साइबर जगत में उभरते जोखिमों के मद्देनज़र, नए डिजिटल रक्षा उपायों का आहवान
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि साइबर जगत एक ऐसी दोधारी तलवार है, जिसमें अपार लाभ की सम्भावनाओं के साथ-साथ ग़लत इस्तेमाल के कारण उपजने वाले जोखिम भी निहित हैं.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में साइबर जगत में उभरते ख़तरों पर एक उच्चस्तरीय चर्चा को सम्बोधित किया.
जून महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल रहे कोरिया गणराज्य ने यह बैठक बुलाई थी, जिसमें महासचिव ने बदलाव लाने के लिए डिजिटल टैक्नॉलॉजी की रूपान्तरकारी शक्ति को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा कि “डिजिटल टैक्नॉलॉजी में असाधारण प्रगति बेहद तेज़ गति से हो रही है. डिजिटल विकास से अर्थव्यवस्थाओं व समाजों में क्रान्तिकारी बदलाव आ रहे हैं.”
“वे लोगों को एक साथ जोड़ती हैं, आम नागरिकों की सरकारी सेवाओं व संस्थाओं तक पहुँच सुनिश्चित करती हैं, और अर्थव्यवस्थाओं, व्यापार व वित्तीय समावेश को स्फूर्ति प्रदान करती हैं.”
मगर, यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि बेरोकटोक और त्वरित कनेक्टिविटी के अनेक लाभ हैं, लेकिन उनसे व्यक्तियों, संस्थाओं व देशों के लिए चुनौतियाँ भी उपज सकती हैं.
“डिजिटल टैक्नॉलॉजी को हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के जोखिम हर साल बढ़ते जा रहे हैं. साइबर जगत में राजसत्ता, ग़ैर-सरकारी तत्वों व अपराधियों की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों में उछाल आ रहा है.”
इस पृष्ठभूमि में साइबर सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल, बैंकिंग, व दूरसंचार समेत अन्य अति-आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं में सेंध लगाए जाने के मामले बढ़ रहे हैं. साथ ही, आपराधिक गुट और साइबर जगत में भाड़े पर लिए गए गुट व व्यक्तियों द्वारा अवैध गतिविधियों को अंजाम दिए जाने की घटनाएँ बढ़ रही हैं.
महासचिव ने कहा कि इन सभी चुनौतियों के अलावा, साइबर माध्यमों में नफ़रत के सौदागरों द्वारा भय और दरार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
नई सम्वेदनशीलताएँ
यूएन प्रमुख के अनुसार, शस्त्र प्रणारियों व डिजिटल औज़ारों के एकीकरण से नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं. इनमें स्वचालित प्रणालियाँ भी हैं.
डिजिटल टैक्नॉलॉजी का ग़लत इस्तेमाल, गोपनीय व परिष्कृत ढंग से किए जाने की घटनाएँ बढ़ रही हैं, और मैलवेयर (malware) सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल बढ़ रहा है. कृत्रिम बुद्धिमता (AI) के ज़रिये साइबर अभियान चलाए जाने की वजह से यह ख़तरा और बढ़ जाता है.
उनके अनुसार, रैंसमवेयर इसका एक गम्भीर उदाहरण है, जोकि सार्वजनिक व निजी संस्थाओं और अहम बुनियादी ढाँचे के लिए एक बड़ा ख़तरा है. इसके ज़रिये, लोगों के फ़ोन या उपकरणों से उनकी निजी सूचना में सेंध लगाई जाती है, और फ़िरौती ना दिए जाने तक उनकी डिवाइस को बन्द रखने की धमकी जाती है.
एक अनुमान के अनुसार, 2023 में रैंसमवेयर के ज़रिये 1.1 अरब डॉलर तक का भुगतान किया जा चुका है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि वित्तीय क़ीमत के अलावा, दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों से सार्वजनिक संस्थाओं में भरोसे, निर्वाचन प्रक्रिया और ऑनलाइन माध्यमों पर सत्यनिष्ठा को क्षति पहुँच रही है. इससे तनाव उभर रहे हैं और हिंसा व हिंसक टकराव के बीज बोए जा रहे हैं.
अविश्वसनीय अवसर
यूएन प्रमुख ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद, डिजिटल टैक्नॉलॉजी हमें एक न्यायसंगत, सतत, समान व शान्तिपूर्ण भविष्य को आकार देने का अविश्वसनीय अवसर प्रदान करती हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रगति की ओर बढ़ते समय, सार्वजनिक भलाई का ख़याल रखा जाए.
इस क्रम में, उन्होंने शान्ति के लिए नए एजेंडा का उल्लेख किया, जिसमें अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, मानवाधिकार, यूएन चार्टर के अनुरूप मज़बूत फ़्रेमवर्क बनाए जाने पर बल दिया गया है, ताकि साइबर जगत में बाहर या उसके ज़रिये होने वाले टकराव की रोकथाम की जा सके.
महासचिव के अनुसार, जिस तरह भौतिक जगत में क़ानून का राज है, वैसे ही डिजिटल माध्यमों पर क़ानून के राज को स्थापित किया जाना होगा.
भविष्य की शिखर बैठक
यूएन प्रमुख ने इस वर्ष सितम्बर महीने में आयोजित होने वाली भविष्य की शिखर बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आयोजन, साइबर जगत में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा प्रयासों को समर्थन देने का एक अहम अवसर है.
इस बैठक में, हानिकारक सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी और उनके इस्तेमाल से महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा का लक्ष्य है. साथ ही, एआई समेत डेटा के ज़रिये आगे संचालित होने वाली टैक्नॉलॉजी में जवाबदेही बढ़ाने पर बल दिया जाएगा.
महासचिव ने कहा कि वह सुरक्षा परिषद, यूएन महासभा और सभी सदस्य देशों के साथ कार्य करने के लिए उत्सुक हैं, ताकि टैक्नॉलॉजी को वहीं केन्द्रित किया जा सके, जहाँ उसकी ज़रूरत है: सर्वजन और पृथ्वी की बेहतरी व सुरक्षा के लिए.