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वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

के द्वारा छनित:

महिलाएँ

सुरक्षित प्रसव ऐप की नई कड़ी, NeMa स्मार्टबॉट के परीक्षण में भाग लेतीं दाईयाँ.
© Maternity Foundation

भारत: जच्चा-बच्चा के लिए सोने पे सुहागा वाला ऐप

भारत में शिशुओं को सुरक्षित तरीक़े से जन्म दिलाने और जच्चा का स्वास्थ्य भी सुनिश्चित करने के लिए डिलीवरी ऐप शुरू किया गया है जिसने दाइयों का काम भी निपुण व सुरक्षित बना दिया है. संयुक्त राष्ट्र प्रजनन एजेंसी - UNFPA के समर्थन से तैयार किए गए इस ऐप में वीडियो सामग्री के ज़रिए, जच्चा-बच्चा देखभाल सम्बन्धी समस्त जानकारी उपलब्ध है. सोने पे सुहागा ये कि यह ऐप दूरदराज़ के कम सम्पर्क वाले क्षेत्रों में भी, ऑफ़लाइन तरीक़े से उपयोग किया जा सकता है, यानि बिना इंटरनैट के भी.

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान प्रशासन के दौरान, सार्वजनिक जीवन से महिलाओं की मौजदूगी को मिटाने की कोशिशें हुई हैं.
© WFP/Rana Deraz

अफ़ग़ानिस्तान: यूएन तालेबान के साथ सम्पर्क क़ायम रखेगा

संयुक्त राष्ट्र अफ़ग़ानिस्तान में सभी पक्षों के साथ सम्पर्क व संवाद क़ायम रखेगा जिसमें मानवाधिकारों और समता की हिमायत की जाएगी. इस बीच ऐसी ख़बरें हैं कि तालेबान ने सख़्त नैतिकता क़ानून की, यूएन अधिकारियों द्वारा की गई आलोचना को रद्द कर दिया है.

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान की वापसी के बाद महिला अधिकारों पर अंकुश लगाए गए हैं.
OHCHR/UNAMA

अफ़ग़ानिस्तान: महिलाओं को 'अशक्त, अदृश्य' बनाने वाला क़ानून वापिस लेने की मांग

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने गहरी चिन्ता जताई है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्तारूढ़ तालेबान प्रशासन द्वारा ऐसे क़ानून अपनाए जा रहे हैं, जिनसे महिलाओं की आवाज़ को दबाया और सार्वजनिक जीवन में उनकी उपस्थिति मिटाई जा रही है. उन्होंने ऐसे सभी दमनकारी क़ानूनों व नीतियों को तत्काल वापिस लिए जाने का आग्रह किया है.

अफ़ग़ान दाई मरीज़ा अहमदी ने बामियान प्रान्त में एक दूरदराज़ के परिवार स्वास्थ्य केन्द्र में, सुग़रा के बच्चे फ़रहाद को जन्म दिलाने में मदद की.
© UNFPA Afghanistan

बहादुर दाई, जो तालेबान के सत्ता अधिग्रहण के बाद भी, काम पर डटी रहीं

संयुयक्त राष्ट्र की प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी - UNFPA अफ़ग़ानिस्तान में, 2021 से ही 70 पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सहायता प्रदान कर रही है. यह एक ऐसा आँकड़ा है जो अत्यन्त चुनौतीपूर्ण माहौल के बावजूद, छह गुना से भी ज़्यादा बढ़कर, 477 पर पहुँच गया है. 2021 के बाद सेइन क्लीनिकों ने 50 लाख से अधिक अफ़ग़ान लोगों को, ख़ासतौर पर दूरदराज़ व दुर्गम क्षेत्रों में, महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ कराई गई हैं. ऐसे ही एक क्लीनिक में काम करने वाली एक दाई की कहानी, जिसने अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में भी अपना काम नहीं रोका.

बनाना फ़ाइबर परियोजना के तहत महिलाओं को केले के रेशों से टिकाऊ हस्तशिल्प उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
UNWOMEN India

भारत: महाराष्ट्र में केले के रेशों से नया भविष्य बुनतीं महिलाएँ

भारत में महाराष्ट्र प्रदेश के नन्दूरबार और जलगाँव ज़िलों में केले के टिकाऊ हरे रेशों से सुन्दर हस्तशिल्प बनाए जा रहे हैं, जिससे सतत कौशल निर्माण के ज़रिए, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है. यह सम्भव हो सका है सैकंड चांस शिक्षा कार्यक्रम के तहत, बनाना फ़ाइबर क्राफ़्ट आजीविका परियोजना के ज़रिए.

शिवानी (दाएँ), गर्भनिरोधक और बच्चों में अन्तर रखने के विकल्पों पर ‘नारी सम्वाद’ चर्चा का नेतृत्व कर रही हैं. इसमें वो महिलाओं को शाम की चौपाल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित भी करती हैं.
© UNFPA

बिहार: रात्रि चौपाल, एक स्वस्थ भविष्य का मार्ग खोलती सांध्य बेला

भारत के बिहार प्रदेश में युवजन को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूक बनाने और लिंग आधारित हिंसा का सामना करने में रात्रि चौपाल, एक नया और रचनात्मक मंच बनकर उभरी हैं. भारत में संयुक्त राष्ट्र की यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA), बिहार सरकार के साथ मिलकर, उत्कृष्ट परिवार नियोजन एवं मातृत्व स्वास्थ्य अभियान (UPAMA) परियोजना के तहत, इन रात्रि चौपालों का आयोजन कर रही है.  

महिलाओं द्वारा संचालित एक रेडियो स्टेशन, अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा एवं अधिकारों के बारे में जागरूकता ला रहा है.
© UN Women/Sayed Habib Bidell

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान शासन ने, 20 वर्षों की स्थिर शैक्षणिक प्रगति को कर दिया ख़त्म

अफ़ग़ानिस्तान दुनिया भर में एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ महिलाओं व लड़कियों को माध्यमिक व उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर प्रतिबन्ध है. तालेबान शासन के तीन वर्षों ने, पिछले 20 वर्षों में हासिल की गई शिक्षा प्रगति को लगभग ख़त्म कर दिया है.

तालेबान के तीन वर्ष के शासन के दौरान, सार्वजनिक जीवन में, महिलाओं की मौजूदगी को लगभग पूरी तरह ग़ायब कर दिया गया है.
© UN Women/Sayed Habib Bidell

तालेबान शासन ने सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की मौजूदगी कर दी है ग़ायब

अफ़ग़ानिस्तान में पिछले तीन वर्षों के तालेबान शासन के दौरान, सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की मौजूदगी भयानक रूप में ग़ायब हुई है और ये स्थिति समुदायों व परिवारों के स्तरों पर भी स्पष्ट नज़र आती है.

सूडान के ख़ारतूम में एक अस्पताल में एक लड़की का इलाज. देश में हज़ारों लड़कियों और महिलाओं को युद्ध के दौरान यौन हिंसा का निशाना बनाया गया है.
© UNICEF/Mohammed Elibrahimi Isamaldeen

सूडान में अनगिनत लोग यौन हिंसा और अकाल की विभीषिका से त्रस्त

सूडान में लगभग 16 महीने के युद्ध ने मानवीय संकट को लगातार गहरा किया है जिसमें अनगिनत महिलाओं और लड़कियों को यौन हिंसा और बलात्कार का निशाना बनाया गया है और लाखों बच्चे भरपेट भोजन नहीं मिलने के कारण मौत के जोखिम का साना कर रहे हैं.

पेरिस ओलिम्पिक खेलों में, शरणार्थियों की टीम में 37 खिलाड़ी शामिल हैं, जिनमें कुछ अफ़ग़ान महिला खिलाड़ी भी हैं.
© IOC/Greg Martin

'खेलकूद संस्थाओं को महिलाओं व लड़कियों पर तालेबान की पाबन्दी का मुक़ाबला करना होगा'

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की तरफ़ से महिलाओं और लड़कियों के तमाम तरह के खेलकूद की गतिविधियों में भाग लेने पर लगी पाबन्दी को हटाने के लिए, निर्णायक कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई गई है.