनत
वकहार हहै। उसकहा भरण पलोषण इकहार हहै। ससूरर्य कले समहानि प्रकहाश सले अभर दलेनिले
वहालहा षकहार हहै। सबलोव पर ननिरन्त्रण करनिले वहालहा तरहा उनिकहा कलहाण करनिले
वहालहा णगुकहार हहै, ऐसहा अरर्य हहै।
॥इनत पद्मिवणहार्यशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 54
॥अर चन्द्रिहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
आनिनसरूनपणश्रीव प्रककृष्टिसततलेजलोशनतहाव
नवषलोवहार्यमहाङसवस्थिहानिससौभहाग्यरशसहा सहसससूरहार्यनग्नितलेजलोवज्ज्वलनश्रीव
सवर्वेषहामहाशरभसूतहाव सवसहारले वहानपतहाव शशवलेन्द्रिबह्महानददलेवहैरहारहाशधतहामरवहा
निहारहारणसवरगुक्तहाव ललोकलेष्टिदहानिकमर्यणहा औदहारर्यभहावरगुतहाव करगतपद्मिक्रकीडरहा
निरनिनवलहासकत्रर्त्रीं पद्मिहाखकहालतलो ननिवहारर्य जनिलेभलो मलोक्षदहानिकत्रर्थीमहव
शरण्यहानमनत मन्यले। तसहाग्रजहाव दगुतःसहसहारवलोद्दिहालकस
जहारहालकश्रीनिर्यश्यतहानमनत कहाम्यहारर्यतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 55
कहाल सले ललोगलोव कलो हटहाकर मलोक्ष दलेनिले वहालश्री कलो महैं अपनिश्री शरणदहात्रश्री महानितहा हयाँ।
उनिककी बड़श्री बहनि, जलो दगुतःसह रहा उद्दिहालक ककी पतश्री हहैं, शजनमें अलकश्री कहतले
हहैं, वले निष्टि हलोव, ऐसश्री कहामनिहा कहा अरर्य हहै।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव पगुनिश्चन्द्रिहा ? क्षश्रीरलोदशधमन्थनिले चन्द्रिनिहामश्री शशरलो रनशवर्थोनम गतहा।
तसहातः कलोनटकलोटवशतलेजसतः सलोमलो निहाम चन्द्रिनपणलो बभसूव तसहादलेव
चन्द्रिलेनत नदवनषर्यमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा
मनिलोननिमर्यलकत्रर्त्रीं रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नफर नकस प्रकहार सले चन्द्रिहा हहै ? क्षश्रीरसहागर कले मन्थनि कले
समर शश्री कहा चन्द्रि निहामक तलेज आकहाश ममें चलहा गरहा। उसकले करलोड़वमें कले
करलोड़वमें अवश सले सलोम निहामक चन्द्रिनपण बनिहा, इसश्रीशलए चन्द्रिहा हहै, ऐसहा नदव
ऋनष मत हहै। इस मत कले अनिगुसहार वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें
चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ चन्द्रिहारहै निमतः) मनि कलो ननिमर्यल करनिले वहालश्री
शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 56
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले प्रभहासहा हहै ? कलोवनक उसकहा प्रकहाश शलेष
सभश्री ससूरर्य आनद प्रकहाशशत ततलोव कलो आककृष्टि करतहा हहै तरहा सभश्री तलेजलोव कलो
नतरलोनहत करनिले वहालले ससूरर्य आनद भश्री उसकले तलेज सले सरव नतरलोनहत हलो जहातले हहैं ,
इसश्रीशलए वह प्रकहाशशतहा प्रभहासहा हहै। जहैसले अपनिले पहैरलोव सले शशर ककी छहारहा लहावघश्री
निहश्रीव जहा सकतश्री, वहैसले हश्री शजसकहा धषर्यण नि नकरहा जहा सकले, जश्रीवलोव कले द्विहारहा ऐसश्री
हश्री अलवरहा हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए प्रभहासहा हहै। उस शचदहानिनसरूनपणश्री ककी प्रभहा
सदहैव बनिश्री रहतश्री हहै, शरहासलोमहानद भलोग्यशनक्त ककी प्रभहा कलो सगहार्यनद ममें नवसकृत
करतश्री हहै, इसश्रीशलए प्रभहासहा हहै, ऐसहा नदव वलेदपहारग ऋनषरलोव कहा मत हहै। इस
मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी
लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ प्रभहासहारहै निमतः) तलेज एवव सनहानि कलो दलेनिले वहालश्री
शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - सवसहार ममें नवद्यहादहानि आनद सतमर्थों कले द्विहारहा जलो पगुण्य रहा
समदहा नमलतश्री हहै उसले रश कहतले हहैं। शजसकहा रश अनिलेकलोव रूपलोव ममें नवभहाशजत
हहै और जलो उस रश ककी एकमहात्र उपभलोग करनिले वहालश्री हहैं, वलो रशसहा हहैं, ऐसहा
नदव बगुधमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले
अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ रशसहारहै निमतः) रश कलो दलेनिले वहालश्री
शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले दलेवजगुष्टिहा हहै ? हररसवजक दलेव कले द्विहारहा प्रलेम
सले अशचर्यत हहै, अन्य दलेवतहाओव कले द्विहारहा भश्री शरहा सले सलेनवत एवव सनगुष्टि हहै, अरवहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 58
इशन्द्रिरलोव कहा आशर बनिकर उनमें नवषरलोव ममें आसक्त करतश्री हहै, इसश्रीशलए दलेवजगुष्टिहा
हहै। सभश्री इशन्द्रिरहायाँ जड़ हहैं नकनगु दलेवश्री ककी नवजहानिनक्ररहाशनक्त कले कहारण सगुनिनिहा,
दलेखनिहा आनद कमर्यसमसूहलोव ममें प्रवकृत्ति हलोकर दलेवश्री कलो सगुख दलेतश्री हहैं और दलेवतहाओव कलो
भश्री जश्रीत ललेतश्री हहैं, इसश्रीशलए दलेवजगुष्टिहा हहै, ऐसहा नदव ऐन्द्रिमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ दलेवजगुष्टिहारहै निमतः) सभश्री शनक्तरलोव कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो
रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 59
वहालहा हहै। निलेनम कहा अरर्य बहाहर जहानिहा हहै। प्रककृनत और पगुरष कहा अपनिले तलेज सले
उन्नरनि करतश्री हहै, इसश्रीशलए पद्मिहा हहै। जड़प्रककृनत अरवहा पद्मिनिहाम वहालले कहाल कले
निलेनमभहाग अरहार्यतम् कहाल कले ननिरन्त्रण सले बहाहर रहतश्री हहै, इसश्रीशलए पद्मिनिलेमश्री हहै।
निलेनम कहा अरर्य कलेन्द्रिभहाग भश्री हहै। कहाल कले मध ममें रहकर सवसहार कलो कहाल कले
अनर खश्रीवचतश्री हहै, इसश्रीशलए पद्मिनिलेमश्री हहै, ऐसहा नदवमहनषर्यमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ उदहारहारहै निमतः, ॐ तहारहै निमतः, ॐ पद्मिनिलेम्यहै निमतः) कलहाण
करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशश्चन्द्रिहानदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
चनिदरआपभसरशजवलतईएउषटमकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण चन्द्रिहादरलो
वशणर्यतहासलेषगु चनिदरआपसरशजवलतईएउमकसूटहारहार्यतः पसूवर्यप्रसङलेषगु
वशणर्यतहाशशलेषहानिधगुनिहा वक्ष्यले। नकन्नहा, भ्रहामरश्री, भश्रीमहा, नवश्वमसूनतर्यभष
सूर्य णहा,
दश्रीनप्तसहानपनिश्री, नवश्वरूनपणश्री, चशन्द्रिकलेनत भकसूटहारर्यतः। प्रजहा, लज्जहा,
ससूरहार्यत्महा, रगुरहात्महा, सगुशश्रीतः, शलेषहा, मत्तिलेनत षकसूटहारर्यतः। कपहाशलनिश्री, सलोमजहा,
ध्वननिमगुर्यकगुनहा, वहैषवश्री, पगुनिभर्यवहा, प्रमदहा, नवमलहा, वहारणश्रीनत टकसूटहारर्यतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 60
मगुकगुनहा, वहैषवश्री, पगुनिभर्यवहा (बहार बहार जन प्रकट हलोनिले वहालश्री) प्रमदहा, नवमलहा,
वहारणश्री, रले 'ट' कले कसूटहारर्य हहैं।
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहासहाशसतनषर्यतः, नवषगुदर्वेवतहा, वनमनत बश्रीजमम्, महारहाशनक्ततः, कगुमहारश्री
महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, शलोत्रले जहानिलेशन्द्रिरले, वहाक्कमर्वेशन्द्रिरमम्, ससौम्यसरतः,
आकहाशततमम्, नवद्यहा कलहा, बसौनमत्यगुतकीलनिमम्, द्रहानवणश्री मगुद्रहा भवनत।
ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले
सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ, नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले,
गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस, कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेषगु,
सरन्यहासतः कणमसूल,ले ततन्यहासश्चतगुरहारले मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले,
उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु सवहार्यङले भवत्यस मन्त्रस
मकृदरगु सलो भवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी पहावचवश्रीव ऋचहा कले ऋनष अशसत हहैं। नवषगु
दलेवतहा हहैं तरहा वव बश्रीज हहै। महारहा शनक्त हहै, इसककी महहानवद्यहा कगुमहारश्री एवव इसकहा
गगुण रजलोगगुण हहै। कहानि इसकले जहानिलेशन्द्रिर तरहा वहाणश्री इसककी कमर्वेशन्द्रिर हहै। इसकहा
सर ससौम्य एवव तत आकहाश हहै। इसककी कलहा कहा निहाम नवद्यहा हहै तरहा बसौव
बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा द्रहानवणश्री हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास
शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार
अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा
न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले
षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें
हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले
मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 61
हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव
ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस मकृद गु हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस पञ्चमश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
शवहाशनतलो वकहारश्चहानले चन्द्रितः। एवव ज्वल इनत ननिगद्यतले। अनिरलोवकृर्यनत्तिमग्रले
षषहामकृशच वहाखहासहामतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 62
॥अर नबलहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
तमसहानिवरलोशधतसरूपहानदत्यवणहार्य। शमदमहानदतपश्चरर्यरहा तसहा
मङलकहाररणलो रूपस दशर्यनिव सम्भवनत। तपलोमहाननिन्यहा लकहातः सनित
उत्पन्नलो नबलतः शशरलो वनिस्पनततः। नबलस तपलोमरहाननि फलहाननि
महारहाजन्यहानरहारहानिम् नवघहान्नहाशरनगु। रहा पसूवर्थोक्तहालकश्रीज्यर्वेषहालकश्रीवहार्य सहा
मम जश्रीवनिहादनहष्ककृतहा भवलेनदत्यरर्यतः।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करमहानदत्यवणहार्य ? दलेवनपतकृमनिगुष्यहाणहामतश्रीतहानिहागतदशशर्यकले चक्षगुषश्री भवनत
तसहादहानदत्यसवनजकहा। वणर्य इत्यक्षरव तलेजलो वहा। पसूवर्यनदवमतवशणर्यतलेनि तलेजसहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 63
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 64
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी छठश्री ऋचहा कले ऋनष बह्महा हहैं। ससूरर्य दलेवतहा
हहैं तरहा ॐ बश्रीज हहै। तलेज शनक्त हहै, इसककी महहानवद्यहा महातङच एवव इसकहा गगुण
तमलोगगुण हहै। निलेत्र इसकले जहानिलेशन्द्रिर तरहा हहार इसकले कमर्वेशन्द्रिर हहैं। इसकहा सर
मकृदगु एवव तत आकहाश हहै। इसककी कलहा कहा निहाम परहाशहानन हहै तरहा हश्रीव बश्रीज सले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 65
उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा समगुट हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग
कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र
ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले
दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर
ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर
कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा
न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें
उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र
कहा रस मकृदगु हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस षषश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
गशजर्यनिश्रीरगुतसकहारश्चहानले सकहारतः। एवव ज्वलनहानतः सवर्यतलोमगुखहानदश्च
ननिगद्यतले। एषहाव वकृनत्तिव पसूवर्यचर्थो निकृशसवहवणहार्यभहाव ज्वल इनत सहहैव वक्ष्यहामहले
नकनगु सकहारस वकृनत्तिमष्टिम्यहामकृशच वहाखहासहामतः। रलोनगनिहाव हृदरले मगुमगुक्षसूणहाव
परमपदले नवप्रहाणहाव मणपले सवस्थिहावले वहा रत्प्रज्ज्वलनत तज्ज्वलनव ज्वलद्विहा।
कहालरूपलेण जगद्ग्रसनिम् जहानिनवग्रहलेण ज्वलनत, सलोमससूरहार्यनग्निमणलले
तलेजलोरूपलेण प्रनवशनत तज्ज्वलनव ज्वलद्विहा। चहैतन्यनमनत ज्वलतम्। ज्वलनलेनि
कतकृर्यभहावनस्थितलो जश्रीवतः। महारहाबरलो जश्रीवतः कलेशहैज्वर्यलनत जहानिनपपहासरहा वहा
तकृष्यनत, पगुनिबर्यह्मबलोधलेनि प्रबगुदतले दलेदश्रीप्यमहानिलो भवनत तसहाज्ज्वलनव
ज्वलद्विहा। श्वहासनमशन्द्रिरव नवशजत्यहाशजतलो भसूतहानज्वर्यलनत सवर्यततः प्रसरनत
तसहाज्ज्वलनव ज्वलद्विहा। महहानवषलोतः सवनवद्घनितनमनत ज्वलतम्।
बह्महाणमधले वहैभवमहाशशत्य नवकसन्नवतरनत तसहाज्ज्वलनव ज्वलद्विहा।
असहाशधषहातहारतः पद्मिनिहाभहाखहाशजतहाद्यलेकहादशहावतहारहातः। अशजतश्च
कहानहात्मकलो वहामकृतधहारकश्चहाणर्यवशहारश्री शक्तकीशलो हररवहार्य निरतः ककृषलो वहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 66
॥इनत नबलहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 67
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
ततकृपरहा लकश्रीककृपरहानसनिम् क्षलेत्रले दलेशले दलेहले वहा प्रबगुरलोऽनस।
दलेवनमत्रलो वहारगुदर्यशप्रहाणरूपश्री रशलोनवजरहानदककीनतर्यशभमर्यशणप्रभकृनतसमत्यहा
सह महाव नवनलेनदत्यरर्यतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - तगुमहारश्री ककृपहा सले, लकश्री ककी ककृपहा सले, महैं इस क्षलेत्र ममें,
अरहार्यतम् दलेश रहा दलेह ममें प्रबगुर हयाँ। दलेवतहाओव कले नमत्र, दस प्रहाणलोव कहा सरूप
धहारण करनिले वहालले वहारगु रश, नवजर आनद ककीनतर्य एवव मशण आनद समनत्ति कले
सहार मगुझले प्रहाप्त करमें, ऐसहा अरर्य हहै।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव ककीनतर्यतः ? ललोकले वहारगुनिहा सह नकरणहानिम् नकरनश्री मसूलहाधहारहानग्निनिहा
परहापश्यनश्रीमधमहावहैखरश्रीरत्तिरलोत्तिरक्रमलेण नकरनश्री
शनिहैशशनिहैद्विहार्यदशहारमनतक्रहामनत तसहादलेव ककीनतर्यररनत नदवमगुननिमतमनिलेनि
वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा रलोनगमलनिहाशकत्रर्त्रीं
रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले ककीनतर्य हहै ? सवसहार ममें वहारगु कले सहार
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 68
नकरणलोव कहा नवसहार करतश्री हुई मसूलहाधहार ककी अनग्नि सले परहा-पश्यनश्री-मधमहा-
वहैखरश्री कलो उत्तिरलोत्तिर क्रम सले फहैलहातश्री हुई धश्रीरले धश्रीरले द्विहादशहार (अनिहाहत) कहा
अनतक्रमण करतश्री हहै, इसश्रीशलए ककीनतर्य हहै, ऐसहा नदव मगुननिमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ ककीत्यर्वै निमतः) रलोनगरलोव कले मल कहा निहाश करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री
कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले ऋनर हहै ? रलोनगरलोव कले शचत्ति कलो समकृर
रहा प्रसन्न करतश्री हहै, नवषगु कले गगुणलोव कलो बढ़हातश्री हहै अरवहा उनिकले गगुणलोव सले सरव
वकृनर कलो प्रहाप्त हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए ऋनर हहै। आधहारचक्रहानद पद्मिपटललोव ममें
उत्तिरलोत्तिर क्रम सले बढ़तश्री हहै, रलोग ममें जलो पररपक्व हलो चगुकले हहैं, उनिकले रलोगबल कहा
नवसहार करतश्री हहै, इसश्रीशलए ऋनर हहै, ऐसहा नदव रलोगमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ ऋदहै निमतः) रलोग कलो प्रदश्रीप्त करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो
रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशतः ककीत्यहार्यनदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
कईरतइऋदधकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण ककीत्यहार्यदरलो वशणर्यतहासले सवर्वे कसूटहारहार्यतः
पसूवर्यप्रसङलेषगु ननिरूनपतहातः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 69
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास मकृकण ऋनषतः, सवर्यसमनत्तिपसूरणश्री दलेवतहा, ससौनमनत बश्रीजमम्,
शशवहाशनक्ततः, महातङच महहानवद्यहा, तमलोगगुणतः, रसनिहा जहानिलेशन्द्रिरमम्, करसौ
कमर्वेशन्द्रिरले, मधमतः सरतः, जलततमम्, प्रनतषहा कलहा, ऐनमत्यगुतकीलनिमम्,
रहाजसश्री मगुद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले
हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ,
नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस,
कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेष,गु सरन्यहासतः कणमसूलले, ततन्यहासश्चतगुरहारले
मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले, उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु
सवहार्यङले भवत्यस मन्त्रस मकृदरगु सलो भवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी सहातवश्रीव ऋचहा कले ऋनष मकृकण हहैं। सवर्य-
समनत्तिपसूरणश्री दलेवतहा हहैं तरहा ससौव बश्रीज हहै। शशवहा शनक्त हहै, इसककी महहानवद्यहा
महातङच एवव इसकहा गगुण तमलोगगुण हहै। रसनिहा इसककी जहानिलेशन्द्रिर तरहा हहार इसकले
कमर्वेशन्द्रिर हहैं। इसकहा सर मधम एवव तत जल हहै। इसककी कलहा कहा निहाम
प्रनतषहा हहै तरहा ऐव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा रहाजसश्री हलोतश्री हहै।
ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास
हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें
एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा
न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 70
न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा
न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा
कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास
सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस मकृद गु हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस सप्तमश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ वनहरगुतलो
वरणश्चहानले सत्यहाशनतसकहारतः। एवव 'वर्यतलो' ननिगद्यतले।
तरलोवकृर्यनत्तिमग्रलेऽष्टिम्यहामकृशच वहाखहासहामतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 71
॥अर निहाशहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
जलहान्नसहाभहावकहाररणश्रीमपनवत्रतहाशशतहाव ज्यलेषहासवनजकहामलकश्रीव नहनिलोनम।
ममहालरहादभसूनतव लसौनककहैश्वरर्यबहाशधकहामसमकृनरव धनिहश्रीनितहाकहाररणव
दहाररद्र्यञ्च ननिष्कहासर।
अभहावमत्रहाह
शसररलोनगन्यहा पशद्मिनिश्रीदलेवहा ननिग्रहहार मन्त्रसहास नदववकृनत्तिनिर्य प्रकहाशशतहा।
नि कलेवलव ननिग्रहहारहानपशतन्द्रिहानदभलोऽनप पगुरहा शशरहा निलोक्तहा।
ननिग्रहलो निहैव जहानिहानत नि जहानिनन सगुरलेश्वरहातः।
ऋषरलोऽनप नि जहानिनन शलेषहाणहाव कहा करहा भवलेतम् ?
नदववकृत्तिलेरभहावहातसूटवकृत्तिलेरभहावससहादप्रकहाशशतहा।
इस मन्त्र ककी नदववकृनत्ति प्रकहाशशत निहश्रीव ककी गरश्री हहै। कलेवल ननिग्रहहाचहारर्य कले सहार
हश्री ऐसहा निहश्रीव हहै, पसूवर्यकहाल ममें इन्द्रि आनद कले शलए भश्री लकश्री कले द्विहारहा इसले निहश्रीव
कहहा गरहा हहै। इसले ननिग्रहहाचहारर्य निहश्रीव जहानितले हहैं, बड़ले बड़ले दलेवतहा निहश्रीव जहानितले हहैं,
ऋनषगण भश्री निहश्रीव जहानितले हहैं, नफर शलेषजनिलोव ककी कहा बहात करमें ! नदववकृनत्ति कले
अभहाव ममें कसूटवकृनत्ति कहा भश्री अभहाव हहै, इसश्रीशलए उसकहा भश्री वणर्यनि निहश्रीव नकरहा
गरहा हहै।
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास निहारद ऋनषतः, सवर्यससौभहाग्यदहानरनिश्री दलेवतहा, सहानमनत बश्रीजमम्,
ऐश्वरर्यशनक्ततः, लकश्रीमर्यहहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, निलेत्रले जहानिलेशन्द्रिरले, भगतः
कमर्वेशन्द्रिरमम्, ससौम्यसरतः, भसूततमम्, प्रवकृनत्तितः कलहा, हश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्,
समगुटमगुद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले
हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ,
नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस,
कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेष,गु सरन्यहासतः कणमसूलले, ततन्यहासश्चतगुरहारले
मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले, उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु
सवहार्यङले भवत्यस मन्त्रस मलोहरसलो भवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी आठवश्रीव ऋचहा कले ऋनष निहारद हहैं। सवर्य-
ससौभहाग्यदहानरनिश्री दलेवतहा हहैं तरहा सहाव बश्रीज हहै। ऐश्वरर्यशनक्त हहै, इसककी महहानवद्यहा
लकश्री एवव इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। निलेत्र इसकले जहानिलेशन्द्रिर तरहा भग इसककी
कमर्वेशन्द्रिर हहै। इसकहा सर ससौम्य एवव तत पकृथश्री हहै। इसककी कलहा कहा निहाम
प्रवकृनत्ति हहै तरहा हश्रीव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा समगुट हलोतश्री हहै।
ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास
हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें
एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 73
न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा
न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा
न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा
कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास
सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस मलोह हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तसहाष्टिमश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ शशवहाशनतलो
मकहारश्चहानले खकहारतः। एवव मगुखव ननिगद्यतले। अनिरलोवकृर्यनत्तिव पसूवर्यचर्थोनिकृर्यशसवहवणर्वैतः
'सवर्यतलो' शबलेनि सहहैव वक्ष्यले। मगुखनमनत शनक्ततः। शनक्तरर्यस सवर्यततः नस्थितहा
स सवर्यशनक्तमहानिम् सवर्यतलोमगुखतः। मगुखनमनत वलेदजहानिमहारम्भश्च। रतः सवर्थं वलेनत्ति
सवर्यजहानिमरलोऽनस, सवर्वेषहामहानदकहारणमनस स सवर्यतलोमगुखतः।
कहानमर्यककहानरकहाणनवकमललेभस्सवर्यतलो नवरतस्स सवर्यतलोमगुखतः।
निहानिहारलोननिषवतहारकमर्यशण दक्षतः सवर्यतलोमगुखतः। असहाशधषहातहारतः
पश्रीरसूषहरणहादरलो दशहावतहारहातः। पश्रीरसूषहरणतः शश्रीपनतवर्यरहाहतः पहातहालशहारश्री
वहागश्रीश्वरशसनवक्रमलो नवश्वरूपलो बडवहावकलो वसौवहार्यनग्निवर्णौदनिमदर्यनिलो
वहामनिलो वलेदनवत्तिरहा।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 74
मललोव सले जलो सभश्री ओर सले ननिवकृत्ति हहै, वह सवर्यतलोमगुख हहै। नवशभन्न रलोननिरलोव ममें
अवतहार ललेनिले कले कमर्य ममें जलो ननिपगुण हहै, वह सवर्यतलोमगुख हहै। इसकले अशधषहातहा
पश्रीरसूषहरण आनद दस अवतहार हहैं। पश्रीरसूषहरण, शश्रीपनत, वरहाह, पहातहालशहारश्री,
वहागश्रीश्वर, नत्रनवक्रम, नवश्वरूप, बडवहावक अरवहा औवर्य निहाम ककी अनग्नि अरवहा
ओदनिमदर्यनि, वहामनि, और वलेदनवतम्, रले दस अवतहार हहैं।
॥इनत निहाशहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 75
॥अर गन्धिहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
गन्धिपगुषमहालधसूपहानदशभमर्यहहालकश्रीमप्रनतहतवश्रीरहार्थं
अवस्थिहादलेशकहालनवक्षलेपप्रभहावहैरबहाशधतहाव सवर्यदहैकदृकगुष्टिहाव
ललोकहानललोकपहालहानहाकषर्यरनश्रीव बह्मणलो दशनवधहाव सकृनष्टिमश्रीश्वरतलेनि शहासरनश्रीव
ननिरन्त्ररनश्रीव पसूवर्थोक्तगगुणशश्रीलसमन्नहाव शश्रीसवनजकहाव लकश्रीमत्रहावहाहरले।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव गन्धिद्विहारहा ? गन्धिशबहात्तिनहात्रहाणहाव सङ्कलेततः। तनहात्रहातः प्रककृतलेबर्थोधस
द्विहाररूपहाणहाव पञ्चमहहाभसूतहानिहाव जहानिलेशन्द्रिरहाणहाव वहाधहारहातः सनन, तलेषहामनप रहा
द्विहारभसूतहा सहा गन्धिद्विहारलेनत नदवबहाह्मणमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा
निमलो रलोजनरतहा पगुण्यदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 76
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले गन्धिद्विहारहा हहै ? गन्धि शब सले रूप आनद
सभश्री तनहात्रहाओव कहा सङ्कलेत हहै। तनहात्रहा, प्रककृनत कहा बलोध करहानिले ममें द्विहार कले
समहानि, पञ्चमहहाभसूत एवव जहानिलेशन्द्रिरलोव कले आधहार कले समहानि हहैं, उनि तनहात्रहाओव ककी
भश्री जलो द्विहार कले समहानि हहै, वह गन्धिद्विहारहा हहै, ऐसहा नदव बहाह्मणमत हहै। इस मत
कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ गन्धिद्विहारहारहै निमतः) पगुण्य कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि
जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले दगुरहाधषहार्य हहै ? दहैत्य एवव दहानिवलोव कले शलए
अजलेरहा हहै। शगुर जहानि ककी नक्ररहाशनक्त वहालश्री हहै, सबलोव ककी आत्मशनक्त हहै, उसककी
जहानिशनक्त कले कहारण उसकहा प्रतश्रीकहार सम्भव निहश्रीव हहै, इसश्रीशलए दगुरहाधषहार्य हहै,
ऐसहा नदव सहावखमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर
निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ दगुरहाधषहार्यरहै निमतः) अजहानि
कहा निहाश करनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले ननित्यपगुष्टिहा हहै ? नवषरलोव सले हश्रीनि हलोकर भश्री
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 77
क्षश्रीणतहा कलो प्रहाप्त निहश्रीव हलोतश्री हहै, अनवनिहाशश्री नवग्रह वहालले शश्रीहरर कले तलेज अरवहा
जहानिशनक्त सले पगुष्टि हलोतश्री हहै, शचनर दलेह कलो धहारण करकले अपनिश्री चलेतनिहा सले जड़
नवषरलोव कहा पलोषण करतश्री हहै, इसश्रीशलए ननित्यपगुष्टिहा हहै, ऐसहा नदव जहानिमत हहै।
इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी
लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ ननित्यपगुष्टिहारहै निमतः) जहानि कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो
रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले करश्रीनषणश्री हहै ? करश्री कहा अरर्य 'करनिले
वहालहा' हहै। शरश्रीर, वहाणश्री एवव मनि सले शगुनर कलो प्रहाप्त करकले रज, दहानि एवव
अधरनिकमर्य ममें लगले हुए बहाह्मणलोव कलो दलेखतश्री हहै, तरहा उनिककी अशभलहाषहा करतश्री
हहै, इसश्रीशलए करश्रीनषणश्री हहै। करश्री कहा अरर्य हहारश्री हहै। अलसौनकक हहाशररलोव सले नघरश्री
हुई, उनिकले ऊपर सवहार हलोकर सवसहार ककी रचनिहा करतश्री हहै अरवहा इस सवसहार कहा
सवहहार करतश्री हहै, इसश्रीशलए करश्रीनषणश्री हहै, ऐसहा नदव ततमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ करश्रीनषण्यहै निमतः) कहाम्य शसनररलोव कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो
रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 78
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास मलेधहा ऋनषतः, सवर्यशसनरप्रदहा दलेवतहा, बश्रीनमनत बश्रीजमम्,
भ्रहामरश्रीशनक्ततः, कमलहा महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, निहाशसकहा जहानिलेशन्द्रिरमम्, करसौ
कमर्वेशन्द्रिरले, मकृदस
गु रतः, भसूततमम्, मलोनहनिश्री कलहा, कश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्,
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 79
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी निवश्रीव ऋचहा कले ऋनष मलेधहा हहैं। सवर्यशसनरप्रदहा
दलेवतहा हहैं तरहा बश्रीव बश्रीज हहै। भ्रहामरश्री शनक्त हहै , इसककी महहानवद्यहा कमलहा एवव
इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। निहाशसकहा इसककी जहानिलेशन्द्रिर तरहा हहार इसकले कमर्वेशन्द्रिर
हहैं। इसकहा सर मकृद गु एवव तत पकृथश्री हहै। इसककी कलहा कहा निहाम मलोनहनिश्री हहै तरहा
कश्रीव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी मगुद्रहा द्रहानवणश्री हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा
न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार
अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा
न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले
षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें
हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले
मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास
हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव
ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस ससौम्य हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस निवमश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ रद्ररगुतहा
गशजर्यनिश्री चहानले नबनगुनवद्यहारगुतलो हकहारतः। एवव 'निकृशसव' ननिगद्यतले। तरलोवकृर्यनत्तिमग्रले
दशम्यहामकृशच वहाखहासहामतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 80
॥इनत गन्धिहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 81
॥अर सत्यहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
मनिसहा कनल्पतव कहामव तरहाशभप्रहारलोशजतव तदनिगुगतमरर्थं वहाचहा रहाशचतव
सगुस्पष्टिश्रीककृतञ्च कहाननद्रनवणनहरण्यपश्वहादश्रीनिम् भक्ष्यभलोज्यवहैभवहादश्रीनिम्
शचरकहालस्थिहैरर्यलक्षणहानित्र कहामरले। तहानिम् पसूवर्थोक्तकहामहानिम् मनर मम जश्रीवनिले
वहा नवभसूनतदहात्रश्री शश्रीलर्यकश्रीतः सनन्नधहापरलेनदत्यरर्यतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 82
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले 'मनिसतः कहाम' ऐसश्री हहै ? सभश्री मनिलोररलोव
सले जलो परले हहै, पकृथश्री-अनररक्ष-सगर्य ममें जलो अप्रहाककृनतक नदवभलोग हहैं, वले शजस
परहाशनक्त ममें ननिनहत हहैं, वह 'मनिसतः कहाम' ऐसश्री कहश्री गरश्री हहै। शश्रीहरर कले हृदर
ममें नस्थित हलोकर उनिककी कहामक्रकीड़हा कहा आशर हलोतश्री हहै, इसश्रीशलए 'मनिसतः कहाम'
हहै, ऐसहा नदव दलेवमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर
निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ मनिसतः कहामहार निमतः)
समकृनर दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले 'वहाच आकसूनत' हहै ? लसौनकक, वहैनदक रहा
आगम ममें वशणर्यत जलो घलोष रहा अघलोष रूप सले उच्चहाररत हहै , उसले वहाकम् रहा वहाणश्री
कहतले हहैं। वहहाव पर जलो अशधषहात्रश्री हहै और उसकले उच्चहारण कहा जलो आधहार हहै ,
वह शश्री हहै, ऐसहा नदव वहैनदकमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ)
बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ वहाच
आकसूत्यहै निमतः) शबहारर्य ककी शसनर दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 83
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले सत्य हहै ? अनसत कलो सतम् कहतले हहैं एवव
शसर कलो त्यतम् कहतले हहैं। दलो प्रकहार वहालहा सवसहार सत्तिहाभहाव एवव शसरभहाव सले
सत्य कहलहातहा हहै, और वह सब शश्री हहै, ऐसहा नदव महनषर्यमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ सत्यहार निमतः) सत्य कहा फल दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि
जपतले हहैं।
करव पशसूनिहाव रूपमम् ? पशगुररनत जश्रीवतः। दलेवमनिगुष्यनतरर्यकवजकतः।
बरमगुक्तननित्यरूपहाशण। तलेषहाञ्चलेतनिमचलेतनिरूपव शश्रीशक्तलेलर्वेशमहात्रमनस। तसहा
आग्निलेरश्री शनक्तश्चलेतनिहाचलेतनिलेषगु प्रकहाशशतहा तसहातम् पशसूनिहाव रूपनमनत
नदवसहाङमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा
सवनवत्फलदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले 'पशसूनिहाव रूपमम्' हहै ? जश्रीव कलो पशगु कहतले
हहैं। रह दलेवतहा, मनिगुष्य एवव नतरर्यकम् सवजक हहै। बर, मगुक्त और ननित्यसवजक इसकले
रूप हहैं। उनिकहा चलेतनि अरवहा अचलेतनि रूप शश्री ककी शनक्त कहा ललेशमहात्र हहै। शश्री
ककी आग्निलेरश्री शनक्त चलेतनि और अचलेतनि ममें प्रकहाशशत हहै, इसश्रीशलए 'पशसूनिहाव रूपमम्'
हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें
चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ पशसूनिहाव रूपहार निमतः) सम्यकम् जहानि कहा फल
दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 84
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले 'अन्नस रशतः' हहै ? दलो प्रकहार कले अन्न
हहैं। तश्रीनि गगुणलोव वहालहा प्रककृनतजन्य और छतः गगुणलोव वहालहा अप्रहाककृनतक। बर जश्रीव
तश्रीनि गगुणलोव वहालले अन्न कलो खहातले हहैं और ननित्य जश्रीव दसूसरले (छतः गगुणलोव वहालले अन्न)
कलो खहातले हहैं। इनि दलोनिलोव अन्न कहा रश सभश्री प्रहाशणरलोव ककी आत्महा शश्रीदलेवश्री ममें
ननिनहत हहै, इसश्रीशलए 'अन्नस रशतः' हहै, ऐसहा नदव ततमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर (ॐ अन्नस रशसले निमतः) भलोग दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि
जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशलो मनिसतः कहामहानदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
मनिसअतःकआवचऊतइरपशनिअवरअकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण मनिसतः कहामहादरलो
वशणर्यतहासलेषगु मनिसकआवचऊतइरपशनिरअकसूटहारहार्यतः पसूवर्यप्रसङलेषगु
ननिरूनपतहाशशलेषहानिधगुनिहा वक्ष्यले। कलहा, पसूणहार्यमकृतहा, रसनिहा, रनतभर्यद्रहा, शनक्ततः,
सगुनरश्री, नवद्यहा, सगुरशलेनत अतःकसूटहारर्यतः। चक्षगुषश्री, शश्रीमगुखश्री, प्रश्रीनततः,
बश्रीजरलोननिश्चलेतनिहा, पसूणहार्य, नवशचत्रहा, वलोमरूनपणश्री, रलेवतश्रीनत अङ्कसूटहारर्यतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - मनिसतः कहाम आनद कसूटलोव कले अनिगुसहार शश्रीनवग्रह कहैसहा हहै ?
नदववकृनत्ति कले वणर्यनि ममें म-नि-स-अतः-क-आ-व-च-ऊ-त-इ-र-प-श-नि-अव-र-अ
कसूट वणर्थों कले आचहार सले मनिसतः कहाम आनद वशणर्यत हहैं, उनिममें सले म-नि-स-क-आ-
व-च-ऊ-त-इ-र-प-श-नि-र-अ कसूटलोव कले अरर्य कहा वणर्यनि पसूवर्य कले प्रसङलोव ममें नकरहा
जहा चगुकहा हहै, शलेष कलो अब कहतहा हयाँ। कलहा, पसूणहार्यमकृतहा, रसनिहा, रनत, भद्रहा,
शनक्त, सगुनरश्री, नवद्यहा, सगुरशहा, रले 'अतः' कले कसूटहारर्य हहैं। चक्षगुषश्री, शश्रीमगुखश्री, प्रश्रीनत,
बश्रीजरलोननि, चलेतनिहा, पसूणहार्य, नवशचत्रहा, वलोमरूनपणश्री, रलेवतश्री, रले 'अव' कले कसूटहारर्य हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 85
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास वलेदवहास ऋनषतः, सवर्यनप्ररङ्करश्री दलेवतहा, क्रलोनमनत बश्रीजमम्,
शतहाक्षश्री शनक्ततः, सगुनरश्री महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, शलोत्रले जहानिलेशन्द्रिरले, मनितः
कमर्वेशन्द्रिरमम्, ससौम्यसरतः, जलततमम्, अनवद्यहा कलहा, शश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्,
रलोननिमगुर्यद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले हृनद,
बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ, नवद्यहान्यहासतः
षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस, कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः
कमर्वेशन्द्रिरलेष,गु सरन्यहासतः कणमसूलले, ततन्यहासश्चतगुरहारले मसूलहाधहारले,
कलहान्यहासतः करतलले, उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु सवहार्यङले
भवत्यस मन्त्रस मलोहरसलो भवनत।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 86
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस दशमश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
हकहारश्चहानले महहामहारहारगुतलो भकहारतः। एवव निकृशसवहहानलो भश्रीषणहानदश्च
ननिगद्यतले। हकहारस वकृनत्तिव पसूवर्यचर्थो निकृशसवहवणहार्यभहाव निकृशसव इनत सहहैव वक्ष्यहामहले
नकनगु शशष्टिस वकृनत्तिमलेकहादश्यहामकृशच वहाखहासहामतः। आश्चरर्यकमहार्य निकृशसवहतः।
निकृणहाव बन्धिनिव नहनिलोतश्रीनत निकृशसवहतः। निकृषगु पगुरषलेषगु वहा
शसवहवदगुत्तिमससहात्पगुरषलोत्तिमलो निकृशसवहतः। निनॄनिहात्मननि बलोधरनिम् समग्रतलो
हवदलोमवनततससहान्नकृशसवहतः। असहाशधषहातहारतः निरहानदनिवहावतहारहातः। निरलो
निहारहारणतः पहाररजहातहरणलो रहाहुशजत्परशगुरहामलो रहामतः क्रलोडहात्महा हवसलो वहा
नवहङमतः कनलतः।
॥इनत सत्यहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 87
॥अर सम्भवहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
कदर्यमसगु बह्मणतः छहारहारहा जहाततः प्रजहापनतवहार्य कनपलस जनिकतः।
कल्पहानरले दलेववत्सरसवजकले स तगु तपसरहा शश्रीपगुत्रतव कहामरहाञ्चक्रले। परञ्च
शश्रीरप्यलेकनसन्कल्पहानरले तस पगुत्रश्री बभसूव। प्रजहापतले कदर्यम ! तरहा
प्रजहारूपलेणहाङचककृतहाव शशरव मनर कमललोपहासकले स्थिहापर। सवर्यभसूतहानिहाव जनिनिश्रीव
पङ्कजमहालनवभसूनषतहाव मम ववशले वहा शक्तसौ (कगुलव कगुणशलनिश्री शनक्ततः)
ननिवहाशसनिश्रीव कगुर।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - बह्महा ककी छहारहा सले उत्पन्न कदर्यम प्रजहापनत कनपल मगुननि
कले नपतहा हहैं। दलेववत्सर निहामक कल्प ममें तपसहा करकले उनलोवनिले लकश्री कहा पगुत्र
बनिनिले ककी कहामनिहा ककी रश्री। सहार हश्री, लकश्री भश्री नकसश्री कल्प ममें उनिककी पगुत्रश्री
बनिश्री रश्री। हले प्रजहापनत कदर्यम ! आपकले द्विहारहा सनहानि कले रूप ममें सश्रीकहार ककी गरश्री
लकश्री कलो मगुझ लकश्री कले आरहाधक ममें स्थिहानपत करमें। सभश्री प्रहाशणरलोव कलो जन
दलेनिले वहालश्री, कमल ककी महालहा सले सगुशलोशभत लकश्री कलो मलेरले ववश ममें अरवहा शनक्त
ममें (कगुणशलनिश्री शनक्त कलो कगुल कहतले हहैं) ननिवहास करनिले वहालश्री बनिहाएव।
नवशशष्टिननिग्रहवकृनत्तिमत्रहाह
करव शशरतः नपतहा कदर्यमतः ? कदर्यमनमनत महावसमम् महावसलो वहा। महावसनमनत
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 88
बकृवहणतमम्, महावस इनत कहालतः। कहाल इनत समरतः सवरलोगलो वहा। कहाललेनि
प्रजहातः जहारनले। बह्मणलो बकृवहणतमहाशशत्य तस सवरलोगलेनिहाधक्षलेण वहा
प्रककृनततः सगगुणहाककृनतव सकृनष्टिव ससूरतले। तसहातम् कदर्यमपगुत्रश्री शश्रीभर्यवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्री कले नपतहा कदर्यम कहैसले हहैं ? कदर्यम कहा अरर्य महावस हलोतहा
हहै। महावस कहा अरर्य नवसहार और कहाल हलोतहा हहै। कहाल समर रहा सवरलोग कलो
कहतले हहैं। कहाल सले हश्री प्रजहा उत्पन्न हलोतश्री हहै। बह्म कले नवसहार कहा आशर ललेकर
उसकले सवरलोग सले रहा अधक्षतहा ममें प्रककृनत इस सगगुणहाककृनत सकृनष्टि कलो जन दलेतश्री
हहै, इसश्रीशलए शश्री कदर्यम ककी पगुत्रश्री हलोतश्री हहै।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव महातहा ? भगुवनिपदमन्त्रततकलहावणर्यभलेदलेनि षणन्त्रहावरवहासहाननमश्रीतले
शबहारमहानिहानिम् करलोनत सहा महा। ललोकहानिम् मश्रीरतले सहा महा। रसहातः कगुक्षसौ
जगनहानत सहा महा। महानिहानिहाव परमव महानिव भवनत महा। जगत्तिहाररतश्रीनत तहा तकृ
वहा। नत्रगगुणदलोषहाम्बगुशधव तरनश्री भसूतलेषगु चलेतनिहारूपलेण प्लवतले तसहात्तिहा।
सववतर्यकमलेघरूनपणश्री नवश्वमहाप्लहावरनत तसहात्तिहा। सवर्वेषहाव नहतसहाशधनिश्री
नहतशचननितत्परहा महातहा इनत नदवरलोगमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा
चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा भलोगसमकृनरदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले महातहा हहै ?भगुवनि, पद, मन्त्र, तत, कलहा
और वणर्य कले भलेद सले मन्त्र कले छतः अवरव हलोतले हहैं, उनमें जलो शबहारमहानि करतश्री
हहै, वह महा हहै। सवसहार कहा सवहहार करनिले सले महा हहै। शजसकले उदर ममें सवसहार लश्रीनि
हलोतहा हहै, वह महा हहै। पररनमत जहानिसमसूहलोव ककी भश्री पहारनमतहा हहै, इसश्रीशलए महा हहै।
जगतम् कलो तहारतश्री हहै इसश्रीशलए तहा रहा तकृ हहै। तश्रीनिलोव गगुणलोव कले दलोष सले रगुक्त
भवसहागर कलो पहार करतश्री हुई प्रहाशणरलोव ममें चलेतनिहारूप सले तहैरतश्री हहै, इसश्रीशलए तहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 89
हहै। सववतर्यक बहादल बनिकर सवसहार कलो डगुबहातश्री हहै, इसश्रीशलए तहा हहै। सबलोव कले नहत
कलो शसर करतश्री हहै और नहत कले शचननि ममें लगश्री रहतश्री हहै, इसश्रीशलए महातहा हहै,
ऐसहा नदव रलोगमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर
निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ महात्रले निमतः) भलोग ककी
समकृनर दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 90
महाशलन्यहै निमतः) सभश्री कमर्थों कहा फल दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशलो महात्रहानदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
मआतपदलइनिईकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण महात्रहादरलो वशणर्यतहासले सवर्वे कसूटहारहार्यतः
पसूवर्यप्रसङलेषगु ननिरूनपतहातः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी ग्यहारहवश्रीव ऋचहा कले ऋनष नवषगु हहैं। सवर्य-
वहाशधनवनिहाशशनिश्री दलेवतहा हहैं तरहा हहाव बश्रीज हहै। इन्द्रिहाणश्री शनक्त हहै, इसककी
महहानवद्यहा भगुवनिलेश्वरश्री एवव इसकहा गगुण सतगगुण हहै। तचहा इसककी जहानिलेशन्द्रिर तरहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 91
हहार इसकले कमर्वेशन्द्रिर हहैं। इसकहा सर मकृद गु एवव तत वहारगु हहै। इसककी कलहा कहा
निहाम शहानन हहै तरहा ऐव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी समगुट मगुद्रहा हलोतश्री
हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास
हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें
एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा
न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा
न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा
न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा
कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास
सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस सवनि हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तसहैकहादशश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
षकहारश्चहानले णकहारतः। एवव 'षण' ननिगद्यतले। अनिरलोवकृर्यनत्तिव पसूवर्यचर्थो निकृशसवहवणर्वेनि
'भश्री' इनत सहहैव वक्ष्यले। दगुष्टिलेभलो शभरव सनिलोतश्रीनत भश्रीषणतः। भलेनत ततजहानिव
प्रकहाशलो वहा। भहामश्रीषतले स भलेषणससहैव भश्रीषण इनत सवजहा। पशगुभहावस
जश्रीवस कलेशहानदपहाशहा भश्री शबलेनिलेनङतहातः। तव पहाशव शभरव वहा सनत
खणरनत सवसहारबन्धिनिव वहा सनत स भश्रीषणतः। असहाशधषहातहारलो
धगुवहादरश्चतहारलोऽवतहारहातः। धगुवलो न्यग्रलोधशहारश्री च निकृशसवहलो मधगुससूदनि इनत।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 92
हहै। पशगुभहाव वहालले जश्रीव कले कलेश आनद पहाशलोव कलो 'भश्री' शब सले बतहारहा जहातहा
हहै। उस पहाश रहा 'भश्री' कहा जलो खणनि करले अरवहा सवसहार कले बन्धिनि कहा खणनि
करले, वह भश्रीषण हहै। इसकले अशधषहातहा धगुव आनद चहार अवतहार हलोतले हहैं। धगुव,
न्यग्रलोधशहारश्री, निकृशसवह और मधगुससूदनि, रले चहार अवतहार हहैं।
॥इनत सम्भवहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 93
॥अर कगुलहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
शशरतः पगुत्र शचकश्रीत ! मम गकृहले नदवहाम्बगुभसूतहाननि
घकृतमधगुतहैलहानदशसगहान्यगुत्पहादर। सवहार्यशरहाव नदवभहासहाव ललोकजनिनिश्रीव
मम ववशले शक्तसौ वहा सनन्नधहापरलेत्यरर्यतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - हले शश्री कले पगुत्र शचकश्रीत ! मलेरले घर ममें नदव जल सले
उत्पन्न हलोनिले वहालले घकृत, मधगु, तलेल आनद शसग पदहारर्थों कहा उत्पहादनि करमें। सबलोव
ककी आशरभसूतहा, नदव तलेज वहालश्री, सवसहार कलो जन दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो मलेरले
ववश अरवहा शनक्त ममें स्थिहानपत करमें, ऐसहा अरर्य हहै।
नवशशष्टिननिग्रहवकृनत्तिमत्रहाह
कले शशरतः पगुत्रहातः ? बह्मणशसव शत्तिमले दशशतलोत्तिरले मतहानरहाद्विहा नत्रव शद्दिशशतले
दलेववत्सरसवजकले कल्पले चतगुदर्यशले मननरले लकश्रीनिहारहारणरलोपर्यञ्चभक्तहा
बभसूवगुतः। तले दलेवसखतः ककीनतर्यशश्चकश्रीततः कदर्यमलो जहातवलेदश्च सहलोदरहातः
सहाशतकहाश्चहासनिम्। तलेषगु कदर्यमतः प्रजहापनतबर्यभसूव जहातवलेदलोऽनग्निदर्वेवतहा
दलेवसखसगु मरदणसवजकसरहा ककीनतर्यनवर्यश्वस बकृवहणतहाशधपनतशश्चकश्रीतलो
नदवहानिक्तहानिहामशधपनतभसूर्यतहा शश्रीहरलेरनतःपगुररक्षकलो बभसूव। कल्पहानरले कदर्यमतः
शश्रीदशश्चकश्रीत आनिनसवजकहातः पगुत्रहा वहामनितः कगुट्टकलो जनटलतः कगुनटलनिहामहा
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 94
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्री कले पगुत्र कसौनि हहैं ? बह्महा कले १०३०वमें अरवहा मतहानर
सले ३००००वमें दलेववत्सर निहामक कल्प कले चसौदहवमें मननर ममें शश्रीलकश्रीनिहारहारण
कले पहावच भक्त हुए। दलेवसख, ककीनतर्य, शचकश्रीत, कदर्यम एवव जहातवलेद। रले पहावचलोव
सहलोदर एवव सहाशतक रले। उनिममें कदर्यम प्रजहापनत बनिले, जहातदलेव अनग्नि कले दलेवतहा
बनिले, दलेवसख मरदण कहलहारले, नवश्व कले नवसहार कले सहामश्री ककीनतर्य बनिले एवव
शचकश्रीत नदनि तरहा रहानत्र कले सहामश्री हलोकर शश्रीहरर कले अनतःपगुर कले द्विहारपहाल बनिले।
नकसश्री अन्य कल्प ममें कदर्यम, शश्रीद, शचकश्रीत, और आनिनसवजक पगुत्र भश्री हुए
शजनमें वहामनि, कगुट्टक, जनटल और कगुनटल निहामलोव सले प्रशसनर नमलश्री। शश्री कले रले
चहार पगुत्र शश्रीहश्रीनि कले पहास निहश्रीव रहतले हहैं। वहहाव पर कदर्यम प्रजहापनत हुए, शश्रीद
रक्षलेश्वर (कगुबलेर) हुए, शचकश्रीत वहैकगुण कले अनतःपगुर कले द्विहारपहाल बनिले और
आनिन वहासगुदलेववसूह कले बल बनिले।
अभहावमत्रहाह
शसररलोनगन्यहा पशद्मिनिश्रीदलेवहा ननिग्रहहार मन्त्रसहास नदववकृनत्तिनिर्य प्रकहाशशतहा।
नि कलेवलव ननिग्रहहारहानपशतन्द्रिहानदभलोऽनप पगुरहा शशरहा निलोक्तहा।
ननिग्रहलो निहैव जहानिहानत नि जहानिनन सगुरलेश्वरहातः।
ऋषरलोऽनप नि जहानिनन शलेषहाणहाव कहा करहा भवलेतम् ?
नदववकृत्तिलेरभहावहातसूटवकृत्तिलेरभहावससहादप्रकहाशशतहा।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 95
कहहा गरहा हहै। इसले ननिग्रहहाचहारर्य निहश्रीव जहानितले हहैं, बड़ले बड़ले दलेवतहा निहश्रीव जहानितले हहैं,
ऋनषगण भश्री निहश्रीव जहानितले हहैं, नफर शलेषजनिलोव ककी कहा बहात करमें ! नदववकृनत्ति कले
अभहाव ममें कसूटवकृनत्ति कहा भश्री अभहाव हहै, इसश्रीशलए उसकहा भश्री वणर्यनि निहश्रीव नकरहा
गरहा हहै।
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहासहाजस ऋनषतः, महहालकश्रीदर्वेवतहा, हहानमनत बश्रीजमम्, शसूलधहाररणश्री
शनक्ततः, पश्रीतहाम्बरहा महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, तगजहानिलेशन्द्रिरमम्, गगुदव कमर्वेशन्द्रिरमम्,
गम्भश्रीरसरतः, भसूततमम्, प्रवकृनत्तितः कलहा, लश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्, मत्स्यमगुद्रहा
भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले हृनद,
बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ, नवद्यहान्यहासतः
षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस, कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः
कमर्वेशन्द्रिरलेष,गु सरन्यहासतः कणमसूलले, ततन्यहासश्चतगुरहारले मसूलहाधहारले,
कलहान्यहासतः करतलले, उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु सवहार्यङले
भवत्यस मन्त्रस गहाम्भश्रीरर्यरसलो भवनत।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 96
न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा
कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास
सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस गहाम्भश्रीरर्य हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस द्विहादशश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
भकहारश्चहानले वनहरगुतलो दकहारतः। एवव भद्रलो ननिगद्यतले। शङहारलेण भद्रतः।
आनिशनतहापहाङरगुतरहा शशरहाललोनकतलो भद्रतः। ससूरहार्यर भहाव ददहानत, सतहाव
भक्तहानिहाव भवव भहावव वहा द्रहावरत इनत भद्रतः। दलोषहैनिहार्यप्लगुतलो भद्रतः।
अवतहारकहाललेऽनप सभहावव नि त्यजनिम् हलेरसम्बन्धिव निहापलोतश्रीनत भद्रतः। उग्रलोऽनप
सनिम् वश्रीरलोऽनप सनिम् ज्वलन्ननप भश्रीषणलोऽनप सनिम् कलहाणव करलोनत तसहाद्भद्रतः।
असहाशधषहातहारतः कनपलहादरलो त्ररलोऽवतहारहातः।
कनपललो दत्तिहात्रलेरसरहा शहानहात्महा।
॥अर नपङलहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
दरहाद्रर्यशचत्तिहाव पगुष्करलेण नदवगजलेन्द्रिशगुणहाग्रलेण समशनतहामरवहा पगुष्करश्रीव
शसन्धिगुतनिरहाव समलोषणरतहामनग्निप्रभहाव पङ्कजहाभरणहाव चन्द्रिसनन्नभहाव सगुवणहार्यधक्षहाव
(धहातरर्वे शबहारर्वे वहा) लकश्रीव वलेदजहाननिनिहा नवषगुनिहा सह सनन्नधहापर।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शजसकहा हृदर दरहा सले द्रनवत हहै, जलो पगुष्कर अरहार्यतम् नदव
गजलेन्द्रिलोव ककी ससूवढ़ कले अग्रभहाग सले रगुक्त हहै अरवहा समगुद्र ककी पगुत्रश्री, अनग्नि कले समहानि
प्रकहाश वहालश्री, कमल कले आभसूषण धहारण करनिले वहालश्री, चन्द्रिमहा कले समहानि प्रभहा
वहालश्री, सलोनिहा अरवहा सगुनर शबलोव ककी सहानमनिश्री उस लकश्री कलो वलेदजहानि सले रगुक्त
नवषगु कले सहार स्थिहानपत करलो।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव पगुष्कररणश्री ? रूपलेण रशसहा शशरहा च पलोषरनत, कहालपद्मिस
पगुष्करमगुन्नरनत पगुष्कररणश्रीनत नदवनषर्यमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा
निमलो रलोजनरतहा पगुनष्टिफलदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
निमतः) पलोषण कले फल कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले पगुनष्टि हहै ? नदववकृनत्ति कले वणर्यनि ममें पगुनष्टि
ननित्यपगुष्टिहा कले समहानि हहै, उसकले स्थिहानि पर तगुनष्टि कलो कहहा जहातहा हहै। नकस प्रकहार
सले तगुनष्टि हहै ? अपनिले गगुणलोव सले नवषगु कलो सनगुष्टि करतश्री हहै, उनिकले गगुणलोव सले सरव हश्री
तगुष्टि हलोतश्री हहै, भक्त कले कमर्थों सले सनगुष्टि हलोकर शलेष सभश्री (दलेवतहा-नपतकृ आनद) कलो
सनगुष्टि करतश्री हहै, इसश्रीशलए तगुनष्टि हहै, ऐसहा नदव रलोगमत हहै। इस मत कले
अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर,
निमतः बलोलकर छतः अक्षरलोव वहालले मन्त्र (ॐ तगुष्टिरले निमतः) एवव मनि ककी सनगुनष्टि दलेनिले
वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले नपङलहा हहै ? तपहारले हुए सलोनिले कले समहानि
वणर्य वहालश्री हलोनिले सले नपङलहा हहै। नपङ निहामक रक्षलेश्वर कलो महहानिम् समकृनर दलेतश्री हहै,
इसश्रीशलए नपङलहा हहै। रक्षलोव कले द्विहारहा नपङलहा निहाम सले हश्री पगुकहारश्री जहातश्री हहै ,
इसश्रीशलए नपङलहा हहै, ऐसहा नदव रक्षमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 99
(ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ
नपङलहारहै निमतः) रलोग कले तलेज कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
कसूटवकृनत्तिमत्रहाह
ककीदृशतः पगुष्कररण्यहानदकसूटहानिगुसहारव शश्रीनवग्रहतः ? नदववकृनत्तिवणर्यनिले
पउषकरइणईतटङगलआकसूटवणहार्यनिहामहाचहारलेण पगुष्कररण्यहादरलो वशणर्यतहासलेषगु
ङकसूटव नवहहार सवर्वे कसूटहारहार्यतः पसूवर्यप्रसङलेषगु ननिरूनपतहातः। भहैरवश्री, शशशगुनप्ररहा,
कहाननधर्थीरहा, ज्वहाशलनिश्री, मन्त्रशनक्तनवर्यघलेशश्री, महहानिनहा, कहामलेशश्रीनत
ङकसूटहारर्यतः।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी तलेरहवश्रीव ऋचहा कले ऋनष मलेधहा हहैं। सवर्य-
ससौभहाग्यदहानरनिश्री दलेवतहा हहैं तरहा द्रहाव बश्रीज हहै। भश्रीमहा शनक्त हहै, इसककी महहानवद्यहा
ज्यलेषहा एवव इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। निहाशसकहा इसककी जहानिलेशन्द्रिर तरहा हहार इसकले
कमर्वेशन्द्रिर हहैं। इसकहा सर दश्रीनि एवव तत वहारगु हहै। इसककी कलहा कहा निहाम
परहाशहानन हहै तरहा ऐव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी धलेनिगुमगुद्रहा हलोतश्री हहै।
ऋनषरलोव कहा न्यहास शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास
हृदर कले द्विहादशहार अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें
एवव शनक्त कहा न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा
न्यहास कवठ कले षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा
न्यहास शचत्ति ममें हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा
न्यहास कवठ कले मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा
कहा न्यहास हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास
सभश्री अवगलोव ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस गहाम्भश्रीरर्य हहै।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस त्ररलोदशश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
रद्ररगुतलो मकहारश्चहानले पसूतनिहाशङ्कररगुतलो रकहारतः। एवव मकृत्यगुननिर्यगद्यतले।
अनिरलोवकृर्यनत्तिमग्रले चतगुदर्यश्यहामकृशच वहाखहासहामतः।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 101
॥इनत नपङलहाशधकहारतः॥
॥अर सगुवणहार्यशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
र इनत रशतः। दरहाद्रर्यशचत्तिहाव रशसरश्रीव भक्तहैतः सगुपसूशजतहाव सगुरूपहाव
सणर्यमहालहानदशभरलङ्ककृतहामम् ससूरर्यप्रभहाव शत्रगुघश्रीव लकश्रीव वलेदजहाननिनिहा नवषगुनिहा
सह सनन्नधहापर।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - र कहा अरर्य रश हहै। दरहा सले द्रनवत शचत्ति वहालश्री, रश कलो
प्रदहानि करनिले वहालश्री, भक्तलोव कले द्विहारहा अचच प्रकहार सले पसूशजत, सगुनर रूप वहालश्री,
सगुवणर्य ककी महालहा आनद सले नवभसूनषत, ससूरर्य कले समहानि प्रकहाश वहालश्री, शत्रगुओव कहा
निहाश करनिले वहालश्री लकश्री कलो वलेदजहानि सले रगुक्त नवषगु कले सहार स्थिहानपत करलो।
नदववकृनत्तिमत्रहाह
करव रनष्टितः ? दलेवहैररष्टिहा नवषगुसङतहा भवतश्रीष्टिदहात्रश्री च जश्रीवहानिहामवलम्बनिव
भवनत, प्रककृतलेजर्थीवस पगुरषस चहाशरहा भवनत तसहाद्यनष्टिररनत
नदवमहनषर्यमतमनिलेनि वतगुर्यलमगुकहा चतगुरर्यननिहामहा निमलो रलोजनरतहा षडक्षरलेण
रलोगफलदहात्रश्रीव रलोनगनिलो जपनन।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले रनष्टि हहै ? दलेवतहाओव कले द्विहारहा पसूशजत हलोतश्री
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 102
हहै, नवषगु कले सहार रहतश्री हहै, अभश्रीष्टि वसगुओव कलो दलेतश्री हहै और प्रहाशणरलोव कहा
अवलम्बनि बनितश्री हहै। प्रककृनत, जश्रीव और पगुरष कहा आशर बनितश्री हहै, इसश्रीशलए
रनष्टि हहै, ऐसहा नदव महनषर्यमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल (ॐ)
बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर छतः अक्षरलोव वहालले
मन्त्र (ॐ रष्टिरले निमतः) एवव रलोग कले फल कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि
जपतले हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले हलेममहाशलनिश्री हहै ? ग्रह-निक्षत्रलोव सले नघरले हुए
सणर्यमर शशखर सले रगुक्त नदव मलेर पवर्यत कलो बह्महा ककी सकृनष्टिमरहार्यदहा ककी शसनर कले
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 103
शलए धहैरर्य ककी प्रतश्रीक पकृथश्री बनिकर धहारण करतश्री हुई, बह्महा कले द्विहारहा सगुत हलोतश्री
हहै, इसश्रीशलए हलेममहाशलनिश्री हहै, ऐसहा नदव बहाह्ममत हहै। इस मत कले अनिगुसहार
पहलले वतगुर्यल (ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः
बलोलकर (ॐ हलेममहाशलन्यहै निमतः) धहैरर्य कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले
हहैं।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - नकस प्रकहार सले ससूरहार्य हहै ? जश्रीवलोव कले नहत ककी इचहा सले
पच्चश्रीस ततलोव कलो जन दलेतश्री हहै, उनिकले कमर्य कले अनिगुसहार उनमें भलोग रहा मलोक्ष ममें
रमण करहातश्री हहै, पहलले उत्पन्न नकरले हुए ततलोव कलो अपनिश्री कहालशनक्त सले
ननिरशन्त्रत करतश्री हहै एवव अकर्यमणल ममें ससूरर्यरूनपणश्री हलोकर नवद्विहानिलोव कहा नहत करतश्री
हहै, इसश्रीशलए ससूरहार्य हहै, ऐसहा नदव ससूररमत हहै। इस मत कले अनिगुसहार पहलले वतगुर्यल
(ॐ) बलोलकर नफर निहाम कले अन ममें चतगुरर्थी लगहाकर, निमतः बलोलकर (ॐ
ससूरहार्यरहै निमतः) भलोग एवव मलोक्ष कलो दलेनिले वहालश्री शश्रीदलेवश्री कलो रलोगश्रीजनि जपतले हहैं।
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास वलेदवहास ऋनषतः, सवहार्यहहानदनिश्री दलेवतहा, रूनमनत बश्रीजमम्, वहारणश्री
शनक्ततः, तहारहा महहानवद्यहा, सतगगुणतः, शलोत्रले जहानिलेशन्द्रिरले, पहादसौ कमर्वेशन्द्रिरले,
मधमतः सरतः, वहारगुसतमम्, नवद्यहा कलहा, क्रकीनमत्यगुतकीलनिमम्, आकनषर्यणश्री
मगुद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले हृनद,
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 104
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस चतगुदर्यशश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ रद्ररगुतलो
मकहारश्चहानले पसूतनिहाशङ्कररगुतलो रकहारतः। एवव मकृत्यगुननिर्यगद्यतले। अनिरलोवकृर्यनत्तितः
पसूवर्यचर्थो निकृशसवहवणहार्यभहाव 'मकृत्यगु' इनत सहहैवलोच्यतले। भश्रीषणहाश्चरर्यरगुतलो
मकृत्यगुमकृत्यगुतः। मनतभ्रवशकतलेनिहाजहानिमनप मकृत्यगुतः। महारणनक्रररहा प्रहाणहापहहारकलो
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 105
॥इनत सगुवणहार्यशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 106
॥अर पगुरषहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
अत्र नद्वितश्रीरहारहा ऋचलो भहावपलोषणमनस।
(रहहाव पर दसूसरश्री ऋचहा कले हश्री भहाव कलो पगुनितः पगुष्टि नकरहा गरहा हहै।)
अभहावमत्रहाह
शसररलोनगन्यहा पशद्मिनिश्रीदलेवहा ननिग्रहहार मन्त्रसहास नदववकृनत्तिनिर्य प्रकहाशशतहा।
नि कलेवलव ननिग्रहहारहानपशतन्द्रिहानदभलोऽनप पगुरहा शशरहा निलोक्तहा।
ननिग्रहलो निहैव जहानिहानत नि जहानिनन सगुरलेश्वरहातः।
ऋषरलोऽनप नि जहानिनन शलेषहाणहाव कहा करहा भवलेतम् ?
नदववकृत्तिलेरभहावहातसूटवकृत्तिलेरभहावससहादप्रकहाशशतहा।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 107
ततवकृनत्तिमत्रहाह
मन्त्रसहास बह्मनषर्यतः, सवर्यशनक्तदर्वेवतहा, जहानमनत बश्रीजमम्, धनिदहा शनक्ततः,
महातङच महहानवद्यहा, रजलोगगुणतः, तगजहानिलेशन्द्रिरमम्, पहादसौ कमर्वेशन्द्रिरले, मकृदस
गु रतः,
आकहाशततमम्, परहाशहाननतः कलहा, शश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्, समगुटमगुद्रहा भवनत।
ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले
सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ, नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले,
गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस, कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेषगु,
सरन्यहासतः कणमसूल,ले ततन्यहासश्चतगुरहारले मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले,
उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु सवहार्यङले भवत्यस मन्त्रस
सवनिरसलो भवनत।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - शश्रीससूक्त ककी पन्द्रिहवश्रीव ऋचहा कले ऋनष बह्महा हहैं। सवर्यशनक्त
दलेवतहा हहैं तरहा जहाव बश्रीज हहै। धनिदहा शनक्त हहै, इसककी महहानवद्यहा महातङच एवव
इसकहा गगुण रजलोगगुण हहै। तचहा इसककी जहानिलेशन्द्रिर तरहा कहानि इसकले कमर्वेशन्द्रिर हहैं।
इसकहा सर मकृद गु एवव तत आकहाश हहै। इसककी कलहा कहा निहाम परहाशहानन हहै तरहा
शश्रीव बश्रीज सले उतकीलनि हलोतहा हहै। इसककी समगुटमगुद्रहा हलोतश्री हहै। ऋनषरलोव कहा न्यहास
शश्रीषर्यभहाग कले सहसहार चक्र ममें हलोतहा हहै। दलेवतहा कहा न्यहास हृदर कले द्विहादशहार
अनिहाहत चक्र ममें हलोतहा हहै। बश्रीज कहा न्यहास षडहार सहाशधषहानि ममें एवव शनक्त कहा
न्यहास निहाशभ कले दशहार मशणपगुर चक्र ममें हलोतहा हहै। महहानवद्यहा कहा न्यहास कवठ कले
षलोडशहार नवशगुनर ममें, गगुण कहा न्यहास मनि ममें तरहा जहानिलेशन्द्रिर कहा न्यहास शचत्ति ममें
हलोतहा हहै। कमर्वेशन्द्रिर कहा न्यहास कमर्वेशन्द्रिरलोव ममें हलोतहा हहै। सर कहा न्यहास कवठ कले
मसूल ममें तरहा तत कहा न्यहास चतगुरहार मसूलहाधहार ममें हलोतहा हहै। कलहा कहा न्यहास
हरलेलश्री ममें तरहा पहैरलोव ममें उतकीलनि कहा न्यहास हलोतहा हहै। मगुद्रहा कहा न्यहास सभश्री अवगलोव
ममें हलोतहा हहै। इस मन्त्र कहा रस सवनि हहै।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 108
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस पञ्चदशश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
निकहारश्चहानले दश्रीघर्यमकहारतः। एवव 'निमहा' ननिगद्यतले। अनिरलोवकृर्यनत्तिमग्रले
षलोडश्यहामकृशच वहाखहासहामतः।
॥इनत पगुरषहाशधकहारतः॥
*-*-*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 109
॥अर शश्रीकहामहाशधकहारतः॥
शङ्करभहाष्यमम्
ललोकवकृनत्तिमत्रहाह
ससूक्तसहात्र फलशगुनततः। नत्रनवधहाव पनवत्रतहामहाशशत्यहैकहाग्रमनिसहा
ससूक्तमन्त्रहैनबर्यलफलहैतः पङ्कजबश्रीजहैवहार्य पहारसलेनि हलोमव ककृतहाभश्रीष्टिसमकृनरमशगुतले।
शश्रीप्रसहाद-भहाषहानिगुवहाद - रहहाव ससूक्त ककी फलशगुनत बतहारश्री गरश्री हहै। तश्रीनिलोव प्रकहार
ककी (कहानरक, वहाशचक, महानिशसक) पनवत्रतहा कहा आशर ललेकर एकहाग्रशचत्ति
हलोकर ससूक्त कले मन्त्रलोव सले बलेल कले फल कमल कले बश्रीजलोव अरवहा खश्रीर सले आहुनत
दलेकर वनक्त अभश्रीष्टि समन्नतहा कहा उपभलोग करतहा हहै।
अभहावमत्रहाह
फलशगुनतवहाचकतलेनि मन्त्रसहास नदववकृनत्तिनिर्य भवनत।
नदववकृत्तिलेरभहावहातसूटवकृत्तिलेरभहावससहादप्रकहाशशतहा।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 110
कमर्वेशन्द्रिरले, मकृदस
गु रतः, जलततमम्, शहाननतः कलहा, हश्रीनमत्यगुतकीलनिमम्,
समगुटमगुद्रहा भवनत। ऋषलेन्यहार्यसस्सहसहारले शशरशस, दलेवतहान्यहासलो द्विहादशहारले
हृनद, बश्रीजन्यहासतः षडहारले सहाशधषहानिले, शनक्तन्यहासलो दशहारले निहाभसौ,
नवद्यहान्यहासतः षलोडशहारले कणले, गगुणन्यहासलो मनिशस, जहानिलेशन्द्रिरन्यहासश्चलेतशस,
कमर्वेशन्द्रिरन्यहासतः कमर्वेशन्द्रिरलेषगु, सरन्यहासतः कणमसूल,ले ततन्यहासश्चतगुरहारले
मसूलहाधहारले, कलहान्यहासतः करतलले, उतकीलनिन्यहासतः पहादरलोमगुर्यद्रहान्यहाससगु
सवहार्यङले भवत्यस मन्त्रस सवनिरसलो भवनत।
निकृशसवहवकृनत्तिमत्रहाह
शश्रीससूक्तस षलोडशश्रीमकृचव द्विसौ निकृशसवहवणर्णौ समगुटश्रीककृत्य रक्षततः। आदसौ
कलेशशतलो वहारगुश्चहानले वलोमबश्रीजश्च। एवव 'म्यहमम्' इनत ननिगद्यतले।
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 111
॥अर सवहहारहाशधकहारतः॥
ननिग्रह उवहाच
निकृशसवहवकृनत्तिमधहानिहाव वणहार्यनिहामसरलोजनिमम्।
पदहानिहाव प्रहानतललोम्यलेनि वहैकगुणहासमगुदश्रीररतमम् ॥०१॥
निहारहारणहासव वणहार्यनिहाव प्रनतललोमपगुरस्सरमम्।
वश्रीरहश्रीनिलो ज्वलरश्रीनिलो महहानवषलोनवर्यललोपकतः ॥०२॥
सवर्यतलोमगुखननिमगुर्यक्ततः प्रखहाततः कहालपहावकतः।
चहानिगुललोम्यप्ररलोगलेण तरहा शहाननभर्यवलेन्नकृणहामम् ॥०३॥
ननिग्रहहाचहारर्य निले कहहा - निकृशसवहवकृनत्ति ममें आरले वणर्थों कहा असहात्मक प्ररलोग कहतहा हयाँ।
उनिकले पद कलो नवपरश्रीत कर दलेनिले कलो वहैकगुणहास कहतले हहैं। वणर्थों कले नवपरश्रीत क्रम
सले निहारहारणहास बनितहा हहै। वश्रीर, ज्वलन, महहानवषगु एवव सवर्यतलोमगुख सले हश्रीनि
(प्रनतललोम) मन्त्र कलो कहालपहावकहास कहहा गरहा हहै। इनमें अनिगुललोम कर दलेनिले सले
ललोगलोव कलो इनि असलोव ककी शहानन हलो जहातश्री हहै।
शश्रीससूक्त कहा महाहहात्म्य और अरर्य इतनिहा हश्री हहै, ऐसहा निहश्रीव समझनिहा चहानहए। महैं
शजतनिहा जहानितहा हयाँ, तगुमललोगलोव कले शलरले उतनिहा हश्री मलेरले द्विहारहा प्ररतपसूवर्यक कहहा गरहा
हहै। जहैसले आकहाश ममें ग्रह-निक्षत्र तरहा समगुद्र ममें जलचरलोव ककी गणनिहा करनिहा सम्भव
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य
शश्रीससूक्तमम् 113
निहश्रीव हहै, वहैसले हश्री गङहा ममें नस्थित बहालगुकहा कले समहानि ससूक्त कले अरर्य ककी गणनिहा
सम्भव निहश्रीव हहै।
लकश्रीवर्वेदनवदहानमष्टिहा शश्रीरलेवहागमपसूशजतहा।
शशरसलोषले जगत्तिलोषलो रलोषले वहा नवश्वकलोपनिमम् ॥०६॥
ससूक्तहारर्थो रलो मरहा लब्धतः पशद्मिनिश्रीजपतलेजसहा।
स सवर्यसगु मरहा प्रलोक्तलो निहानिहावकृनत्तिसमहारगुततः॥०७॥
लकश्री हश्री वलेदवलेत्तिहाओव ककी इष्टिहा हहैं, शश्रीदलेवश्री हश्री तन्त्रमत कले द्विहारहा पसूशजत हलोतश्री हहैं।
उसकले सनगुष्टि हलोनिले पर सवसहार तगुष्टि हलो जहातहा हहै और उसकले क्रगुर हलोनिले पर नवश्व
भश्री क्रगुर हलो जहातहा हहै। पशद्मिनिश्री दलेवश्री कले मन्त्रजप कले तलेज सले मलेरले द्विहारहा जलो ससूक्त कहा
अरर्य प्रहाप्त नकरहा गरहा हहै, वह ऐसहा और इतनिहा हश्री हहै, जलो अनिलेकलोव वकृनत्तिरलोव सले
सवरगुक्त हहै।
॥इनत सवहहारहाशधकहारतः॥
*-*-*
*_*_*
शश्रीननिग्रहहाचहारर्यककृत-शङ्करभहाष्य