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वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

भूराजनैतिक तनाव में उछाल के बीच, वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट

ज़िम्बाब्वे की राजधानी हरारे में एक फल विक्रेता.
© ILO/K.B. Mpofu
ज़िम्बाब्वे की राजधानी हरारे में एक फल विक्रेता.

भूराजनैतिक तनाव में उछाल के बीच, वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास (UNCTAD) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में पसरी सुस्ती और बढ़ते भूराजनैतिक तनावों के कारण विदेशी निवेश में मन्दी बरक़रार है. पर्याप्त धनराशि उपलब्ध ना होने की वजह से टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में चुनौतियाँ हैं, जिसके मद्देनज़र सतत वित्त पोषण सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया गया है.

गुरूवार को प्रकाशित ‘विश्व निवेश रिपोर्ट’ के अनुसार, वर्ष 2023 में वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में दो फ़ीसदी की कमी आई और यह घटकर 1,300 अरब डॉलर पर पहुँच गया.

रिपोर्ट बताती है कि इस गिरावट की मुख्य वजह बढ़ते भूराजनैतिक तनाव और हरित कार्रवाई के लिए लीपापोती (greenwashing) किया जाना है. इससे मंतव्य उन बाज़ारी तौर-तरीक़ों से है, जिनमें कम्पनियाँ अपने क़दमों को वास्तविकता से कहीं ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पर्यावरण अनुकूल पेश करती हैं. 

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बुनियादी ढाँचे के निर्माण और बिजली व नवीकरणीय ऊर्जा समेत अन्य सार्वजनिक सेवाओं के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) बेहद अहम है.

मगर, 2023 के दौरान वित्तीय हालात सख़्त होने के कारण एफ़डीआई समझौतों में 26 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.

इसके कारण, टिकाऊ विकास लक्ष्यों से जुड़े क्षेत्रों में होने वाले निवेश में 10 प्रतिशत की कमी आई है, जिनमें मुख्य रूप से कृषि-खाद्य प्रणालियाँ, जल व साफ़-सफ़ाई समेत अन्य सैक्टर हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के दौरान इन क्षेत्रों में अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण प्राप्त परियोजनाओं की संख्या 2015 के मुक़ाबले कम थी, जब सभी देशों ने 2030 तक इन लक्ष्यो को हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई थी.

विकासशील देशों पर असर

यूएन एजेंसी के आकलन के अनुसार, पिछले वर्ष विश्व भर में विकासशील देशों में एफ़डीआई प्रवाह, सात प्रतिशत गिरकर 867 अरब डॉलर तक पहुँच गया.

एशिया क्षेत्र में स्थित विकासशील देशों में यह आठ प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है, जबकि अफ़्रीका में तीन प्रतिशत और लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र के विकासशील देशों में एक फ़ीसदी की गिरावट नज़र आई.

वहीं, विकसित देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के वित्तीय लेनदेन से काफ़ी हद तक प्रभावित हुआ. इसकी एक वजह, इन कॉरपोरेशन को होने वाले मुनाफ़े पर एक वैश्विक न्यूनतम टैक्स दर को लागू किए जाने की कोशिशें थी.

इस पृष्ठभूमि में, योरोप व उत्तरी अमेरिका के अधिकाँश हिस्सों में एफ़डीआई प्रवाह में क्रमश: 14 फ़ीसदी और पाँच फ़ीसदी की गिरावट देखी गई.

एशिया की विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ, विश्व भर में 60 फ़ीसदी विशाल परियोजनाओं की मेज़बान हैं, और वहाँ कम्पनियों द्वारा नए सिरे से अपना कामकाज शुरू करने और देशों में अपनी मौजूदा उपस्थिति को विस्तार देने के इरादे से एफ़डीआई में वृद्धि हुई.

ऐसे निवेशों के कुल मूल्य में 44 प्रतिशत का उछाल देखा गया, जबकि इस सिलसिले में की जाने वाली घोषणाओं की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई. मगर, एशिया क्षेत्र के लिए कुल विदेशी निवेश प्रवाह में कमी आई है. यह 2022 में 678 अरब डॉलर से घटकर 2023 में 621 अरब डॉलर ही रह गया.

इसके बावजूद, पूर्वी व दक्षिणपूर्वी एशियाई देश अब भी एफ़डीआई प्राप्ति के मामले में अग्रणी हैं और कुल वैश्विक प्रवाह का क़रीब 50 फ़ीसदी यहीं प्राप्त हो रहा है.