शान्तिमय व समरसतापूर्ण भविष्य के लिए, ‘योग के शाश्वत मूल्यों’ को अपनाने का आहवान
योग अपनी सार्वभौम अपील और लोगों को एक साथ जोड़ने की सामर्थ्य के ज़रिये, एकजुटता को प्रोत्साहन देने और एक शान्तिपूर्ण भविष्य की नींव तैयार करने में अहम भूमिका निभा सकता है. संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार, 21 जून, को 10वें ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ के अवसर पर, उसकी शिक्षाओं व उसके दर्शन को एक मार्गदर्शक के रूप में अपनाने का आहवान किया, ताकि सम्पूर्ण मानवता के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सके.
न्यूयॉर्क में एक गर्म, उमस भरा दिन होने के बावजूद, योग दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जुटे लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी.
राजनयिक, वरिष्ठ यूएन अधिकारी समेत अन्य कर्मचारी और नागरिक समाज के प्रतिनिधि, यूएन मुख्यालय के नॉर्थ लॉन में अपनी दरी के साथ आसन, प्राणायाम करने और आन्तरिक शान्ति के लिए उत्सुक थे.
यूएन महासभा के 78वें सत्र के लिए अध्यक्ष डेनिस फ़्राँसिस ने अपने वीडियो सन्देश में कहा कि योग, संयुक्त राष्ट्र के लिए एक शक्तिशाली रूपक है.
“जिस तरह योग मानव अनुभव के विविध आयामों को एक साथ लाकर, एक सन्तुलित, पूर्ण [तस्वीर] प्रदान करता है, वैसे ही संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रों व संस्कृतियों को जोड़कर, साझा लक्ष्यों की दिशा में कार्य करता है.”
उपमहासचिव आमिना मोहम्मद इस कार्यक्रम में जुटे प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि योग में सभी आयु वर्गों और विविध पृष्ठभूमियों के लोगों को एक साथ लाने की क्षमता है.
“योग, एकता के बारे में है. मस्तिष्क, शरीर व आत्मा की एकता. यह आपके बारे में है, यह मेरे बारे मे है, यह हमारे बारे में हैं. और आज हम यूएन में देखते हैं कि इसने किस तरह से संस्कृतियों व देशों को एकजुट कर दिया है.”
एक विशेष क्षण
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसम्बर 2014 में एक प्रस्ताव पारित करके, हर वर्ष 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी.
क्रोएशिया की डेनिस लिकुल, Yoga in Daily Life USA, नामक संस्था से हैं और पिछले 30 वर्षों से नियमित रूप से योग आसन कर रही हैं.
उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि जब 21 जून 2015 को पहली बार योग दिवस का कार्यक्रम आयोजित हुआ, तो उन्होंने पूर्व महासचिव बान की मून के नज़दीक बैठकर ही, योग कार्यक्रम में शिरकत की थी.
“वह बहुत ख़ास था. यह बेहतरीन है कि संयुक्त राष्ट्र ने योग को ऐसी मान्यता दी है, जिससे सम्पूर्ण विश्व का भला हो सकता है.”
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई उप प्रतिनिधि, राजदूत आर. रविन्द्रन ने ध्यान दिलाया कि योग दिवस के लिए लाए गए प्रस्ताव को, बड़ी संख्या में सदस्य देशों ने सह-प्रायोजित किया था.
उनके अनुसार, एक दशक के भीतर ही विश्व भर में लोगों ने इस दिवस को जिस तरह से अपनाया है, वैसा पहले नहीं हुआ.
समरसता व स्वास्थ्य के लिए
इस वर्ष, भारत के स्थाई मिशन ने संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के साथ अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया, जिसकी थीम थी: योग, स्वयं व समाज के लिए.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस कार्यक्रम से पहले जारी अपने लिखित सन्देश में कहा कि लोगों और वृहद समुदाय के जीवन में स्फूर्ति भरने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है.
“इस अहम दिवस पर, आइए, हम योग के शाश्वत मूल्यों और एक शान्तिमय व समरसतापूर्ण भविष्य के लिए इसके आहवान से प्रेरणा लें.”
डेनिस लिकुल का मानना है कि स्वयं, अन्य लोगों व प्रकृति के साथ समरसता भरा सम्बन्ध स्थापित करने में योग एक शक्तिशाली साधन साबित हो सकता है.
“योग हम सभी को लाभ प्रदान करता है. पहले, व्यक्तियों के तौर पर. इसलिए योग का लक्ष्य, स्वयं को समझना और अपने दैविक सार को समझना है, और जब हम एक बार ऐसा कर लेते हैं, तो हम बेहतर मनुष्य बनते हैं, जिसका लाभ समाज तक पहुँचता है.”
“यह आपस में जुड़ा हुआ है. इसलिए यह बदलाव आपके भीतर से आता है.”
एक रूपान्तरकारी अनुभव
औपचारिक रूप से योग सत्र आरम्भ होने से पहले, यूएन चैम्बर संगीत सोसाइटी ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया और इंडियन राग नामक एक समूह ने योग आसनों से प्रेरित एक शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन किया.
आस्था पुरी, शास्त्रीय हठ योग में एक विशेषज्ञ हैं और उन्होंने प्राणायाम पर केन्द्रित एक योग सत्र की अगुवाई की.
उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि योग, उनके लिए जीवन को बदल कर रख देने वाला अनुभव साबित हुआ है, और इससे उनके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक कल्याण को सहारा मिला है.
योग दिवस का उद्देश्य, योग आसन से होने वाले अनेकानेक लाभों के प्रति विश्व भर में जागरूकता का प्रसार करना है.
वर्ष 2023 में न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में कम से कम 135 देशों के नागरिकों ने योग सत्र में हिस्सा लिया था, और इस कीर्तिमान को गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया था.